अमेरिका जो न कर सका वो चीन ने कर दिखाया, चांद की मिट्टी धरती पर लाया, खुलेंगे कौन-कौन से रहस्य?
Updated on
26-06-2024 01:57 PM
बीजिंग: चीन ने वो कर दिखाया है, जो आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं कर सका। चीन चंद्रमा के सुदूर हिस्से का सैंपल लेकर धरती पर लौटा है। चांग'ई-6 मंगलवार को इनर मंगोलिया के रेगिस्तान में उतरा। वैज्ञानिक चांग'ई-6 का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि ये सैंपल हमारे ग्रह के निर्माण से जुड़े रहस्यों का खुलासा कर सकता है। चंद्रमा का सुदूर हिस्सा वह होता है, जो हमें पृथ्वी से दिखाई नहीं देता। चीन दुनिया का एकमात्र देश है जो यहां पर उतरा है। सबसे पहले 2019 में इसके अंतरिक्ष यान ने लैंडिंग की थी।
पृथ्वी से न दिखने, अपनी दूरी और विशाल गड्ढों वाला कठिन इलाका होने के कारण यहां पर जाना चुनौतीपूर्ण है। यह चांद का वह इलाका है, जिसके बारे में बेहद कम खोज हुई है। वैज्ञानिकों की इसमें रुचि है। चीन लगातार चंद्रमा से जुड़े मिशन को आगे बढ़ा रहा है। चांग'ई-6 चीन के लिए गर्व की बात है। चीन के चंद्रमा मिशन ने नासा का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है। सरकारी मीडिया ने इनर मंगोलिया के रेगिस्तान में चांग'ई-6 कैप्सूल के गिरने के बाद धूमधाम से चीनी झंडा फहराते हुए अधिकारियों को दिखाया।
जिनपिंग ने वैज्ञानिकों को दी बधाई
चीनी राष्ट्रपति ने इस कामयाबी के लिए चांग ई'-6 मिशन के कमांड सेंटर में मौजूद लोगों को बधाई देने के लिए फोन किया। जिनपिंग ने उम्मीद जताई है कि वे गहरे अंतरिक्ष की खोज जारी रख सकते है और ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने में नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। उनका मानना है कि इस खोज से मानवता को लाभ मिलेगा और देश आगे बढ़ेगा। चांग'ई-6 मई की शुरुआत में चांद के लिए रवाना हुआ था। कुछ सप्ताह बाद वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब एक क्रेटर में सफलतापूर्वक उतरा। ये मिशन 53 दिनों तक चला।
सैंपल से क्या मिलेगा?
चीन के सरकारी टेलीविजन सीसीटीवी के मुताबिक कैप्सूल को बीजिंग भेजा जाएगा और नमूने वहां निकलेंगे। चांग'ई-6 चीन का छठा मिशन है। सुदूर क्षेत्र में उतरने का यह उसका दूसरा मिशन है। चीन के अंतरिक्ष यान ने एक रोबोटिक बांह के जरिए चांद की मिट्टी और चट्टानों को भरा। सतह की कुछ तस्वीरें भी ली और एक चीनी झंडा लगाया। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक स्कॉटलैंड की खगोलशास्त्री कैथरीन हेमैन्स ने उम्मीद जताई की यह सैंपल यह जानने में मदद करेगा कि आखिर 4.5 अरब साल पहले चंद्रमा का निर्माण कैसे हुआ और क्या इसका कारण पृथ्वी के साथ टक्कर थी? उन्होंने उम्मीद जताई कि ये सैंपल शोधकर्ताओं को चंद्रमा के केंद्र की संरचना समझने में मदद करेंगे। इसके अलावा पिछले हिस्से में कई महत्वपूर्ण खनिज हो सकते हैं।
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