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साधु संत आचार्यों का चिंतन समाज को एक करने में क्यों नहीं

Updated on 23-04-2023 04:05 PM
सभी साधु साध्वी संत आचार्य के कई श्रावक हैं यदि सभी साधु साध्वी संत आचार्य स्वयं एकता का भाव रखेंगे तो उनके श्रावक भी एकता का भाव रखेंगे। आर्थिक और बौद्धिक रूप से समृद्ध जैन समाज आज आचार्यो और उनके चाहने वालों के गुटों में बटा हुआ है।
कोई भी ग्रुप इतना समृद्ध नहीं है कि शासन प्रशासन से अपना हक मांग सकें अपने और समाज के बंधुओं के हितों की रक्षा कर सकें।
परंतु यदि सभी घटक के जैन अपने आपको सिर्फ जैन मानकर एक हो जाएं तो क्या मजाल की कोई भी आपकी ओर आंख उठाकर देख सके।
आज सबसे ज्यादा समाज में बिखराव साधु संत आचार्य के कारण है यह कटु सत्य है। उन्हें कट्टरता का पाठ सिखाने से रोके उन्हें इस बात से भी रोके कि वे यह न कहें किससे वह जो क्रिया वह करते हैं वही सर्वोपरि है।
कुछ धर्म के ठेकेदार भी अपनी नेतागिरी के चलते हैं समाज को तोड़ रहे हैं।
कृपया समग्र जैन एकता में विश्वास रखें और अपने आप को मजबूत बनाएं।
अशोक मेहता, लेखक

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