यमराज को मासूम बच्ची की माँ के प्राण निकालते हुए ज़रा सी भी दया नहीं आई
Updated on
16-05-2021 02:21 PM
दिल बोला आँख से
तुम देखा करो कम,
देखते हो तुम तड़पते हैं हम ।
आँख बोली दिल से
तुम सोचा करो कम,
सोचते हो तुम रोते हैं हम ।।
मासूम बेटी रोती रही,माँ मौत की नींद सोती रही,मासूम बच्ची को समझ में नहीं आ रहा था,आज माँ को क्या हो गया,वह मेरी एक आवाज़ पर उठ कर मुझे सीने से लगा लेती थी और मुझे दूध पिलाने लगती थी,आज माँ ऐसे कैसे सो रही है,जो मेरे रोने की आवाज़ से नहीं उठ रही,मासूम रोती रही,माँ मौत की नींद सोती रही,भूख से मासूम तड़पती रही,कभी माँ का आंचल पकड़ कर खींचती,तो कभी माँ की उंगली मुंह में लेकर थोड़ी देर चुप हो जाती,कभी पंखे को देखकर खेलने लगती,उस मासूम को नहीं मालूम था,माँ ऐसी नींद सो रही है, उस नींद से कोई भी इंसान नहीं उठ पाता,दो दिन तक मासूम रोती रही,उसके कपड़े गंदे और गीले हो गए, दो दिन तक मासूम गंदे कपड़ों में पड़ी रही,रोती रही,भूख से तड़पती रही,किसी पड़ोसी का दिल मासूम के रोने की आवाज़ से नहीं पिघला,किसी पड़ोसी ने इतनी ज़ेहमत नहीं की कि पड़ोस के फ्लैट में झांक कर बच्ची को देख ले ,जो लगातार दो दिन से रो रही,फ्लैट से केवल बच्ची के रोने की आवाज़ आ रही थी,बच्ची के माँ की आवाज़ दो दिन से फ्लैट से नहीं आ रही थी । जब फ्लैट से दुर्गंध बाहर निकलने लगी तो पड़ोसियों को होश आया और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी,जब पुलिस ने फ्लैट को खोला तो फ्लैट के अंदर का दृश्य देख कर पुलिस वालों की आंखों से आँसू बहने लगे,माँ बिस्तर पर मृत पड़ी थी और उसकी मासूम बच्ची माँ से चिपकी हुई लेटी थी,माँ का शरीर सड़ना शुरू हो गया था,जिसकी वजह से पूरे कमरे में दुर्गंध आ रही थी। महिला कांस्टेबल ने बच्ची को जैसे ही गोद में उठाया बच्ची को ऐसा लगा कि उसको माँ ने गोद में उठा लिया हो, बच्ची महिला कांस्टेबल की छाती के चिपक गई,उसको लगा माँ की नींद खुल गई,मासूम के चेहरे पर ऐसा सुकून दिखा जैसे उसकी आवाज़ ऊपर वाले ने सुन ली हो और उसने उसकी माँ को वापस भेज दिया हो,कॉन्स्टेबल की छाती से चिपकी हुई थी,अब उसको भूख की फिकर भी नहीं थी, महिला कांस्टेबल मासूम के लिए दूध लेकर आई मासूम बच्ची ने दूध को इतने चाव से पिया जैसे कि वे दुनिया की सबसे स्वादिष्ट चीज़ पी रही हो ।
यह घटना महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ दिघी इलाके की है,पति किसी काम के सिलसिले में उत्तर प्रदेश गया हुआ था और लॉक डाउन के कारण वहां फंस गया, पत्नी और बेटी को छोड़ कर गया था,इस बीच पत्नी की तबीयत खराब हुई माँ अपनी बेटी को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चली गई । इसलिए मैं बोलता हूँ,आओ अब हम इंसान बन जाए,इंसानियत मर गई है,धर्मों का बोलबाला है, इंसान धर्म के लिए कुछ भी करने को तैयार है पर चुनिंदा ही लोग हैं,जो आज भी धर्म से ऊपर उठकर लोगों की मदद मे लगे हुए हैं । इस महामारी ने हमारी कमर तोड़ दी है और अब हमारा हौसला भी धीरे-धीरे टूट रहा है लोगों की असमय मृत्यु ने हम को झकझोर कर रख दिया है,इसलिए दिल बोलता है,आँख से तुम ग़म देखा करो कम,देखते हो तुम तड़पते हैं हम, आँख ने भी दिल से बोला तुम ग़मो को सोचा करो कम सोचते हो तुम रोते हैं हम ।
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