आज के दौर में तनाव, भागदौड़ भरी जीवनशैली और असंतुलित खानपान के चलते महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन हाल ही में एम्स भोपाल की एक स्टडी ने यह साबित किया है कि योग और प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए इस जटिल बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।
यह स्टडी यूएस के बाल्टीमोर में 24 से 27 अप्रैल तक आयोजित अमेरिकन फिजियोलॉजी समिट-2025 में एम्स के फिजियोलॉजी विभाग की डॉ. रागिनी श्रीवास्तव, डॉ. रुचि सिंह के साथ आयुष विभाग की डॉ. श्वेता मिश्रा व कम्युनिटी मेडिसिन की डॉ. प्रांजल श्रीवास्तव ने प्रेजेंट की।
स्टडी के अनुसार, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक हार्मोनल विकार है। यह प्रजनन आयु वर्ग की 8 से 13 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में अनियमित माहवारी, अंडाशय में कई छोटी गांठों का बनना, त्वचा पर मुंहासे और वजन बढ़ना शामिल हैं। यह समस्या अक्सर तनाव, मोटापा और इंसुलिन रेसिस्टेंस से भी जुड़ी होती है।
एलोपैथी रही बेअसर, योग-नेचुरोपैथी से हुआ सफल इलाज स्टडी में एम्स भोपाल के आयुष योग ओपीडी में इलाज के लिए आई 25 वर्षीय युवती के केस का उदाहरण दिया गया है। युवती कई सालों से अनियमित मासिक धर्म की समस्या से पीड़ित थी। वह चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई कर रही थी और पढ़ाई का अत्यधिक तनाव भी झेल रही थी। वजन बढ़ने के साथ-साथ उसे पेट दर्द, पीठ पर मुंहासे और थकान जैसी समस्याएं भी होने लगी थीं। आठ महीने तक एलोपैथिक इलाज के बाद भी कोई राहत नहीं मिलने पर उसने योग और नेचुरोपैथी का सहारा लिया। उसकी रिपोर्ट में पीसीओएस की पुष्टि हुई थी।
6 माह में गायब हुई गांठ स्टडी में दावा किया गया कि लगातार छह माह तक योग, प्राणायाम, खानपान में सुधार और जीवनशैली में बदलाव के चलते युवती की सेहत में सुधार हुआ। उसका वजन घटा, माहवारी नियमित हुई और अल्ट्रासोनोग्राफी में पाया गया कि अंडाशय में मौजूद गांठें पूरी तरह गायब हो चुकी थीं।
डॉ. रेखा जिवाने की स्टडी भी सम्मेलन में हुई पेश एम्स भोपाल के फिजियोलॉजी विभाग की डॉ. रेखा जिवाने ने भी अमेरिकन फिजियोलॉजी समिट में अपना रिसर्च पेश किया। उनका विषय शरीर क्रिया विज्ञान में परावर्तक लेखन के प्रति विद्यार्थियों की धारणाएं: शैक्षणिक और व्यवसायिक विकास की झलकियां था।