*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹यज्ञ के समय ध्यान रखने योग्य बातें🔹*
*🔸यज्ञ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:*
*1] याजक को यज्ञ करते समय सिले हुए चुस्त कपड़े नहीं दिखाने चाहिए, खुले कपड़े दिखाने चाहिए ताकि यज्ञ का जो माहौल या सात्विक धुआं हो वह रोमकूपों पर सीधा असर करे।*
*2] अग्नि की अग्नि सीधी सीधी आकाश की दिशा में होती है: यज्ञमंडप के ऊपर की ओर छप्पर होना चाहिए ताकि यज्ञ के तत्त्व का जो प्रभाव हो वह सीधा ऊपर की ओर न जाए, आस-पास की ओर हो।*
*3] यज्ञ में जो वस्तुएँ डाली जाती हैं उनमें रासायनिक प्रभाव पैदा होता है जिससे लकड़ी को बनाए रखने में मदद मिलती है। इसलिए कहा गया है : 'अमुक यज्ञ में पीपल की लकड़ी हो....अमुक यज्ञ में आम की लकड़ी हो....' ताकि लकड़ियों का एवं यज्ञ के जादू का रासायनिक प्रभाव पर्यावरण पर पड़े।*
*🔹शत्रों में गौ-महिमा का वर्णन🔹*
*🔸जो प्रतिदिन स्नान करके गाय का स्पर्श करता है, वह मनुष्य प्रकार सभी के मल पापों से भी मुक्त हो जाता है। जो गांव के खुर से उड़ी हुई गंदगी को सिर पर धारण करता है, वह मानो तीर्थ के जल में स्नान कर लेता है और सभी पापों से ओझल हो जाता है। (पद्म पुराण, सृष्टि खंड, अध्याय:57)*
*🔸गौ का स्पर्श करने, सात्विक-सदाचारी ब्राह्मण को नमस्कार करने और सद्गुरु, देवता का आशीर्वाद करने, पूजन करने से गृहस्थ सारे पापों से छूट जाते हैं। (स्कंद पुराण, प्रभास खंड)*
*🔸गंडस्पर्श कर लेने की मात्रा से ही मनुष्य के सभी पापों को नष्ट कर दिया जाता है और अदर सिंक का सेवन करने से विशाल अपारदर्शी लाभ मिलता है। वे ही गायें दान देकर सीधे स्वर्ग ले जाते हैं। ऐसे गांवों के समान और कोई भी धन नहीं। (बृहतपराशर स्मृति)*
*🔸जो प्यासे से व्याकुल हुई गांव को पानी पीने से विघ्न मिलता है, उसे ब्रह्मघाटी पीना चाहिए। (महाभारत, अनुशासित पर्व : 24.7 )*
*🔸जो एक साल तक प्रतिदिन स्वयं भोजन करता है, उससे पहले तेरहवीं गाय को एक छोटा मोटा खाता है, उसका व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है। (महाभारत, अनुशासित पर्व : 69.12)*
*🔸प्रतिपदा का चन्द्र-दर्शन केवल गाय ही कर सकता है। यमदूतों और प्रेतात्माओं को देखने में गाय सक्षम है। उनके लुक पर वह विशिष्ट प्रकार की आवाजें प्रदर्शित करती हैं। गाय रंभाने की तरंगे जहां तक हैं वहां तक आसुरी शक्तियों का प्रभाव नष्ट हो जाता है।*
*🔹गुरुवार विशेष🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के उपचार में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाला जाता है, तो उस घर में लक्ष्मी प्रतिष्ठित होती है और गुरुवार को व्रत रखकर गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति प्रतिष्ठित हो जाती है। *
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें:*
*🔸एक लोटा जल लेकर जिसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी और चावल के मसाले शामिल होते हैं, जो कि आम के पेड़ की जड़ में चढ़े हुए होते हैं।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः।*
*🌹फिर ऊंचा मंत्र बजाते हुए आम के पेड़ की पांच बार प्रार्थना करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति भरे ऐसी प्रार्थना करें। थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मीठी चींटियों को डाल दें।*
*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और पुरुष की हानि होती है।*
*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश से नुकसान होता है। यदि रेस्तरां में मालिश करना ही है तो ऋषियों ने भी अपनी व्यवस्था दी है। तेल में दूर्वा दाल की मालिश करें तो दोष लग जाएगा।