*⛅व्रत पर्व विवरण - जयापार्वती व्रत समाप्ति, संकष्ट चतुर्थी*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल भोजन शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नशा होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸संकष्ट चतुर्थी - 06 जुलाई 2023🔸*
*🔸संकष्ट चतुर्थी क्या है?*
*🔹संकट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संस्कृत भाषा से एक शब्द लिया गया है, जिसका अर्थ है 'कठिन समय से मुक्ति पाना'।*
*🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुखों से मुक्ति पाने के लिए गणपति की आराधना करता है। पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करने से बहुत फल मिलता है। इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक स्थिर रहते हैं। संकष्ट चतुर्थी में संपूर्ण विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है।*
*🔸विधिसंकष्ट चतुर्थी पूजा🔸*
*🔹गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास करके उन्हें अपने माता-पिता के फल की कामना करते हैं।*
*👉इस दिन आप प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठें।*
*👉 व्रत करने वाले सबसे पहले स्नान कर साफा और कपड़े पहने लोग। इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से सफल व्रत होता है।*
*👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें। गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।*
*👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजाएं।*
*👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लोथ, फूल तांबे के कलश में पानी, धूप, चंदन, प्रसाद के रूप में केला या नारियल रख लें।*
*👉ध्यान दें कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की मूर्ति या मूर्ति को भी अपने पास रखें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।*
*👉गणपति को रोली वस्त्र, फूल और जल से बचाएं।*
*👉 संकष्टी को भगवान गणपति को तिल के तेल और मोदक का भोग लगाएं।*
*👉गणपति के दर्शन कर धूप-दीप जला कर मंत्र का जाप करें।*
*गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम्।*