*⛅तिथि - द्वादशी दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा सुबह 06:48 तक तत्पश्चात स्वाती*
*⛅योग - वरियान शाम 07:00 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:18 से 03:49 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:54*
*⛅सूर्यास्त - 07:21*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 12:59 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) एवं त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*द्वादशी को तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
🌹 *निर्जला एकादशी व्रत तोड़ने की विधि:-*
*🌹 01 जून को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके अपना जप का नियम करके फिर सूर्य को लाल फूल डालकर अर्ध्य दें ।*
*🌹 7 भुने हुए चने को बीच से तोड़कर कुल 14 टुकड़े हाथ मे लेकर खड़े हो जाये*
*🌹 (14 टुकड़ों को ) एक टुकड़ा आगे एक पीछे फेंकते जाएं, कि मेरे समस्त पाप संतापों का नाश हो, अंतःकरण शुद्ध हो ॐ ॐ ॐ*
*🌹 कुछ भुने हुए चने खा लें, जिससे जमा हुआ कफ चने के साथ शरीर से बाहर आ जाये ।*
*🌹 उसके बाद गुनगुने पानी मे नीबू की शिकंजी (सेंधा नमक भी अल्प मात्रा में डालें) बनाकर पियें*
*🌹 एक डेढ़ घण्टे बाद बहुत पतली मूँग (बगैर मिर्च मसाले के हल्दी-धनिया डालकर) अथवा मूंग का पानी एक चम्मच घी डालकर खाएं ।*
*🌹 01 जून को पूरे दिन गुनगुना पानी ही पियें तो अच्छा होगा, कोई भी भारी चीज न खाएं, पूरा दिन मूँग ही खाएं तो अतिउत्तम होगा ।*
*🔹धंधे में बरकत एवं घर के क्लेश मिटाने हेतु🔹*
*🔸घर में अगर कोई मुसीबत है, कोई चिंता है, कोई भूत-प्रेत का साया है, बेरोजगारी है अथवा कुछ गड़बड़ है तो ताबीजों में, डोरे-धागों में और अला बाँधू, बला बाँधू.... भूत बाँधू इन झाड़-फूँक करनेवालों के चक्कर में मत पड़ो । पानी सामने रखो और गुरुगीता का पाठ करके पानी में देखो, फिर 'ॐ गुरु, ॐ गुरु...' जप करके वह पानी घर में छिड़को और तुम पियो । इससे काम-धंधे में बरकत चाहिए तो बरकत होती है, घर के क्लेश मिटाने हैं उसमें भी लाभ होता है तथा तुम्हें और कोई विघ्न-बाधा है तो वह भी दूर होती है ।*
*🔹गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*