आईसीसीसी तकनीक स्मार्ट सिटी में नागरिक सेवाओं में डाटा संचालन और निर्णय लेने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। आईसीसीसी और आईटीएमएस इन दोनों प्रणालियों में रियलटाइम में डाटा एकत्र कर त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता है।
इन प्रणालियों के जरिए स्मार्ट सिटी में जल आपूर्ति, अपशिष्ट प्रबंधन, स्ट्रीट लाइटिंग और सार्वजनिक सुरक्षा जैसी शहर की सेवाओं की लगातार निगरानी संभव है।
केंद्र सरकार ने नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन (एनडीयूएम) में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को शामिल करने का निर्णय लिया है। आईसीसीसी तकनीक से स्मार्ट सिटी में अपशिष्ट संग्रह वाहनों की वास्तविक समय की ट्रैकिंग से समय पर कचरा निपटान और सफाई सुनिश्चित हो रही है।
भविष्य में इन केंद्रों को स्वचलित अलर्ट स्वच्छता संबंधी मुद्दों को तुरंत निराकृत करने में भी सक्षम बनाया जाएगा। स्मार्ट सिटी में जल वितरण और रिसाव का पता लगाने वाली प्रणालियों को कंट्रोल रूम के माध्यम से निगरानी में रखा जा सकेगा।
इससे पानी के अपव्यय को काफी हद तक कम करने और शहर में पानी की समान रूप से आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। इसी के साथ आईसीसीसी के माध्यम से स्मार्टग्रिड और स्ट्रीटलाइट आटोमेशन ऊर्जा की खपत को कम करने और विद्युत वितरण व्यवस्था को और दक्ष बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
वर्तमान में इन सात स्मार्ट सिटी में आईसीसीसी के साथ एकीकृत निगरानी प्रणाली अपराध की रोकथाम और यातायात प्रबंधन में मदद कर रही है। स्मार्ट सिटी में आईटीएमएस द्वारा भीड़-भाड़ को कम करने, दुर्घटनाओं को कम करने और शहरी गतिशीलता को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं।
इस प्रणाली के माध्यम से ट्रैफिक सिग्नल और रियल टाइम ट्रैफिक का विश्लेषण भी किया जा रहा है। सातों स्मार्ट सिटी में 303 स्थानों पर 2301 कैमरे लगाए गए हैं। पिछले तीन वर्षों में इस प्रणाली के माध्यम से करीब 27 लाख 25 हजार ई-चालान की कार्रवाईयां की गई हैं।