संवत-पिङ्गला विक्रम संवत 2081,माह-श्रावण ,कृष्ण पक्ष
तिथि-- एकादशी 03:58 pm तक फिर द्वादशी
व्रत- श्रावण व्रत,एकादशी व्रत
दिवस-बुधवार
सूर्योदय-05:35am
सूर्यास्त-07:15pm
नक्षत्र- रोहिणी 10:13am तक फिर मृगशिरा
चन्द्र राशि- वृष स्वामीग्रह-शुक्र ,10:27pm तक फिर मिथुन,स्वामीग्रह-बुध
सूर्य राशि- कर्क ,स्वामी -चन्द्रमा
करण-बालव04 pm तक फिर कौलव
योग: ध्रुव 02:27pm तक फिर व्याघात
शुभ मुहूर्त
1अभिजीत-11:56am से 12:46 pm
2विजय मुहूर्त-02:25pm से 03:27 pm तक
3गोधुली मुहूर्त--06:32 pm से 07:24pm तक
4 ब्रम्ह मुहूर्त-4:08m से 05:09am तक
5अमृत काल-06:08am से 07;56am तक
6निशीथ काल मुहूर्त-रात्रि 11:54से 12:41तक रात
संध्या पूजन-06:24 pm से 07:25pm तक
दिशा शूल -उत्तर दिशा। इस दिशा में यात्रा से बचें। दिशाशूल के दिन उस दिशा की यात्रा करने से बचते हैं,यदि आवश्यक है तो एक दिन पहले प्रस्थान निकालकर फिर उसको लेकर यात्रा करें।
अशुभ मुहूर्त
राहुकाल - दोपहर12 बजे से 01:30 बजे तक
क्या करें -आज बुधवार है। एकादशी का पावन व्रत रहें।कुशोदक से शिव लिंग का रुद्राभिषेक करें। घर मे नर्मदेश्वर या पारद शिवलिंग रखें व उनकी उपासना करें।बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करें।एकादशी को रामायण बार पाठ आरम्भ करें। श्रावण माह में भगवान शिव व माता दुर्गा जी को प्रसन्न करना सहज भक्ति भाव से ही आसान हो जाएगा आज बहुत पवित्र तिथि है। श्रावण बहुत पावन माह है। दिन भर व्रत रहें।भगवान शिव जी की उपासना करें। शिवलिंग की उपासना करें। दुर्गासप्तशती का पाठ भी करें। फलों का दान करे।शिव मंदिर परिसर में बरगद, पीपल व बेल का पेड़ लगाएं। आज रुद्राभिषेक करने से सभी कष्ट समाप्त होते हैं। आज रुद्राभिषेक करने से धन,सम्पदा व ऐश्वर्य का सुआगमन होता है। श्रावण माह में मास परायण करें। मतलब एक माह में सम्पूर्ण श्री रामचरितमानस का पाठ पूर्ण कर तत्पश्चात हवन करें। एकादशी को अन्न दान का बहुत महत्व है।