अमेरिका के टेक्सास, ओक्लाहोमा और अर्कांसस राज्यों में रविवार (26 मई) को आए टॉरनेडो के कारण 18 लोगों की मौत हो गई और 42 से ज्यादा घायल हैं। अमेरिकी मीडिया हाउस CNN के मुताबिक, तूफान, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण लगभग 10 करोड़ लोग प्रभावित हैं।
अमेरिकी मौसम विभाग ने इन तीनों राज्यों में आज (27 मई) को बवंडर और भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि होने की चेतावनी जारी की है। टॉरनेडो के कारण कई इमारतें, बिजली, गैस लाइनें और एक ईंधन स्टेशन तबाह हो गए।
वाइट हाउस के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं। मौके पर रेस्क्यू टीम को भेजा गया है। इलिनोइस, केंटकी, मिसौरी और टेनेसी शहरों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। यहां बेसबॉल के आकार के ओले गिर रहे हैं। इसकी वजह से 40 लाख से ज्यादा लोग डर के साए में जी रहे हैं। इन राज्यों में हवा 136 से 165 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है।
अरकंसास में आपातकाल लगाया गया
टेक्सास में शनिवार (26 मई) को टॉरनेडो और भारी अबारिश से 7 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 4 बच्चे शामिल थे। इनमें से एक एक 2 साल का और दूसरा 5 साल का था। वहीं, अरकंसास में इससे 8 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा गैस स्टेशन के अंदर 60 से 80 लोग फंसे हुए हैं, लोगों से तूफान खत्म होने के बाद ही बाहर निकलने की अपील की गई है।
अरकंसास की गवर्नर सारा हकाबी सैंडर्स ने राज्य में आपातकाल की घोषणा कर दी है। गवर्नर ने एक पोस्ट में बताया कि रेस्क्यू टीम लोगों की मदद के लिए तैयार है। लुइसविले के मेयर क्रेग ग्रीनबर्ग ने एक पोस्ट में बताया कि केंटकी में एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है।
अमेरिकी अधिकारियों ने 26 मई को बताया कि ओक्लाहोमा में दो लोगों की मौत हो गई और 23 लोग घायल हैं। क्लेयरमोर सिटी मैनेजर जॉन फेरी ने कहा कि शहर में तूफान के कारण 19 लोग घायल हो गए।
अमेरिका में आते हैं ज्यादा टॉरनेडो
अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के मुताबिक, वैसे तो टॉरनेडो दुनिया में कहीं भी आ सकते हैं, लेकिन अमेरिका में ये सबसे ज्यादा संख्या में आते हैं। अमेरिका में टॉरनेडो कांसस, ओकलाहोमा, टेक्सास जैसे मैदानी इलाकों में ज्यादा आते हैं।
NOAA यानी नेशनल ओशियेनिक एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि टॉरनेडो की वजह से अमेरिका में हर साल तकरीबन 50 जानें जाती हैं। वहां साल 2011 में बहुत ही विनाशकारी टॉरनेडो आए थे, जिसमें 580 से ज्यादा लोगों ने अप्रैल-जून में अपनी जान गंवा दी थी। अनुमान लगाया गया था कि इस वजह से देश को 21 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था।