रूसी सेना में काम कर रहे 10 भारतीय नागरिक जल्द ही भारत लौटेंगे। ये जानकारी केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने सपा सांसद धर्मेंद्र यादव द्वारा संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में दी है। उन्होंने बताया कि रूसी सेना में काम कर रहे 10 भारतीयों के रूसी सशस्त्र बलों ने छोड़ दिया है। मंत्री ने बताया कि रूस की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द रिहा का मुद्दा उठाया था। विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों से युद्ध क्षेत्र से दूर रहने की अपील की है।
रूस बोला- हमें अपनी सेना में भारतीयों की जरूरत नहीं
न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए 11 जुलाई को भारत में रूस के राजनयिक रोमन बबुश्किन ने कहा था कि इस मामले पर रूस, भारत सरकार के साथ है। हमें भारतीय सैनिकों की जरूरत नहीं है।
रूसी सेना में शामिल भारतीयों की संख्या 50 से 100 के बीच बताई जाती है। बबुश्किन ने बताया कि इन लोगों को एजेंट्स के द्वारा धोखाधड़ी के जरिए सेना में शामिल कराया गया था। ये एजेंट्स आपराधिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। वे अवैध तरीके से लोगों को लाकर सेना में शामिल कराते हैं।
विदेश सचिव बोले- पीएम ने रूस में मुद्दा उठाया
प्रधानमंत्री के साथ रूस दौरे पर विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने 9 जुलाई को मॉस्को में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया था कि दोनों देशों के नेताओं के बीच इस मुद्दे को लेकर बातचीत हुई है। रूस ने जल्द ही सेना से भारतीयों को डिस्चार्ज कर वापसी का वादा किया है। दोनों पक्ष इसे लेकर काम कर रहे हैं।
अब तक 180 भारतीयों को धोखे से रूस भेजा गया
रूस की सेना में भर्ती कई भारतीय नागरिकों की अब तक मौत हो चुकी है। भारत की जांच एजेंसी CBI ने अप्रैल में भारतीयों को धोखे से रूस-यूक्रेन जंग में भेजने के मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से तीन लोग भारत के थे, जबकि एक रूस के रक्षा मंत्रालय में काम करने वाला ट्रांसलेटर था।
ये सभी लोग एक नेटवर्क का हिस्सा थे, जिसमें सोशल मीडिया के जरिए भारतीयों को नौकरी और अच्छी सैलरी का लालच देकर फंसाया जाता है। CBI के मुताबिक, दिल्ली-बेस्ड एक वीजा कंपनी अब तक करीब 180 भारतीयों को रूस भेज चुकी है।