धर्मगुरु के मापदंड क्या है। धर्मगुरु कोमल ह्रदय,निर्मल, सदाचारी, अहंकार मुक्त, वात्सल्य प्रेमी, क्रोध मुक्त, शांत प्रवृत्ति, नियमित योग ध्यान साधना तपस्या करने वाले होते हैं। वे एकता का भाव और समस्त मानव जाति के कल्याण की बात सोचते है। जिस व्यक्ति में यह सब गुण न हो तो उन्हे धर्मगुरु कैसे माने। कुछ अंधविश्वासी धर्मगुरु को भगवान का रूप दे देते हैं। यदी वे अपनी एक तरफा मर्जी अनुसार समाज चलाने की बात करे तो समाज भटक जाएगा। भारत कई जाति समाज का देश है और हर जाति समाज में अलग-अलग विचारों, मान्यताओं, परंपराओं अनुसार धर्म का पालन होता है। समाज के कई छोटे छोटे ग्रुप के रूप सामने आ रहे हैं और हर ग्रुप के धर्म गुरू अलग-अलग है जिन्हें हम आचार्य महामंडलेश्वर बिशप काजी या और भी कई उपाधियों से जानते हैं। एक ही जाति या समाज में अलग-अलग मान्यता के कई धर्मगुरु हैं, जैन समाज में कई मान्यता के धर्म गुरु हैं। बोहरा समाज मैं एक ही धर्म गुरू है। किसी भी समाज में अनेक मान्यता और उसी अनुसार धर्मगुरु होने से समाज बिखरकर कमजोर हो जाता है। जो धर्मगुरु राष्ट्रीय विचारधारा से समस्त मानव जाति का उत्थान करते हैं वे राष्ट्र संत कहलाते हैं। राष्ट्र संत कई कट्टर समर्थकों के विरोध के बावजूद मानव जाति के मंगल कार्य करने पीछे नहीं हटते। सच्चे धर्मगुरु की पहचान करना सीखें। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…