कांग्रेस की दिशा और दशा बदलने क्या चलेगी ‘अजय- अरुण’ एक्सप्रेस ?
Updated on
30-12-2020 02:21 PM
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में और तीन कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा का घेराव और विधायकों के ट्रैक्टर पर सवार होकर विधानसभा जाने की योजना बनाई थी। उन्होंने किसानों को भी ट्रैक्टर पर सवार होकर प्रदर्शन में शामिल कराने की पूरी तैयारी कर ली थी। यादव ने बीते दिनों अपने निवास पर किसान नेताओं से चर्चा करते हुए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के विरोध में बड़ा आंदोलन करने का सुझाव दिया था। तत्काल ही दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया कि अरुण यादव को अपने पिता स्वर्गीय सुभाष यादव की तरह किसानों के नेतृत्व को आगे बढ़ाते हुए आगे आना चाहिए। इसके बाद योजना बनी की विधानसभा का घेराव 28 दिसंबर को विधानसभा सत्र के पहले दिन किया जाए। कोरोना संक्रमण के चलते आम सहमति से विधानसभा सत्र स्थगित करने का निर्णय हो गया लेकिन इसके बाद भी यादव ने कहाकि भले ही सत्र स्थगित हो गया हो पर हमारी तैयारी पूरी है और हम विधानसभा का घेराव करेंगे। उसी शाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने फैसला किया कि विधानसभा परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने मौन धरना दिया जाएगा। विधायकों ने खिलौना ट्रैक्टर के साथ मौन धरना दिया और इसके साथ ही यह धरना राजनीतिक गलियारों में उपहास का पात्र बन गया। अरुण यादव ने धरने में ना जाकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह से मुलाकात कर डाली। जब दो राजनेता मिले होंगे तो उनकी बातचीत मौसम पर नहीं बल्कि राजनीतिक मौसम पर ही हुई होगी। क्या प्रदेश में कांग्रेस की दिशा और दशा बेहतर बनाने के लिए ’अजय-अरुण एक्सप्रेस चलेगी ’। यानी अजय सिंह और अरुण यादव की जोड़ी बनेगी। एक जमाने में अविभाजित मध्यप्रदेश में ’मोती-माधव एक्सप्रेस’ काफी चर्चित रही थी। यह जोड़ी तत्कालीन केंद्रीय मंत्रियों मोतीलाल वोरा और माधवराव सिंधिया की थी। प्रदेश में इस समय कांग्रेस को अपनी खोई हुई जमीन फिर से पाने तथा उसकी जो राह फिसलपट्टी में तब्दील हो रही है उस फिसलन को थामने के लिए पार्टी को ऐसी एक नहीं बल्कि तीन चार जोड़ियां बनाना होंगी तभी कांग्रेस प्रदेश में जन समस्याओं को लेकर सड़कों पर संघर्ष करती नजर आएगी।
दो कदम आगे चार कदम पीछे
अक्सर यह देखा जाता है कि कांग्रेस यदि दो कदम आगे बढ़ती है तो वह कुछ ऐसा कर बैठती है कि उसके कारण चार कदम पीछे आ जाती है। इसमें किसी बाहरी का नहीं अपितु किसी ना किसी कांग्रेस नेता का ही हाथ होता है। कुछ कांग्रेसी इस बात की खोज में है कि कमलनाथ को खिलौना ट्रैक्टर लेकर धरना देने की किस कांग्रेसी ने सलाह दी थी जिससे कि भाजपा को कांग्रेस पर व्यंग्यबांण छोड़ने का अवसर मिल गया। इस मामले में खोजी लोगों की नजर में शक की सुई मालवा अंचल के कमलनाथ के भरोसेमंद विधायकों की ओर घूम रही है। अरुण यादव ने प्रभावी किसान आंदोलन भारत कृषक समाज के बैनर तले आयोजित करने की रूपरेखा बनाई थी। बाद में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अरुण यादव की उपस्थिति में इस योजना को कांग्रेस का आवरण पहना दिया। विधानसभा सत्र स्थगित होने के बाद कमलनाथ ने विधानसभा घेराव की जगह विधानसभा परिसर में पर गांधी प्रतिमा के सामने मौन धरना विधायकों के साथ दिया तो उससे अरुण यादव ने दूरी बना ली। अब यह उन्होंने नाराजगी की वजह से किया या विधायक ना होने की वजह से या फिर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने केवल विधायकों का क्राइटेरिया बना दिया था इसलिए कांग्रेस के गैर विधायक नेता उसमें शामिल नहीं हुए। विधानसभा घेराव की योजना को अंतिम रूप अरुण यादव की उपस्थिति में दिग्विजय सिंह ने दिया था इसलिए इस तरह की अटकलें लगना स्वाभाविक है कि आंदोलनकारी किसानों के पक्ष में अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के एक अच्छे अवसर को कांग्रेसी गुटबंदी का ग्रहण तो नहीं लग गया? अरुण यादव के किसान नेता के रूप में उभरने से उनका जो कद बढ़ता उसे क्या उनके दल के ही लोगों ने गुब्बारे के पूरी तरह फूलने के पहले ही पंचर कर दिया। कमलनाथ के खिलौना धरने से ज्यादा चर्चित अरुण यादव की अजय सिंह से घर जाकर एकांत में हुई मुलाकात रही। इस मुलाकात से आगे क्या कुछ निकलने वाला है और आगे चलकर पार्टी में क्या कुछ नए समीकरण बनेंगे इसका खुलासा आने वाले 2021 में ही होगा।
खिलौना धरना और नरोत्तम का तंज
जब खिलौना ट्रैक्टर हाथ में लेकर कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में मौन धरना दिया तो राजनीतिक प्रतिक्रिया में राहुल गांधी तक चपेट में आ गए। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने तंज करते हुए कहाकि कांग्रेस के उम्रदराज बालक राहुल बाबा को मनाने के लिए वयोवृद्ध कांग्रेसी कमलनाथ जी ने नायाब तरीका खोजा है, पहले आलू से सोना, अब राहुल को ट्रैक्टर खिलौना। खिलौना ट्रैक्टर लेकर विधानसभा में प्रदर्शन, किसानों को समझ आए ना आए लेकिन राहुल बाबा को पसंद आएगा। शायद इटली से लौट आएं। कांग्रेसी खेमेबंदी पर व्यंग्य करते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने ट्वीट किया है कि सुना है कि अरुण यादव के ट्रैक्टर को कमलनाथ ने डीजल देने से मना कर दिया तो बेचारे को खिलौने से ही काम चलाना पड़ा।
और अंत में.............
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री राजसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने कृषि संबंधित नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लाए गए नए कानूनों के संदर्भ में कांग्रेसियों को सलाह दी कि नींद से उठकर इनका विरोध करें। नींद से जागकर उठने की जगह कांग्रेस ने केवल प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करा कर केवल रस्म अदायगी मात्र की। जहां तक नींद से जागने का सवाल है भाजपा के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा ने कांग्रेस सरकार को लेकर विधानसभा में एक दो बार व्यंग्यबांण छोड़ते हुए कहा था कि जो गहरी नींद में सो रहा हो उसे तो आप एक बार झकझोर कर उठा सकते हैं लेकिन जो व्यक्ति जागते हुए सोने का स्वांग कर रहा हो उसे कोई नहीं जगा सकता। आज कांग्रेस के संबंध में यदि उसे सोते से जगाने का प्रयास दिग्विजय कर रहे हैं तो उन्हें पटवा जी की इस बात को भी ध्यान रखना चाहिए। उन्हें कांग्रेसियों को नींद से जगाने के लिए काफी कुछ करना होगा तब ही उनकी सड़कों पर कांग्रेसियों को संघर्ष करते देखने की चाहत पूरी हो सकेगी, अन्यथा पार्टी दो कदम आगे बढ़कर चार कदम पीछे आती रहेगी ऐसी संभावना को नकारा नहीं जा सकेगा।
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