मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गए हैं तथा आदिवासी वर्गों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश जहां दोनों ने तेज कर दी हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा के बूथ सशक्तीकरण के प्रत्युत्तर में अब कांग्रेस ने यूथ जोड़ो-बूथ जोड़ो अभियान छेड़ दिया है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में दोनों दलों की सियासी गतिविधियां जहां परवान चढ़ेंगी तो वहीं आम आदमी पार्टी भी पूरी सक्रियता से इनके द्वारा फुलाये जा रहे गुब्बारे में पिन चुभोने के लिए आतुर नजर आ रही है और इसके लिए उसकी राजनीतिक गतिविधियां भी तेज हो गयी हैं। राम पथ गमन को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस में श्रेय लेने की होड़ लग गई है। प्रदेश के 46 नगरीय निकायों में चुनाव का बिगुल बज चुका है और 27 सितम्बर को यहां पर मतदान होगा तथा 30 सितम्बर को परिणाम आयेंगे जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कार्यक्रम घोषित कर दिया है। पांच सितम्बर सोमवार को इसके लिए अधिसूचना जारी होगी। चूंकि यह नगरीय संस्थाएं प्रदेश के हर अंचल से हैं इसलिए पूरे प्रदेश में चुनावी माहौल गरमायेगा।
आदिवासी वर्ग को साधने के लिए भाजपा ने अनेक कार्यक्रम किए हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन वर्गों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली कुछ योजनाओं पर गंभीरता से अमल आरम्भ कर दिया है। यही कारण है कि अब कांग्रेस भी मैदान में उतर रही है और उसने इसकी कमान पूर्व मंत्री और युवा विधायक ओमकार सिंह मरकाम को सौंप दी है, उन्होंने अनुसूचित जनजाति विभाग के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया है और साथ ही आदिवासी इलाकों में अपनी सक्रियता भी बढ़ा दी है। प्रदेश युवक कांग्रेस ने अपना यूथ जोड़ो-बूथ जोड़ो अभियान भी अमरकंटक से आरम्भ किया है जिससे यह बात साफ हो जाती है कि आदिवासी वर्ग में वह अपनी पैठ और अधिक बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इस प्रकार अगले साल होने वाले विधानसभा और उसके कुछ माह बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की चुनौतियों के मद्देनजर अभी से राजनीतिक दल लामबंद हो रहे हैं। फिलहाल तो भाजपा और कांग्रेस की गतिविधियां अधिक नजर आ रही हैं जबकि आम आदमी पार्टी अपना संगठन तैयार करने में लगी है। जहां तक सत्ताधारी दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का सवाल है इनका लक्ष्य मतदान केंद्रों को सशक्त और मजबूत करने का है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का यह मानना है कि असली चुनावी लड़ाई मतदान केंद्रों पर ही लड़ी जाना है इसलिए उन पर ही सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। भाजपा बूथ सशक्तीकरण अभियान के माध्यम से प्रत्येक मतदान केंद्र पर विभिन्न स्तरों पर अपनी गतिविधियां संचालित कर रही है तो उसके जवाब में युवा कांग्रेस ने यूथ जोड़ो-बूथ जोड़ो अभियान का आगाज 30 अगस्त को अमरकंटक से कर दिया है। इसकी निगरानी के लिए विधानसभा प्रभारी भी नियुक्त किए जा रहे हैं। चूंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों इस समय प्रदेश में मजबूत हैं इसलिए वह मानती हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांटे की लड़ाई मतदान केन्द्रों पर होना है।
इस समय कांग्रेस यदि यह कहा जाए कि करो या मरो की स्थिति में है तो अतिशियोक्ति नहीं होगी, क्योंकि डेढ़ दशक बाद जो सत्ता उसके हाथ आई थी वह डेढ़ साल में ही उसके हाथ से फिसल गई और इसकी टीस तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को है इसलिए वह मैदानी स्तर पर कांग्रेस को मजबूती देने के प्रयासों में भिड़ गए हैं। कांग्रेस का यूथ जोड़ो-बूथ जोड़ो अभियान युवा कांग्रेस ने प्रारम्भ किया है तथा विक्रान्त भूरिया इसे मतदान केन्द्र तक पहुंचाने के अभियान में भिड़े हुए हैं। उनका कहना है कि अगले तीन माह में 230 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान केन्द्र स्तर पर टीम बनाने का लक्ष्य है और सभी सदस्यों का ब्यौरा संगठन के पास रहेगा, निगरानी जिला प्रभारी करेंगे जिन्हें भोपाल में प्रशिक्षण दिया जायेगा। भाजपा ने तो यह काम काफी पहले आरम्भ कर दिया था और अधिकांश मतदान केंद्रों पर उसकी टीमें बन चुकी हैं। भाजपा बूथ सशक्तीकरण के अभियान को काफी पहले ही प्रारम्भ कर चुकी है, और अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने इस बात पर जोर दिया है कि आने वाले हर चुनाव में पार्टी का लक्ष्य 51 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करना है। अब युवा कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है। कांग्रेस पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित युवाओं को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है और उन्हें नये सदस्य बनाने का काम करना होगा। मतदाता सूची में पात्रों के नाम जुड़वाने और अपात्रों के नाम हटवाने के लिए मतदान केंद्रों पर अधिकारियों के संपर्क में रहने के साथ ही विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों पर उन्हें नजर भी रखनी होगी। प्रदेश में 5 करोड़ 35 लाख 95 हजार 441 कुल मतदाता हैं जिनमें 18 से 19 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 10 लाख 18 हजार 635 है तो वहीं 20 से 29 वर्ष के आयु वाले मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 32 लाख 99 हजार 641 तथा 30 से 39 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 42 लाख 83 हजार 524 है और 40 से 49 वर्ष तक के मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 6 लाख 1 हजार 914 है। यही कारण है कि कांग्रेस भी अब भाजपा की तरह इस मामले में अधिक गंभीरता दिखा रही है। 50 से 59 वर्ष वाले कुल 73 हजार 557 मतदाता हैं जबकि 60 से 69 वर्ष के 42 लाख 59 हजार 339 और 70 से 79 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 20 लाख 31 हजार 903 है। 80 से 89 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 6 लाख 22 हजार 506 और 90 से 99 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 97 हजार 921 है। अपनी आयु सीमा का शतक बना चुके मतदाताओं की संख्या सबसे कम 6 हजार 861 है।
*सिद्धा पहाड़ पर नहीं होगा उत्खनन*
श्रीराम वन गमन पथ के मार्ग में आने वाले सिद्धा पहाड़ को लेकर वहां होने वाले खनन के मुद्दे पर इससे पूर्व कि यह कोई बड़ा मुद्दा बने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हमेशा की तरह एक चतुर सुजान राजनेता होने का परिचय देते हुए निर्देश दिया है कि सिद्धा पहाड़ पर कोई खनन नहीं होगा, इस प्रकार सरकार ने उस पर रोक लगा दी है। सतना जिले के चित्रकूट के पास श्रीराम वन गमन पथ पर स्थित सिद्धा पहाड़ पर पर्यावरणीय अनुमति के लिए 30 सितम्बर को लोक सुनवाई आयोजित होनी थी जिसको लेकर भाजपा व कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने आपत्ति जताते हुए जन आंदोलन की चेतावनी दी थी। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को यह प्रक्रिया रोकने का निर्देश दिया है। उनका कहना है कि किसी भी कीमत पर उत्खनन नहीं होगा क्योंकि सिद्धा पहाड़ जैसी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर के स्थान जो हमारी आस्था व श्रद्धा के केंद्र हैं उनकी पवित्रता को अक्षुण्य रखा जायेगा। इस क्षेत्र में बाक्साइट, लेटराइट, ओकर एवं व्हाइट अर्थमाइन के उत्खनन के लिए एक एजेंसी ने लोक सुनवाई करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आवेदन दिया था। खदान स्थल के पास सिद्धा कोटार में लोक सुनवाई प्रस्तावित की थी, इस प्रक्रिया पर चित्रकूट से कांग्रेस विधायक नीलांश चतुर्वेदी और मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने इसे हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं पर चोट करार देते हुए प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी कहा था कि सरकार व्यावसायिक हितों के लिए जन आस्था व धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। नारायण त्रिपाठी ने 30 सितम्बर से पदयात्रा करने की घोषणा की थी और स्थानीय स्तर पर भी विरोध के स्वर उभर रहे थे।
*और यह भी*
जिस सिद्धा पहाड़ पर खनिज उत्खनन किए जाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रोक लगाई उसके बारे में स्थानीय लोगों का मानना है कि यह पहाड़ भगवान श्रीराम के वन गमन पथ का महत्वपूर्ण पड़ाव था इसका उल्लेख श्रीरामचरित मानस में भी मिलता है। इसके अनुसार श्रीराम अपने वनवास के दौरान जब चित्रकूट से आगे बढ़े तो रास्ते में हड्डियों के ढेर को देख कर प्रश्न किया तब उनको बताया गया था कि ये उन सन्त-महात्माओं की अस्थियां हैं जिनका राक्षसों ने वध कर दिया। तब श्रीराम ने इसी जगह पर प्रण किया था कि वे राक्षसों का समूल नाश करेंगे।
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