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बिकते देश में आराम फरमा रहा युवा और कमजोर पड़ा विपक्ष : टिकैत

Updated on 16-03-2021 01:35 PM
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की पहल पर गैर राजनीतिक किसान महापंचायतों का सिलसिला प्रदेश में प्रारंभ हुआ है और बड़े-बड़े किसान नेता प्रदेश में आकर किसानों को केंद्र द्वारा बनाए गए नए कृषि कानून कैसे किसान विरोधी हैं यह समझाते हुए राज्य में आंदोलन के विस्तार का प्रयास कर रहे हैं। रीवा के बाद सिहोरा और फिर जबलपुर में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दस्तक दी। रीवा में टिकैत ने किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए तल्ख  लहजे में कहा है कि नौजवान सो रहा है , वह आराम कर रहा है तथा देश में विपक्ष कमजोर है इसलिए देश बिक रहा है और विपक्ष कुछ नहीं कर पाया है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने ऐलान किया है कि 2021 का साल आंदोलन का साल होगा और मैं आव्हान करता हूं कि सभी मिलकर आंदोलन करें, किसान बिल्कुल पीछे नहीं हटेगा। टिकैत यह बात भली-भांति जानते हैं कि किसी भी आंदोलन की सफलता के लिए छात्रों, युवाओं और तरुणाई की सक्रिय सहभागिता नितांत जरूरी है और इसके बिना कोई भी आंदोलन उस चरम सीमा पर नहीं पहुंच सकता जिसमें सत्ता को गंभीर चुनौती पैदा की जा सके। विपक्ष का सहयोग भी माहौल बनाने के लिए और समर्थन जुटाने के लिए जरूरी होता है क्योंकि सत्तारूढ़ दल या उसके सहयोगी जब किसान महाआंदोलन का विरोध करेंगे तब अपनी जमीन मजबूत करने के लिए और अपनी मांगों को संसद और विधानसभाओं में गुंजायमान करने के लिए केवल विपक्ष ही आगे आ सकता है। 
टिकैत ने युवाओं और तरुणाई में जोश भरने तथा विपक्ष को आक्रामक तथा कारगर भूमिका में लाने के मकसद से ही ऐसा तीखा लहजा अपनाया है ताकि वह इन दोनों को झकझोर सकें। देखने वाली बात यही होगी कि निकट भविष्य में इसका कितना असर पड़ता है और प्रदेश में कोई मजबूत किसान आंदोलन खड़ा हो पाता है या नहीं। दावे तो दावे हैं दावों का क्या?  किसान यूनियन के नेताओं का दावा है कि रीवा की किसान महापंचायत में 40 हजार से अधिक किसान शामिल हुए। रीवा की करहिया मंडी में रविवार 14 मार्च को हुई किसान महापंचायत में सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, सिंगरौली, उमरिया, पन्ना और अनूपपुर आदि से हजारों की संख्या में आए किसानों ने भाग लिया। टिकैत ने यह कहते हुए कि महिलाएं सोने के आभूषण तीज, त्यौहार शादी आदि समारोह में साल में 17 बार पहनती हैं जबकि लोगों को भूख दो टाइम लगती है और साल भर में सात सौ बार भूख लगती है, आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसी भी पार्टी की नहीं अपितु व्यापारियों की सरकार है। उन्होंने कहा कि  डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे हैं और उन्होंने भी किसानों को बुलाकर बातचीत की थी। जब गेहूं की पैदावार कम हुई तो उन्होंने किसानों को बुलाया और महेंद्र सिंह टिकैत से  बात की। उन्होंने किसानों को भरोसे में लिया और यही कारण है कि आजकल देश में गेहूं की कमी नहीं होती है।
कांग्रेस को आजाद, शर्मा नहीं अजमल चाहिए - शिवराज
          मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने असम की चुनावी सभाओं में पूर्व कांग्रेस  अध्यक्ष सांसद राहुल गांधी पर जिन्ना के रास्ते पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस को गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा नहीं बल्कि अजमल चाहिए। आज सोमवार को भाजपा के 3 उम्मीदवारों के समर्थन में वोट मांगते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने असम में विकास नहीं घुसपैठिए दिए हैं जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के नेतृत्व में राज्य विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए असम सहित पूर्वोत्तर राज्यों में घुसपैठ, बेरोजगारी और भुखमरी का जिम्मेदार कांग्रेस को बताते हुए कहा कि वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद इन राज्यों को कांग्रेस ने क्या दिया..? उन्होंने आरोप लगाया कि यह  महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाली कांग्रेस नहीं है तथा राहुल, प्रियंका के नेतृत्व कांग्रेस इतिहास बनकर रह जायेगी। शिवराज ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस भूमि पर मुगलों ने 17 बार आक्रमण किया हो, बार-बार उन्हें यहां के वीरों ने धूल चटाई हो, उस असम की भूमि को कांग्रेस ने घुसपैठियों की आश्रय स्थली बनाकर छोड़ दिया और घुसपैठियों को आने दिया तथा विभिन्न जातियों को आपस में लड़ाकर खून खराबा करवाया।कांग्रेस ने वर्षों राज किया लेकिन असम और यहां की जनता को भुखमरी, बेरोजगारी और घुसपैठ के अलावा कुछ नही दिया है तथा असम को गर्त में ले जाने का काम कांग्रेस ने किया है।
और अंत में...........
आज सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुई अनुशासन समिति की बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व महासचिव तथा मीडिया विभाग के पूर्व अध्यक्ष मानक अग्रवाल को 6 साल के लिए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करते हुए पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशासन चंद्रप्रभाष शेखर ने इस संबंध में विधिवत आदेश जारी कर दिए हैं। मानक अग्रवाल ने इस कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मुझे कांग्रेस से निकालने वाले ये कौन होते हैं और यह मुझे निकाल भी नहीं सकते क्योंकि मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का निर्वाचित सदस्य हूं। मुझ पर कार्रवाई करने का प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पास कोई अधिकार नहीं है। मानक का कहना है कि मैं 50 साल से कांग्रेस का सदस्य हूं और कांग्रेस में ही रहूंगा। भाजपा के प्रदेश सचिव रजनीश अग्रवाल ने कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया है कि जो कांग्रेसी नेता कल तक मानक भाई के बयान को आंतरिक लोकतंत्र का उदाहरण बताकर अपनी पीठ  थपथपाया करते थे, आज वे मुंह छुपा रहे हैं? मानक भाई पर यह सटीक बैठता है कि 'हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग, रो-रो कर बात करने की आदत नहीं रही '। मानक भाई का निष्कासन कांग्रेस के भीतर  अराजकता उजागर करता है। मानक भाई के अनुसार उन्हें बाहर करने का अधिकार इन्हें नहीं है फिर आखिर माजरा क्या है? क्या अब अरुण यादव जी की बारी है?
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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