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27 नवंबर 2020

Updated on 27-11-2020 10:14 AM
 दिन - शुक्रवार
 विक्रम संवत - 2077
 शक संवत - 1942
 अयन - दक्षिणायन
 ऋतु - हेमंत
 मास - कार्तिक
 पक्ष - शुक्ल 
 तिथि - द्वादशी सुबह 07:46 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
 नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 12:23 तक तत्पश्चात भरणी
 योग - व्यतिपात सुबह 08:30 तक तत्पश्चात वरीयान्
 राहुकाल - सुबह 11:04 से दोपहर 12:26 तक
 सूर्योदय - 06:58 
 सूर्यास्त - 17:54 
 दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
 व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत
 विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
 कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी 
नारदपुराण के अनुसार  ऊर्ज्शुक्लत्रयोदश्यामेकभोजी द्विजोत्तम । पुनः स्नात्वा प्रदोषे तु वाग्यतः सुसमाहितः ।। १२२-४८ ।।
प्रदीपानां सहस्रेण शतेनाप्यथवा द्विज । प्रदीपयेच्छिवं वापि द्वात्रिंशद्दीपमालया ।। १२२-४९ ।।
घृतेन दीपयेद्द्वीपान्गंधाद्यैः पूजयेच्छिवम् । फलैर्नानाविधैश्चैव नैवेद्यैरपि नारद ।। १२२-५० ।।
ततः स्तुवीत देवेशं शिवं नाम्नां शतेन च । तानि नामानि कीर्त्यंते सर्वाभीष्टप्रदानि वै ।। १२२-५१ ।।
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी को मनुष्य एक समय भोजन करके व्रत रखे। प्रदोषकाल में पुनः स्नान करके मौन और एकाग्रचित्त हो बत्तीस दीपकों की पंक्ति से भगवान शिव को आलोकित करे। घी से दीपकों को जलाए और गंध आदि से भगवान शिव की पूजा करे। फिर नाना प्रकार के फलों और नैवेद्यों द्वारा उन्हें संतुष्ट करे । इस प्रकार व्रत करके मनुष्य महादेवजी के प्रसाद से इहलोक के सम्पूर्ण भोग भोगकर अंत में शिवधाम प्राप्त करता है।
कार्तिक मास  
सीदलपुष्पाणि​ ​ये यच्छन्ति जनार्दने।​  
​कार्तिके सकलं वत्स​  ​पापं जन्मार्जितं दहेत्।।​ (पद्मपुराण)
ब्रम्हाजी नारदजी से कहते हे- वत्स ! जो लोग कार्तिक में भगवान जनार्दन को तुलसी के पत्र और पुष्प अर्पित करते हैं, उनका जन्म भर का किया हुआ सारा पाप भस्म हो जाता है।
 वैकुंठ चतुर्दशी के दिन सुख समृद्धि बढ़ाने 
29 नवम्बर 2020 रविवार को कार्तिक शुक्ल वैकुंठ चतुर्दशी है |
देवीपुराण के अनुसार इस दिन जौ के आटे की रोटी बनाकर माँ पार्वती को भोग लगाया जाता है और प्रसाद में वो रोटी खायी जाती है | माँ पार्वती को भोग लगाकर जौ की रोटी प्रसाद में जो खाते है उनके घर में सुख और संम्पति बढती जायेगी, ऐसा देवीपुराण में लिखा है | वैकुंठ चतुर्दशी के दिन अपने-अपने घर में जौ की रोटी बनाकर माँ पार्वती को भोग लगाते समय ये मंत्र बोले –
 ॐ पार्वत्यै नम:
 ॐ गौरयै नम:
 ॐ उमायै नम:
 ॐ शंकरप्रियायै नम:
 ॐ अंबिकायै नम:
माँ पार्वती का इन मंत्रों से पूजन करके जौ की रोटी का भोग उनको लगायें, फिर घर में सब रोटी खायें | जौ का दलिया, जौ के आटे की रोटी खानेवाले जब तक जियेंगे तब तक उनकी किडनी बढ़िया रहेंगी, किडनी कभी ख़राब नहीं होगी | शरीर में कही भी सूजन हो किडनी में सूजन, लीवर में सूजन, आतों में सूजन है तो जौ की रोटी खायें, इससे सब तकलीफ दूर हो जाती है |

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