प्रकृति की संरचना, प्रकृति के नियम, प्रकृति का व्यवहार और प्रकृति में हमारे जीवन की उत्पत्ति। हम इस ज्ञान पर अधिक चर्चा नहीं करते हैं। हम बहुत अधिक पॉपुलेशन के साथ शहरों में रहते हैं तो हमें कई चीजों का अभाव भी दिखता है जैसे स्वच्छ पानी, स्वच्छ हवा, शुद्ध खानपान, साफ-सुथरा रहन सहन आदि आदि। और जब प्रकृति हमे मौका देती है तब उस पर हम ध्यान नहीं देते हैं। बरसात में इतना स्वच्छ पानी आता है पर हम कभी भी पूरे जोश खरोश के साथ उस पानी के संरक्षण एवं संग्रहण पर ध्यान नहीं देते हैं। प्रकृति के हरेक मौसम में हमारे लिए कुछ न कुछ उपहार है बहुत सारे फल, वनस्पति और खाद्धान बी प्रदत्त है। बहुत कम लोग इन सब चीजों काआनंद लेते हैं परंतु अधिकतर लोग इन सब चीजों से मरहूम रहते हैं। प्रकृति में पारिस्थिति अनुसार हमें क्या क्या उपलब्धता हैं और हमें पारिस्थिति अनुसार उनका उपयोग व उपभोग करना चाहिए। नेचर, इकोलॉजी, एनवायरनमेंट और यूनिवर्स इसका अध्ययन प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक होना चाहिए और निरंतर इन विषयों पर रिसर्च भी होते रहना चाहिए। प्रकृति का तत्व और सार समझ में आ जाएगा तो हमारा जीवन के कई संकट अपने आप दूर हो जाएगे। हम प्रकृति से जुड़े रहे और प्रकृति में रहेंगे तभी हमारे जीवन का सार प्रबल होगा। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…