*⛅तिथि - तृतीया रात्रि 12:50 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा रात्रि 11:23 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - शुभ रात्रि 01:54 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल - शाम 04:01 से 05:42 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:54*
*⛅सूर्यास्त - 07:23*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से 05:11 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 12:59 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - विद्यालाभ योग (पूर्णिमांत आषाढ़)*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 विद्यालाभ योग - 06/07 जून 2023 🌹*
*🔸विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति हेतु🔸*
*🌹 विद्यालाभ के लिए मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।'*
*🔸विधि : जिन राज्यों में पूर्णिमा को माह का अंत माना जाता है वहाँ यह मंत्र ६ जून को रात्रि ११:१३ से रात्रि ११:४५ तक १०८ बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद रात्रि ११:३० से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें । अथवा ७ जून को प्रातः ३ से रात्रि ९:०२ बजे तक १०८ बार मंत्र जप लें और रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*
*🔸महाराष्ट्र, गुजरात आदि जहाँ अमावस्या को माह का अंत माना जाता है वहाँ ४ जुलाई को सुबह ८:२५ से रात्रि ११:४५ बजे तक १०८ बार मंत्र जप लें और रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*
*🔹जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी ।*
*🔹 सोमवार विशेष 🔹*
*🔸कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु*
*🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*
*🔸सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।*
*🔸सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*
*🔹कपड़ों का स्वाथ्य पर प्रभाव🔹*
*🔸कृत्रिम (सिंथेटिक) वस्त्र न पहनें । बहुत कसे हुए, नायलॉन आदि कृत्रिम तंतुओं से बने हुए तथा चटकीले-भड़कीले गहरे रंग के कपड़े तन-मन के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं व जीवनी शक्ति का ह्रास करते हैं । तंग कपड़ों से रोमकूपों को शुद्ध हवा नहीं मिलती व रक्त-संचरण में बाधा पड़ती है । ढीले-ढाले सूती वस्त्र स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम होते हैं ।*
*🔸सर्दियों में गर्म कपड़े पहनें लेकिन जो कपड़ों पर कपड़े लादे रहते हैं वे प्रकृति से विरूद्ध जीते हैं, तन-मन से ढीले-ढाले हो जाते हैं । गर्मियों में पहनावा हलका-फुलका, ढीला-ढाला, सूती और सफेद हो ।"*