चीन के मुकाबले भारतीय पनडुब्बियां कम शक्तिशाली
यूएस पैसिफिक कमांड के संयुक्त खुफिया केंद्र में संचालन के पूर्व निदेशक विश्लेषक कार्ल शूस्टर ने कहा, "INS अरिहंत-क्लास पनडुब्बियां उत्तरी बंगाल की खाड़ी के तटीय जल से चीनी लक्ष्यों तक मुश्किल से पहुंच सकती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह इलाका एक पनडुब्बी के लिए खतरनाक रूप से उथला है।" भारत और चीन के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद है। 2020 से दोनों देशों की सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएएसी) के दोनों ओर डटी हुई हैं। वक्त-वक्त पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई बार भिड़ंत हो चुकी है।
जवाबी कार्रवाई के लिए क्षमता बढ़ा रहा भारत!
भारत अब तक अरिहंत क्लास पनडुब्बियों को लेकर खामोश ही रहा है। हालांकि इतना जरूर बताया गया है कि स्वदेशी तकनीक से निर्मित आईएनएस अरिहंत और अरिघात पीढ़ी दर पीढ़ी उन्नत हो रही हैं। आईएनएस अरिहंत को आठ साल पहले भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था। भारत ने 29 अगस्त को कमीशन किए जाने के बाद से अरिघाट की तस्वीरें भी जारी नहीं की हैं। नौसेना विश्लेषकों का कहना है कि भारत स्पष्ट रूप से एक ऐसा परमाणु निवारक विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो चीन के परमाणु निवारक जितना बड़ा तो नहीं होगा, लेकिन बीजिंग को उसके खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्रवाई करने से रोकने के लिए पर्याप्त जवाबी कार्रवाई की क्षमता रखेगा।
भारत की चीन पर है पैनी नजर
भारत के पास लंबी दूरी की मिसाइलों के साथ नई, बड़ी पनडुब्बियां हैं। विश्लेषकों के अनुसार, उन मिसाइलों की रेंज 6,000 किलोमीटर (3,728 मील) तक हो सकती है, जिससे चीन में कहीं भी हमला किया जा सकता है। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स में परमाणु सूचना परियोजना के एसोसिएट डायरेक्टर मैट कोर्डा ने कहा, "हालांकि भारत की समुद्र आधारित परमाणु निवारक क्षमता अभी भी अपेक्षाकृत प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन देश की स्पष्ट रूप से एक परिष्कृत नौसैनिक परमाणु बल बनाने की महत्वाकांक्षा है, जिसके केंद्र में बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं।"