पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई नेता प्रतिपक्ष के पद के दावेदारों में से एक हैं। बीजेपी इस बात पर विचार कर रही है कि क्या उसे राज्य में जाति समीकरण को संतुलित करते हुए पुराने नेताओं को कायम रखना चाहिए या नए नेता पर भरोसा करना चाहिए। मई में हुए 224 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की जबकि भाजपा ने 66 और जनता दल (सेक्यूलर) ने 19 सीटें जीती थी।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से जेपी नड्डा और अमित शाह की मुलाकात के बाद पार्टी आलाकमान ने राज्य में दो केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाकर भेजने का फैसला किया। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ दिल्ली में मुलाकात की थी। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि पर्यवेक्षक भाजपा विधायकों की राय लेंगे और पार्टी आलाकमान को एक रिपोर्ट सौंपेंगे उसके बाद ही नेता विपक्ष का नाम घोषित किया जाएगा। कहा जा रहा है कि येदियुरप्पा चाहते हैं कि विधानसभा में विपक्ष नेता उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को बनाया जाए।
कर्नाटक में चुनाव हारने के बावजूद विधान सभा में भाजपा विधायक दल का नेता कौन बने, इसे लेकर पार्टी के अंदर आंतरिक घमासान जारी है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई इस लिस्ट में फिलहाल सबसे आगे चल रहे हैं। लेकिन पार्टी के अंदर ही कई अन्य दिग्गज नेता भी इस पद के लिए अपनी-अपनी दावेदारी जता रहे हैं। यही वजह है कि कर्नाटक में विपक्ष के नेता के चुनाव को लेकर इतनी देरी हुई।
देरी की एक और वजह भी बताई जा रही है कि विधानसभा का चुनाव हारने के बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी कर्नाटक में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, इसलिए तमाम पहलुओं पर गहराई से विचार विचार-विमर्श करके ही विपक्ष के नेता की नियुक्ति करना चाहती है, क्योंकि इस चेहरे पर 2024 लोक सभा चुनाव का भी दारोमदार रहने वाला है। इसीलिए पार्टी हाईकमान लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदाय को ध्यान में रखकर फैसला लेना चाहती है।
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के संबंध में येदियुरप्पा ने कहा कि पार्टी विधायकों की राय के आधार पर इस पर फैसला लिया जाएगा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'कर्नाटक विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू हो गया। 1952 के बाद से पहली बार राज्य में मुख्य विपक्ष के बिना विधानसभा का सत्र शुरू हुआ।' कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के बिना विधानसभा सत्र में हिस्सा लेना दिखाता है कि भाजपा गुटबंदी की शिकार है। उन्होंने भाजपा को सबसे अनुशासनहीन पार्टी करार दिया।