Select Date:

कोई सुशील कुमार, कु-शील कुमार क्यों बन जाता है ?

Updated on 30-05-2021 03:13 PM
शायद ही ‍िकसी ने सोचा होगा कि दुनिया के सबसे बड़े खेल अनुष्ठान अोलिम्पिक के ध्येय वाक्य ‘और तेज, और ऊंचा, और ताकतवर’ को हमारे देश का एक अोलिम्पिक आइकाॅन इस रूप में भी लेगा कि वह अपनी ताकत दिखाने अपने ही शिष्य की जान लेने में भी नहीं हिचकेगा। बीजिंग और लंदन अोलिम्पिक्स में भारत को कुश्ती में क्रमश: कांस्य और रजत पदक दिलाने वाले और कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्द्धाअों में अपने कुश्ती कौशल से प्रतिद्वंद्वी पहलवानों को धूल चटाने वाले सुशील कुमार को इस तरह हत्या के आरोप में सींखचों के पीछे और आरोप साबित हुआ तो शायद आजीवन जेल की सजा भुगतते हुए भी देखेंगे, यह कल्पना भी मुश्किल है। आखिर कोई भी अोलिम्पिक पदक विजेता समूचे खेल जगत के लिए ‘भगवान’ के समान होता है। एक बेहद कठिन और पवित्र भाव से आयोजित खेल आयोजन का वह सम्मानित हीरो होता है। और सुशील कुमार ने तो यह कारनामा दो बार करके दिखाया, जो किसी भी  भारतीय खिलाड़ी के विरल सपने की तरह है। ऐसे में सवाल यह है कि वही ‘आदर्श’ खिलाड़ी इस तरह ‘अंडरवर्ल्ड का पहलवान’ कैसे और क्यों बन गया? भरपूर मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा और पैसा क्या नहीं मिला उसे ? फिर ऐसी क्या मजबूरी थी, जिसने सुशील कुमार को ‘कु-शील कुमार’ में तब्दील कर ‍िदया। 
38 वर्षीय सुशील कुमार की यह कहानी अपने आप में ‘केस हिस्ट्री’ है। या यूं कहें कि बाॅलीवुड जिस शख्सियत पर बायोपिक बना सकता था, वह अब शायद उसी पर कोई क्राइम पिक्चर बनाने पर सोचेगा। सुशील कुमार की कहानी हरियाणा के एक साधारण से परिवार में पलकर खेल की दुनिया में आकाश की ऊंचाइयों को छूने और फिर फर्श पर धड़ाम से ‍िगरने की है। बचपन से ही कुश्ती में रूचि रखने वाले सुशील कुमार को मशहूर पहलवान सतपाल ने तराशा। नतीजा यह रहा कि सुशील ने 2010 के काॅमनवेल्थ गेम्स में भारत को गोल्ड दिलाया। इस उपलब्धि से ‍अभिभूत सतपाल ने सुशील को अपनी बेटी ब्याह दी। सुशील शोहरत के आसमान में चमकने लगे। उन्होंने दो अोलिम्पिक मेडल और कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्द्धाअों मे पदक जीते। रेलवे ने उन्हें बढि़या सरकारी नौकरी दी। सुशील बाद में खुद भी बड़े कुश्ती कोच बने। पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार मिले। खेल जगत का सर्वाधिक प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से उन्हें नवाजा  गया। और भी कई इनाम मिले। आज वो करोड़ों की दौलत के ‍मालिक हैं और कल तक युवा पहलवानों  के रोल माॅडल रहे हैं। 
यह कहानी और नए आयामों को छूती, अगर 4 मई 2021 की तारीख सुशील कुमार की जिंदगी में न आती। सुशील पर आरोप है कि दिल्ली में अपने एक फ्लैोट का किराया न देने के कारण उन्होंने साथियों के साथ अपने ही  एक युवा शिष्य की मार-मार कर हत्या कर दी। इसके पहले एक और पहलवान प्रवीण राणा ने पूर्व में सुशील पर उसे पिटवाने का आरोप लगाया था। उसकी एफआईआर  भी हुई थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सुशील अभी भी अपने अंडरवर्ल्ड रिश्तों को छुपा रहा है। लेकिन पूछताछ में जो उजागर हुआ है, उसके मुताबिक सुशील के संगी-साथी रियल इस्टेट, बैड लोन की वसूली और प्राॅपर्टी खाली कराने और टोल प्लाजा से वसूली का धंधा करते थे। पुलिस कुख्याात गैंगस्टर नीरज बवाना और काला जेठडी से सुशील के रिश्तों को खंगाल रही है। यहां तक कि सुशील ने अपने साथी पहलवानों से भी पंगा लिया। पूरी अपराध कथा जिस दिशा में बढ़ती दिख रही है, वहां सुशील का बचना मुश्किल लगता है। 
ऐसा नहीं है कि सुशील  कुमार ऐसे पहले अोलम्पियन हैं, जो अपराध की दुनिया से जुड़े हैं। और भी कुछ ऐसे नामी नाम हैं, जिन्होने खेल की जुझारू दुनिया से अपराध की दुनिया में कदम रखा और सजाएं भी भुगतीं। एक जुर्म ने उनके जिंदगी भर के किए कराए पर पानी फेर दिया। उदाहरण के लिए प्रोफेशनल गोताखोर ब्रूस किमबाल ने लाॅस एजेंल्स अोलिम्पिक में 1984 में सिल्वर मेडल जीता था। लेकिन बाद में शराब की लत ने उन्हें अपराधी बना दिया। ब्रूस को अपनी कार से दो किशोरों को कुचलकर मारने के आरोप में 17 साल की जेल हुई। ट्रेक एंड फील्ड स्पर्द्धाअों में 1996 के अटलांटा अोलम्पिक में सिल्वर तथा 2000 के सिडनी अोलिम्पिक में गोल्ड जीतने वाले टिम मांटगोमरी को बैंक फ्राॅड करने पर पांच साल की जेल की सजा हुई। रियो अोलिम्पिक में अमेरिकी तैराक रायन लोचे ने स्वर्ण पदक जीता था। लेकिन बाद में खुद को लूटे जाने की फर्जी रिपोर्ट लिखाने की उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। गोल्ड मेडल तो छिना ही, बहुत सी डील और व्हाइट हाउस का प्रतिष्ठित न्यौता भी हाथ से गया। दुनिया में ‘ब्लेड रनर’ के नाम से मशहूर आॅस्कर पिस्टोरियस की कहानी तो और हैरान करने वाली है। साउथ अफ्रीका के इस पैरालिम्पिक हीरो ने अपनी ही गर्ल फ्रेंड रीवा स्टीनकैम्प की हत्या कर दी। आॅस्कर को 13 साल की जेल हुई। तैराकी में एक और मशहूर नाम रहा है माइकल फेल्प्स का। इस अमेरिकी तैराक ने कई अोलिम्पिक्स में कुल 28 मेडल अपने नाम किए थे। यह खिलाड़ी नशाखोरी और अवसाद की गिरफ्तक में चला गया। यह सूची और भी लंबी हो सकती है। 
दरअसल सुशील की पहलवानी की चमकती जिंदगी में उतार तभी शुरू हो गया था, जब वो अपना ‘प्रभाव’ और ‘दादागिरी’ जमाने के लिए अंडरवर्ल्ड के संपर्क में आए। सब कुछ अर्जित करने के बाद भी खुद को ‘दादा’ साबित करने का मोह ही शायद सुशील कुमार को ले डूबा। वरना कोई कारण नहीं था कि कीर्तिमानों से रचे सुशील के हाथों को खंजर उठाना पड़ता। जो कहानी सामने आ रही है, उसके मुताबिक बकाया किराए की वसूली के लिए एक  युवा पहलवान सागर धनखड़ की जानलेवा पिटाई के बाद घबराए  सुशील ने हरिद्वार के एक ‘बड़े बाबा’ जिनका सरकार में रसूख है, से बचाने की अपील की। लेकिन या तो बाबा ने मदद नहीं की या फिर उनकी नहीं चली। अंतत: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हत्या के आरोपी सुशील कुमार को गिरफ्ताेर कर लिया। कोर्ट ने सुशील की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर  उसे सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया। कभी पोडियम पर शान से तिरंगा लहराने वाले सुशील कुमार के हाथ पुलिस के घेरे में तौलिए से अपना मुंह छिपाते दिखे। अब सुशील के वकील की कोशिश है कि उस पर कमजोर धाराएं लगाई जाएं। कहा जा रहा है कि जो हुआ, गैर इरादतन था। लेकिन जो तथ्यो सामने आ रहे हैं, उससे तो लगता है कि ‘अोलिम्पिक के हीरो’ में  ‘अपराध की दुनिया का डाॅन’ भी बनने की तमन्ना जोर मारने लगी थी। वह छत्रसाल स्टेडियम में बतौर कोच यही बर्ताव करने लगा था। हमारे यहां लोक चर्चाअोंमें पहलवानी का रिश्ता सामाजिक दंबगई और अल्प बुद्धि से जोड़ा जाता रहा है। लेकिन अब देश में पहलवानी का खेल भी एक सुसंगठित अंडरवर्ल्ड में तब्दील हो रहा है या फिर उसका अंडरवर्ल्ड से गहरा रिश्ता बन गया है तो यह सभी के लिए बेहद ‍िचंता और शर्म की बात है। इस देश में राजनीति, बाॅलीवुड और कारपोरेट के अंडरवर्ल्ड से रिश्ते तो सर्वज्ञात थे, लेकिन अब खेल के अखाड़ों का विस्तार भी अपराध की दुनिया तक हो रहा है। और इस अनैतिक दुनिया में परचम लहराने के लोभ में खिलाडि़यों को अपने चेहरे पर कालिख पुत जाने की भी चिंता नहीं है। वरना एक नामी खिलाड़ी देशवासियों के लिए किसी विजयी सेनापति की माफिक होता है। लोग उस पर जान छिड़कते हैं। लेकिन यही शोहरत कुछ लोगो को उस रास्ते पर ले जाती है, जहां हाथ आया सब गंवाना पड़ता है। सुशील से भी तमाम मान सम्मान और अोलिम्पिक मेडल तक छिन सकते हैं। तब क्या बचेगा ? दरअसल महत्वाकांक्षा का मारा व्यक्ति जीतने की जिद की आराधना करते करते नैतिक मूल्यों की बलि देने लगता है। बिना यह सोचे कि इसका अंजाम क्या होगा? वह समाज को क्या मुंह दिखाएगा ? सुशील कुमार की कहानी भी यही कुछ कहती है। 

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 16 November 2024
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक  जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
 07 November 2024
एक ही साल में यह तीसरी बार है, जब भारत निर्वाचन आयोग ने मतदान और मतगणना की तारीखें चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जाने के बाद बदली हैं। एक बार मतगणना…
 05 November 2024
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
 05 November 2024
चिंताजनक पक्ष यह है कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार ज्यादातर वो लोग हो रहे हैं, जो बुजुर्ग हैं और आमतौर पर कानून और व्यवस्था का सम्मान करने वाले हैं। ये…
 04 November 2024
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
 03 November 2024
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
 01 November 2024
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
 01 November 2024
संत कंवर रामजी का जन्म 13 अप्रैल सन् 1885 ईस्वी को बैसाखी के दिन सिंध प्रांत में सक्खर जिले के मीरपुर माथेलो तहसील के जरवार ग्राम में हुआ था। उनके…
 22 October 2024
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…
Advertisement