*⛅तिथि - एकादशी प्रातः 4:44 जून 17 से प्रातः 06:24 जून 18 तक, तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा दोपहर 01.50 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग- परिघा रात्रि 09:35 तक तत्पश्चात शिव*
*⛅राहु काल - प्रातः 07:36 से प्रातः 09:17 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:54*
*⛅सूर्यास्त - 07:27*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:12 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:08 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:20 जून 18 से रात्रि 01:02 जून 18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - एकादशी वृद्धि तिथि*
*⛅विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹निर्जला एकादशी महिमा🌹*
*🌹वर्षभर में जितनी एकादशीयाँ होती हैं, उन सबका फल निर्जला एकादशी के सेवन से मनुष्य प्राप्त कर लेता है ।*
*🌹एकादशी व्रत करनेवाले पुरुष के पास विशालकाय, विकराल आकृति और काले रंगवाले दण्ड पाशधारी भयंकर यमदूत नहीं जाते ।*
*🌹स्त्री हो या पुरुष, यदि उसने मेरु पर्वत के बराबर भी महान पाप किया हो तो वह सब इस एकादशी व्रत के प्रभाव से भस्म हो जाता है ।*
*🌹जो मनुष्य उस दिन जल के नियम का पालन करता है, वह पुण्य का भागी होता है । उसे एक एक प्रहर में कोटि कोटि स्वर्णमुद्रा दान करने का फल प्राप्त होता है ।*
*🌹मनुष्य निर्जला एकादशी के दिन स्नान, दान, जप, होम आदि जो कुछ भी करता है, वह सब अक्षय होता है ।*
*🌹 जिन्होंने निर्जला एकादशी को उपवास किया है, वे ब्रह्महत्यारे, शराबी, चोर तथा गुरुद्रोही होने पर भी सब पातकों से मुक्त हो जाते हैं ।*
*🌹जो ‘निर्जला एकादशी’ के दिन ब्राह्मण को पर्याप्त दक्षिणा और भाँति भाँति के मिष्ठान्नों द्वारा सन्तुष्ट करता है उन्हें भगवान श्रीहरि मोक्ष प्रदान करते हैं ।*
*🌹जिन्होंने भगवान श्रीहरि की पूजा और रात्रि में जागरण करते हुए इस ‘निर्जला एकादशी’ का व्रत किया है, उन्होंने अपने साथ ही बीती हुई सौ पीढ़ियों को और आनेवाली सौ पीढ़ियों को भगवान वासुदेव के परम धाम में पहुँचा दिया है ।*
*🌹जो निर्जला एकादशी के दिन श्रेष्ठ ब्राम्हण को अन्न, वस्त्र, गौ, जल, शय्या, सुन्दर आसन, कमण्डलु, जोता तथा छाता दान करता है, वह सोने के विमान पर बैठकर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है ।*
*🌹जो इस एकादशी की महिमा को भक्तिपूर्वक सुनता अथवा उसका वर्णन करता है, वह स्वर्गलोक में जाता है ।*
*🌹चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय श्राद्ध करके मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है, वही फल इसके श्रवण से भी प्राप्त होता है ।*
*🔸 निर्जला एकादशी आसानी से कैसे करें ?🔸*
*🔹सुबह सूर्योदय से पहले-पहले भरपेट पानी पी लें ।*
*🔹अगर घर में देशी गाय का घी है तो सूर्योदय से पहले ही 25 से 50 ग्राम गुनगुने पानी के साथ ले लें । इससे भूख-प्यास की उग्रता कम होगी, व्रत करने में आसानी होगी ।*
*🔹सूर्योदय से पहले नींबू व मिश्री मिलाकर पानी पी लें तो प्यास कम लगेगी ।*
*🔹दोपहर या शाम के समय मुल्तानी मिट्टी शरीर पर लगाकर आधा या एक घण्टे रखकर स्नान करें तो प्यास नही सताएगी । मुल्तानी में अगर पलाश के पाउडर अथवा छाछ, नींबू मिला ले अथवा इसमे से कोई भी एक चीज मिला ले तो प्यास नहीं सताएगी ।*
*🔹अनावश्यक घर से बाहर न जाए, भागदौड़ न करें जिससे पसीना न बहे । जितना कम पसीना बहेगा उतनी प्यास कम लगेगी, सम्भव हो तो मौन रखें, जप ध्यान करें, सत्संग सुनें, शास्त्र पढ़ें ।