विश्व पुरुष प्रधान से निकलकर महिला - पुरुष समानता की ओर बड रहा है। महिला वर्ग हर क्षेत्र में आगे आ रहा है राजनीति, व्यापार, इंडस्ट्रीज और अंतरिक्ष में जाने वाले यात्री से लेकर सेना और एयरफोर्स में भी महिलाओं की मान्यता आ गई है। परंतु हम आम महिला की बात करें तो अधिकतर उसमें गृहणी है और वह अपना पूरा जीवन घर परिवार के लिए जीती है उनमें कई टैलेंटेड भी है पर वह शादी के बाद सबकुछ भुलकर यह मानती हैं कि उनकी दुनिया उनका घर ही है। माना कि आप की दुनिया आपका घर है परंतु यह आप घर में रहकर भी अपनी कला अपने हुनर को जागृत रखें, अपनी इच्छा है दबाए नहीं। अपने स्वास्थ्य और हेल्थ के प्रति जागरूक रहें अधिकतर महिलाएं मोटापन की शिकार है और उनको घुटने की तकलीफ है। जब से मॉडर्न युग का किचन बना तब से यह बीमारी बड़ी है। पुराने जमाने में महिलाएं घर का झाड़ू पोछा, घट्टी पीसना, तालाब पर जाकर कपड़े धोने से अपने आप से एक्सरसाइज होती थी परंतु आजकल घरेलू महिलाओं की एक्सरसाइज कम हो गई और वह योग - ध्यान भी नहीं करती है। एक बात अच्छी है अब कई महिला मंडल के ग्रुप बन गए जैसे बीसी ,भजन मंडली, सोशल ग्रुप आदी के जरिए वे आपस में मिलती है मीटिंग करती हैं देश विदेश यात्राएं करती हैं और अपने हुनर के जरिए कुछ कार्य भी करती है। इन महिलाओं का आदर्श मानकर अन्य महिलाओं ने स्वयं आगे आने की प्रेरणा लेना चाहिए।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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