नई दिल्ली । सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस के बारे में झूठी खबरों-अफवाहों का सैलाब उमड़ पड़ा है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन अफवाहों पर सबसे ज्यादा भरोसा कौन करता है। हावर्ड समेत अमेरिका की चार यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसका जवाब दिया है। उनके मुताबिक, कम उम्र के लोग सबसे ज्यादा भ्रमित हो रहे हैं। वे फर्जी खबरों को जल्दी सच मान लेते हैं और यहां तक कि उसे दूसरे लोगों तक भी पहुंचा देते हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, रटगर्स यूनिवर्सिटी, नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने वायरस के बारे में इंटरनेट पर फैलाए जा रहे 11 सर्वाधिक प्रचारित फर्जी सूचनाओं का अध्ययन किया। सात से 15 अगस्त के बीच 22 हजार युवाओं पर यह सर्वे किया गया। पता चला कि 25 साल की उम्र तक के 18 प्रतिशत युवाओं ने इन फर्जी सूचनाओं को सच मान लिया जबकि 65 की उम्र तक के सिर्फ नौ प्रतिशत लोग ही ऐसी सूचनाओं पर भरोसा किया। 25 से 44 आयु वर्ग के 17 फीसदी लोगों ने इन झूठे दावों पर भरोसा किया जबकि 45 से 64 के आयुवर्ग के सिर्फ 12 फीसदी लोगों ने इसे सही माना। इससे पता चला कि ज्यादा आयु वर्ग के लोगों ने इन दावों को अपेक्षाकृत कम सही माना। चमगादड़ खाने से वायरस फैला साल से कम उम्र के 28% लोगों ने मान लिया कि चमगादड़ खाने से ही वायरस मनुष्यों में फैला जबकि 65 साल के सिर्फ छह फीसदी लोगों ने इस खबर को सही माना। कैसी खबरें-कितना भरोसा वायरस चीन का हथियार वर्ष से कम उम्र के 25 फीसदी युवाओं का मानना था कि वायरस चीन की ओर से बनाया गया एक हथियार है जो प्रयोगशाला में तैयार किया गया, बुजुर्गों में ऐसा मानने वाले आधे थे। संक्रमण बढ़ने की बड़ी वजह शोधकर्ताओं का मानना था कि सिर्फ बुजुर्गों को ही संक्रमण हो सकता है, यह जानकर युवा लापरवाह भी हो गए और बाद में यह संक्रमण बढ़ने की बड़ी वजह बना। अमेरिका के रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, संक्रमित लोगों की औसत आयु 46 तक घटकर अगस्त में 38 वर्ष हो गई जबकि जुलाई व अगस्त में 20 फीसदी मरीज ऐसे मिले जिनकी उम्र 20 से 29 वर्ष के बीच थी।