नागरिक अधिकार आपके संविधान में लिखे हैं भारत करीब 135 करोड़ लोगों की आबादी वाला देश है लेकिन उसमें पढ़े लिखो कि यदि आप गणना करेंगे तो वह बहुत कम है एक तरह से कह सकते हैं कि यह अनपढ़ देश है क्योंकि यहां कई पढ़े-लिखे भी अनपढ़ है। संविधान कितने लोगों ने पढ़ा है या कितने लोगों को संविधान पढ़ाया गया यह विचार किसी के मन में नहीं आया। जबकि होना यह चाहिए कि हर व्यक्ति को संविधान पढ़ने को मिलना चाहिए या उसे निश्चित रूप से पढ़ाना चाहिए। जिस देश में जिस समाज में शिक्षित व्यक्ति होंगे वह निश्चित रूप से शांतिप्रिय सबके सभ्य एवं सार्वजनिक रूप से व्यवहारिक जीवन जीने वाला समाज या देश होता है। जब तक अनपढ़, अंध भक्तों और चमचागिरी करने वाले है लालची नेता और धर्मगुरु उनका शोषण करते रहेगे। आप को दंड संहिता की जानकारी नहीं होने का भ्रष्टाचारी पुलिस पूरा पूरा फायदा उठाती है आपको मालूम ही नहीं है किस धारा में आपके ऊपर केस बनाया है। बेईमान वकील भी आपके पास जानकारी नहीं होने का भरपूर फायदा लेंगे। कहने का मतलब है कि जब तक समाज में अनपढ़ या कम पढ़े लिखे होंगे या जो पढ़े लिखे भी होंगे पर उन्हें संविधान और कानून की कोई माहिती नहीं होगी उन सब का शोषण होता रहेगा। शासन को कोई ऐसी नीति बनाना चाहिए जिससे संविधान और कानून की बेसीक जानकारी शुरू से ही शिक्षा के पाठ्यक्रम में जुड़ जाए। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…