भारत में मौजूद अमेरिकी राजदूत ने कहा है कि भारत को ठीक करना अमेरिका की जिम्मेदारी नहीं है। हमारा काम उनके साथ सहयोग को आगे बढ़ाना है। गार्सेटी अमेरिका थिंक टैंक 'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
यहां उनसे लोकसभा चुनाव के बीच भारत में ह्यूमन राइट्स के उल्लंघन से जुड़ी रिपोर्ट्स पर सवाल किया गया। इस पर गार्सेटी ने कहा, "यह भारत का आंतरिक मामला है। कई देश एक-दूसरे से रिश्ते बनाए रखने के लिए ऐसे मुद्दों पर बातचीत से बचते हैं, लेकिन अमेरिका ऐसा नहीं करता।
अमेरिका राजदूत ने कहा, " हम हमेशा भारत के साथ हर मुद्दे पर बातचीत करते हैं, फिर चाहे वह मानवाधिकार रिपोर्ट हो या धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा कोई मामला।" इसके अलावा अमेरिका ने भारत के लोकसभा चुनाव में दखल देने वाले रूस के आरोपों को भी खारिज किया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि वे भारतीय चुनावों में दखल नहीं दे रहे हैं। चुनाव का नतीजा वहां की जनता खुद तय करेगी।
अमेरिका बोला- पन्नू मामले में भारत की कार्रवाई से संतुष्ट
रूस ने बुधवार को अमेरिका पर आरोप लगाया था कि वह भारत के चुनाव में रुकावट डाल रहा है। रूस ने कहा था कि पन्नू मामले में भी अमेरिका ने भारत पर बेतुके आरोप लगाए हैं। इस पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से गुरुवार को सवाल किया गया।
जवाब में मिलर ने कहा, "अमेरिका भारत या दुनिया के किसी भी देश के चुनाव में दखलंदाजी नहीं करता है। वहीं पन्नू मामले से जुड़े सभी आरोप सार्वजनिक तौर पर मौजूद हैं। यह मामला फिलहाल अदालत में है। जांच पूरी होने तक हम कोई बयान नहीं देना चाहते।"
वहीं इस मामले में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा, "भारत ने अब तक जो कार्रवाई की है, हम उससे संतुष्ट हैं। मामले में जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है।"
अमेरिका ने भारत के खिलाफ पेश नहीं किया कोई सबूत
बुधवार 8 मई को रूस के विदेश मंत्रालय ने भारत पर पन्नू को मारने की साजिश रचने वाले आरोपों पर बयान दिया है। रूस ने कहा था कि अमेरिका अभी तक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर सका , जिससे यह साबित हो सके कि भारत पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल था। रूस ने कहा था कि धार्मिक आजादी के उल्लंघन के आरोप, भारत को लेकर अमेरिका की कमजोर समझ को दिखाता है।
रूस ने कहा था, "अमेरिका ऐसे आरोप लगाकर एक संप्रभु देश के तौर पर भारत का अपमान कर रहा है। अमेरिका भारत ही नहीं कई और देशों के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के बेबुनियाद आरोप लगाता रहा है। उनकी कार्रवाई स्पष्ट रूप से भारत के आंतरिक मामलों में दखल का सबूत है।"इस दौरान गार्सेटी ने मणिपुर हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, "भारत के एक राज्य में हमने हिंसा से जुड़ी भयानक तस्वीरें देखीं। हम इसे लेकर दुखी हैं। लेकिन यह समस्या भारत का मसला है। अगर वे चाहेंगे तो हम मदद जरूर करेंगे। "