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28 जून 2024

Updated on 28-06-2024 07:09 PM
⛅दिन - शुक्रवार
⛅विक्रम संवत् - 2081
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅तिथि -  सप्तमी शाम 04:27 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद सुबह 10:10 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅योग -  सौभाग्य रात्रि 09:39 तक तत्पश्चात शोभन
⛅राहु काल -  प्रातः 11:02 से दोपहर 12:42 तक
⛅सूर्योदय - 06:02
⛅सूर्यास्त - 07:20
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:38 से 05:21 तक
⛅ अभिजीत मुहूर्त -  दोपहर 12:15 से दोपहर 01:08 तक
⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:22 जून 29 से रात्रि 01:03 जून 29 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, रवि योग (प्रातः 06:04 से प्रातः 10:10 तक)
⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🍍गर्मिशामक, शक्तिप्रदायक व स्वास्थ्यरक्षक अनन्नास पेय🍍

🔹ग्रीष्म ऋतु में शरीर में जलीय अंश की कमी तथा दुर्बलता, थकान, जठराग्नि की मंदता आदि समस्याएँ होती हैं । इनसे सुरक्षित रखेगा अनन्नास पेय ।

🔹आयुर्वेदानुसार अनन्नास मधुर, स्निग्ध, रुचिकर, शीतल, बलवर्धक, रक्तपित्त व वात-पित्त शामक, हृदय के लिए हितकर, पाचनशक्तिवर्धक तथा मूत्र खुलकर लानेवाला है ।

🔹इसमें कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस जैसे अनेक खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । हड्डियों तथा उत्तकों ( टिश्यू ) के विकास में सहायक मैंगनीज भी प्रचुर मात्रा में होता है । विटामिन सी की प्रचुरता होने से यह रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है ।

🔹यह भोजन में से लौह तत्व के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे खून की कमी दूर होती है । आधुनिक अनुसंधान के अनुसार यह टी.बी. में भी फायदेमंद है । यह आँतों की कीड़ों से रक्षा करता है तथा आँतों एवं गुर्दों (kidneys) को साफ रखता है । यह शरीर में से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे चयापचय ठीक  होता है ।

🔸स्वास्थ्य-समस्याओं में :🔸

🔹पेशाब-संबंधी समस्या हो तो 100 मि.ली. अनन्नास पेय में 4 - 5 ग्राम गुड़ मिलाकर पियें ।

🔹पीलिया हो तो 100 मि.ली. पेय में 2 ग्राम हल्दी का चूर्ण व 3 ग्राम मिश्री मिलाकर पियें ।

🔹पाचन के समस्या हो तो 100 मि.ली. पेय में 1 - 2 ग्राम सेंधा नमक और 2 - 3 चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिला के पियें ।

🔹अतः बेहतरीन स्वाद व पौष्टिकता से भरपूर अनन्नास पेय का ग्रीष्म ऋतु में अवश्य लाभ लें । यह आश्रम में व समितियों के सेवाकेंद्र से प्राप्त हो सकता है । ताजा अनन्नास ले के घर में बनायें तो अति उत्तम है ।

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