अदभुत,आश्चर्यजनक किंतु सत्य, हमारा देश महान और हमारे देश में भगवान ने कुछ लोगों को ऐसी क़िस्मत से नवाज़ा हैं,जिसको देखकर मुख से यही शब्द निकलते हैं,विचित्र किंतु सत्य। यह जनसेवक चुनाव जीतने के बाद सांसद,विधायक,पार्षद या सरपंच बन जाते हैं,यह जन सेवक चुनाव जीतने के बाद जनसेवक तो नहीं रहते पर परिवार एवं रिश्तेदारों के सेवक बन जाते हैं,इन सेवकों को हम अलग-अलग नामों से बुलाते हैं,सबसे बड़े जनसेवकों को सांसद के नाम से जानते है,उनसे छोटे जन सेवकों को हम विधायक के रुप में पहचानते हैं, और सबसे छोटे जनसेवकों को पार्षद,सरपंच के नाम से बुलाते हैं,सांसदों और विधायकों की महीने भर की पगार लाखों में,अगर निरक्षर भी हो,तो चलेगा,यह दुनिया की पहली नौकरी है,जहां पर पढ़ाई लिखाई का कोई बंधन नहीं,एक दिन के विधायक हो या सांसद,जब तक जीवित रहेंगे पेंशन के हकदार बने रहेंगे,ऊपरवाला ना करें,अगर भगवान को प्यारे हो जाए,तो उनकी पत्नी या पति आधी पेंशन के हकदार रहेंगे,बस एक बार चुनाव जीत जाओ,जिंदगी भर ऐश से गुजारो,जैसे मैंने ऊपर लिखा था,अदभुत, विचित्र किंतु सत्य क्या आप सोच सकते हैं,हमारे देश में उच्च शिक्षा मंत्री निरक्षर भी बन सकता है,जिसने कभी डॉक्टरी की पढ़ाई नहीं की हो वह व्यक्ति भी स्वास्थ्य मंत्री बन सकता है,जिसने कभी खेत खलियान ना देखे हो जिसने कभी खेती ना की हो वह व्यक्ति कृषि मंत्री भी बन सकता है,सेवानिवृत्त की कोई आयु नहीं जब तक जीभ चलती रहे,चुनाव लड़ते रहो,चुनाव जीतते रहो,जनसेवक बनते रहो,इसलिए मैं कहता हूं विचित्र किंतु सत्य। वाह रे वाह भगवान तूने भी कुछ लोगों की क्या किस्मत बनाई है,बनवा दिया तूने कुछ को सांसद विधायक और पढ़े लिखे युवाओं के नसीब में बेरोजगारी और कंगाली आई है, मुट्ठी भर सांसद,विधायक 130 करोड़ जनता को उंगलियों पर नचाते हैं, इन जनसेवकों के पास काम धाम कुछ नहीं,भूख हड़ताल,धरना प्रदर्शन की नौटंकी कर 130 करोड़ जनता की खून पसीने की कमाई को धरना प्रदर्शन में गंवा देते हैं,संसद को ना चलने देते और नाही विधान सभा में उपस्थित होते,जनता के अहम मुद्दों को ना उठाते,ना ही उन मुद्दों पर बहस करते और गरीब जनता को मूर्ख बनाते, लोकसभा और विधानसभा के सत्र का एक दिन का खर्चा लाखों और करोड़ों में आता है पर यह जनसेवक पूरे सत्र को धरना और प्रदर्शन के नाम पर चौपट कर देते हैं,ग़रीब जनता की भावनाओं से खेलना इन सेवकों के लिए एक आम बात हो गई है,आपको पता है इन सेवकों की महीना भर की पगार और सरकार के द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे,निरक्षर हो या पढ़े लिखे विधायक वेतन और भत्तों में अधिकारियों से बहुत आगे,हमारे देश में नेताओं के लिए शिक्षा का कोई मानक नहीं है। यही कारण है कि कम पढ़े लिखे नेता भी विधायक बन आईएएस अफसरों से ज्यादा पगार पा रहे हैं। अगर कोई विधायक अपने पांच साल पूरे करता है तो उसे 10000 हजार रुपए मूल पेंशन दी जाती है। इसमें 5000 रुपए डीपी जोड़ा जाता है। 1500 रुपए प्रति वर्ष के हिसाब से इनसेंटिव दिया जाता है। यानी पांच वर्ष के 7500 रुपए हुए। मूल पेंशन पर 234 प्रतिशत महंगाई भत्ता जोड़ा जाएगा अर्थात 23400 रुपए महंगाई भत्ता हुआ। इस हिसाब से एक टर्म पूरा करने वाले विधायक की पेंशन 45,900 रुपए हो जाती। विधायको की पगार एवं भत्ते तेलंगाना 2.50 लाख,दिल्ली 2.10 लाख,उत्तर प्रदेश1.87 लाख,महाराष्ट्र 1.70 लाख,जम्मू कश्मीर 1.60 लाख उत्तराखंड 1.60 लाख,आन्ध्र प्रदेश 1.30 लाख,हिमाचल प्रदेश1.25 लाख राजस्थान 1.25 लाख,गोवा 1.17 लाख हरियाणा,1.15लाख,पंजाब1.14 लाख,झारखण्ड 1.11 लाख मध्य प्रदेश2.10 लाख,छत्तीसगढ़1.10 लाख, बिहार1.14 लाख,पश्चिम बंगाल1.13 लाख। विधायक को विधायक निधि के रूप में 5 साल के अन्दर 7.5 करोड़ रुपये मिलते हैं, इसके अलावा विधायक को वेतन के रूप में लाखो रुपए महीना, 24 हजार रुपये डीजल खर्च के लिए, 6000 पर्सनल असिस्टेंट रखने के लिए,मोबाइल खर्च के लिए 6000 रुपये और इलाज खर्च के लिए 6000 रुपये मिलते हैं.सरकारी आवास में रहने,खाने पीने,अपने क्षेत्र में आने-जाने के लिए अलग से खर्च मिलता है, इन सभी को मिलाने पर विधायक को पगार के अलावा हर माह कुल 1.87 लाख रुपये मिलते हैं । इसलिए मैं कहता हूं भगवान मुझे भी ऐसी नौकरी दिला दे, मुझको भी विधायक या सांसद बना दे।
*मुफ्त का बंगला,*
*मुफ्त की गाड़ी,*
*मुफ्त की बिजली,*
*और मुफ्त का पानी।*
*जन सेवकों को आदत*
*लग गई बड़ी सुहानी ।।*
मोहम्मद जावेद खान ,लेखक,संपादक भोपाल मेट्रो न्यूज़
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