🌤️ *मास - चैत्र (गुजरात और महाराष्ट्र अनुसार फाल्गुन*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - एकादशी दोपहर 01:28 तक तत्पश्चात द्वादशी*
🌤️ *नक्षत्र - धनिष्ठा शाम 06:07 तक तत्पश्चात शतभिषा*
🌤️ *योग - साध्य सुबह 09:56 तक तत्पश्चात शुभ*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 11:08 से दोपहर 12:41 तक*
🌞 *सूर्योदय-06:29*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:53*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण -पापमोचनी एकादशी,पंचक (आरंभ : सुबह 07:12)*
💥 *विशेष - 💥 *हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
🌷 *पापमोचनी एकादशी* 🌷
➡ *05 अप्रैल, शुक्रवार को पापमोचनी एकादशी है ।*
🙏🏻 *जो श्रेष्ठ मनुष्य ‘पापमोचनी एकादशी’ का व्रत करते हैं उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । इसको पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है । ब्रह्महत्या, सुवर्ण की चोरी, सुरापान और गुरुपत्नीगमन करनेवाले महापातकी भी इस व्रत को करने से पापमुक्त हो जाते हैं । यह व्रत बहुत पुण्यमय है । *एकादशी महात्मय पुस्तक से*
🌷 *महावारुणी योग* 🌷
🙏🏻 *वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक पुण्यप्रद महायोग है।*
🌷 *आइये देखते हैं विभिन्न शास्त्र क्या कहते हैं*
🙏🏻 *भविष्यपुराण के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यदि शनिवार या शतभिषा से युक्त हो तो वह महावारुणी पर्व कहलाता है | इसमें किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध अक्षय होता है।*
🌷 *चैत्रे मासि सिताष्टम्यां शनौ शतभिषा यदि । गंगाया यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।*
*सेयं महावारुणीति ख्याता कृष्णत्रयोदशी । अस्यां स्नानं च दानं च श्राद्धं वाक्षयमुच्यते ।।*
🌷 *नारदपुराण*
*वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी ।।*
*गंगायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।। ४०-२० ।।*
🌷 *स्कन्दपुराण*
*"वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी। गङ्गायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा॥*
*शनिवारसमायुक्ता सा महावारुणी स्मृता। गङ्गायां यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा॥"*
👉🏻 *एक गोप बालक ने शनिवार को प्रदोष के दिन बिना मंत्र के भी शिव पूजन कर उन्हें पा लिया। शनिवार को प्रदोष व्रत सभी देहधारियों के लिए दुर्लभ है। कृष्णपक्ष आने पर तो यह और भी दुर्लभ है।*
➡ *संतान प्राप्ति के लिए शनिप्रदोष व्रत एक अचूक उपाय है।*
➡ *विभिन्न मतों से शनिप्रदोष को महाप्रदोष तथा दीपप्रदोष भी कहा जाता है। कुछ विद्वान केवल कृष्णपक्ष के शनिप्रदोष को ही महाप्रदोष मानते हैं।*
➡ *ऐसी मान्यता है की शनिप्रदोष का दिन शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अगर कोई व्यक्ति लगातार 4 शनिप्रदोष करता है तो उसके जन्म जन्मांतर के पाप धूल जाते हैं साथ ही वह पितृऋण से भी मुक्त हो जाता है।*