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शराबबंदी को लेकर तू डाल- डाल तो मैं पात-पात की सियासत

Updated on 07-02-2021 12:51 PM
 मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को सामाजिक चेतना जागृत कर शराबबंदी तथा नशाखोरी की आदत छुड़ाने के लिए  व्यापक विमर्श करने का ऐलान किया है। इसके लिए सामाजिक आंदोलन छेड़ने की बात कुछ दिन पहले भी वे कर चुकी हैं। उसके बाद तत्काल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में कोई नयी शराब की दुकान ना खोलने  का  निर्देश दिया  और आबकारी आयुक्त ने कलेक्टरों से नई दुकान खोलने के लिए जो प्रस्ताव मंगाए थे  वह परिपत्र वापस ले लिया। अब व्यापक विमर्श की बात उमा ने की है।  शायद शिवराज ने इस पैंतरे को  भांपते हुए 4 फरवरी को रतलाम  से समूचे राज्य में नशा मुक्ति अभियान का बिगुल फूंकते हुए  बाकायदा नशामुक्ति के लिए लोगों को संकल्प भी दिलाया। चूंकि  यह एक सामाजिक बुराई है इसलिए उन्होंने सामाजिक स्तर पर अभियान छेड़ दिया। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर कहां पीछे रहने वाली थी, उमा के अभियान का समर्थन पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कर दिया। वैसे देखा जाए तो उमा ने सामाजिक आंदोलन के सहारे प्रदेश और केंद्र की राजनीति में अपनी भूमिका तलाशने की शुरुआत की है। ऐसा लगता है कि शराबबंदी को लेकर प्रदेश में अब "तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की" की सियासत  परवान चढ़ने वाली है जिसमें कोई भी किसी से पीछे नहीं रहना चाहता है। हालांकि उमा ने साफ कर दिया है कि वह इसके लिए सरकार पर कोई अनुचित दबाव नहीं डालेंगी। वैसे फिलहाल उमा भारती शिवराज के लिए कोई राजनीतिक मुसीबत खड़ा नहीं करना चाहती हैं । शायद वह तो केवल सामाजिक आंदोलन चलाकर अपने लिए कुछ जगह बनाना चाहती हैं जिससे कि वह प्रादेशिक फलक पर लगातार अपनी उपस्थिति महसूस कराती रहें।
जहां तक उमा का सवाल है उन्होंने अभी कुछ दिन पहले ही प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी के लिए सामाजिक आंदोलन की बात कही है और वे प्रदेश की ऐसी पहली राजनेता भी नहीं है जिन्होंने  यह मांग की हो। कई सामाजिक संगठन  तथा राजनीतिक दल यदा-कदा  ऐसी मांग करते रहे हैं।   शिवराज ने तो काफी पहले से इसके लिए सामाजिक जागृति की पहल की थी। उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री अपने तीसरे कार्यकाल में साल 2017 में जन जागरण अभियान चलाया था तथा प्रथम चरण में पवित्र धार्मिक नदी नर्मदा के तट से 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाली लगभग 60 दुकने बंद भी कराई थीं। इसके बाद कोई नई शराब की दुकान शिवराज के कार्यकाल में नहीं खुली है। उमा ने शराबबंदी के लिये मैदान में  उतरने का संकेत देकर फिलहाल  शिवराज सरकार को नैतिक दुविधा में तो एक प्रकार से उलझा ही दिया है।  वैसे उमा भारती ने पहले जो कुछ कहा था उसमें थोड़ा बदलाव आता दिख रहा है क्योंकि पहले उन्होंने  शराबबंदी के लिए सामाजिक आंदोलन चलाने की बात कही थी और अब वह नशाबंदी के खिलाफ जागरुकता पैदा करने के लिये बड़े और व्यापक विमर्श की बात कर रही हैं। इससे नशाबंदी अभियान काफी  व्यापक दायरे में आ जाता है  क्योंकि इसमें हर प्रकार की  नशाखोरी को रोकना शामिल होता है। आजकल तो शराब से अधिक घातक नशीले पदार्थों का प्रचलन बढ़ रहा है तथा हुक्का बार की आड़ में यह कारोबार अवैध ढंग से हो रहा है। वैसे भी जिन-जिन राज्यों ने पूर्ण शराबबंदी की है वहां अवैध शराब और स्वास्थ्य के लिए अधिक घातक नशीले पदार्थों का चोरी छुपे धंधा फलने-फूलने लगता है। उमा ने कुछ दिन पहले ही राज्य में पूर्ण शराबबंदी की बात जोरशोर से  उठाई थी तथा सभी भाजपा शासित राज्यों में ही इसकी जरूरत बता दी थी।भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की थी कि भाजपा शासित राज्य सरकारों को शराबबंदी की दिशा में प्रयास करना चाहिए।
8 मार्च को व्यापक विमर्श की पहल
आठ मार्च को उमा भारती जो व्यापक विमर्श का आयोजन कर रही हैं वह उनके पुराने तेवरों से कुछ भिन्न है क्योंकि अब वह सफाई की मुद्रा में कह रही हैं कि  उनकी मुहिम सरकार का विरोध नहीं है। लेकिन सियासी गलियारों में यह धारणा है कि उमा भारती की मुहिम यदि  मध्यप्रदेश में ही परवान चढ़ी तो राज्य सरकार को खासी मुश्किल हो सकती है। यदि आबकारी से होने वाले राजस्व को देखा जाए तो शराब के लाइसेंस से सरकार को करीब बारह हजार करोड़ रूपये का राजस्व मिलता है। यह राज्य सरकार के लिए आय का बहुत बड़ा साधन है। उमा भारती यह सब जानती हैं इसलिए वैकल्पिक संसाधनों से आय बढाने की दलील दे रही हैं। ऐसा नहीं है कि शराबबंदी की मांग शिवराज सरकार के दौरान की गई है अपितु कांग्रेस की  दिग्विजय सिंह सरकार के समय तत्कालीन उपमुख्यमत्री सुभाष यादव ने भी शराबबंदी का राग छेड़ा था। बाद में शिवराज सरकार के वक्त भी इसके लिये सुभाष यादव ने पत्र लिखा था। अब जब उमा भारती ने मांग उठाई तो उन्हें   सुभाष यादव के पुत्र पूर्व  केंद्रीय मंत्री तथा पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने साथ देने में जरा भी देरी नहीं की। अरुण यादव ने उमा भारती के आठ मार्च के प्रस्तावित आयोजन को लेकर कहा कि शराबबंदी की मांग को लेकर मेरे पिता सुभाष यादव ने सरकार का अंग रहते हुए सार्वजनिक आंदोलन किया था। इसके बाद उमा दीदी ने प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, दुष्कर्म और हत्याओं का प्रमुख कारण शराब और अन्य नशीले पदार्थों को जिम्मेदार ठहराया है।मैं व्यक्तिगत तौर पर उनका पूर्ण समर्थन करता हूं। यदि वे छोटे भाई के रूप में मुझे कोई आदेश देंगी, तो मैं उसका पालन करने के लिए तत्पर रहूंगा। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने उमा भारती के आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा है कि वे हमारी नेता हैं और शराबबंदी के लिए जो अभियान शुरू करेंगी वह सामाजिक चेतना और जनजागरण का अभियान है।  
उमा की शिवराज को पाती
इस व्यापक विमर्श अभियान को लेकर गलतफहमी ना हो इस दृष्टि से उमा ने शिवराज को एक पत्र लिखा है। अब उन्होंने अपनी मुहिम को ज्यादा स्पष्ट कर दिया है ताकि यह किसी राजनीतिक  विवाद में उलझकर न रह जाए। उन्होनें मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि प्रदेश में नशाखोरी और शराबखोरी के खिलाफ अभियान चलना चाहिए। मैं इस पत्र को सार्वजनिक करूंगी ताकि गलतफहमी न पैदा की जा सके।जिन लोगों ने मुझसे संपर्क किया है, उनसे आग्रह किया गया है कि इस विषय पर राजनीतिक वक्तव्य नहीं होना चाहिए। सरकार पर अनुचित दबाव बनाने की चेष्टा भी नहीं होनी चाहिए। इस दिशा में आठ मार्च को विमर्श किया जाएगा।
और यह भी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपराधियों और माफियाओं के विरुद्ध अभियान छेड़े हुए हैं और चेतावनी देते  नजर आते हैं, 10 फीट गहरे गड्ढे में गाड़ दूंगा। हाल के दिनों में सरकारी  अमले हमले की घटनाएं  हुई हैं । उसको लेकर ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने  ट्वीट करते हुए तंज किया है कि शिवराज सरकार में प्रदेश में माफियाओं के हौसले बुलंद हैं, ना माफिया ज़मीन में गढ़ रहे हैं, ना टंग रहे हैं, ना निपट रहे हैं, सारी बातें जुमला साबित हो रही हैं। प्रदेश में प्रतिदिन माफ़ियाओ द्वारा पुलिस पर, सुरक्षा कर्मियों पर हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं। रेत माफिया, वन सहित  सभी तरह के माफिया सक्रिय हैं। शिवराज जी प्रतिदिन माफियाओं को लेकर बड़े-बड़े जुमले बोलते हैं लेकिन माफिया प्रदेश में उनकी सरकार को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं।
इन घटनाओं से यह साबित हो रहा है कि सरकार माफ़ियाओ के सामने असहाय स्थिति में है। पता नहीं माफियाओं को लेकर शिवराजजी आजकल कौन से मूड में है ? हमारा नारों, जुमलों में विश्वास नहीं था इसलिये हमने ज़मीनी कार्यवाही करते हुए प्रदेश में माफ़ियाओ को कुचलने व नेस्तनाबूद करने का अभियान चलाया था। उसकी गवाह ख़ुद प्रदेश की जनता है।   मैदानी अमले पर हुए   माफियाओं के हमले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक्शन में आ गए और उन्होंने उच्च अधिकारियों को  तलब किया तथा इन हालातों पर सख्त नाराजगी जताई। उन्होंने गृह वन और राजस्व विभाग के अमले को संयुक्त कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए  कहा कि देवास के वन कर्मी को शहीद  के समकक्ष दर्जा देने  साथ ही उसके परिवार को आवश्यक सुविधाएं  दी जाएंगी।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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