गांव से शहर और शहर से नगर, नगर से महानगर और महानगर से मेट्रो सिटी जैसे-जैसे बनती जायेगी वैसे वैसे खो देंगे हम अपनी संस्कृति और अपना इतिहास ग्रामीण जीवन की मिठास बढ़ते विकास के साथ खत्म होते जाएगी। जैसे जैसे शहर का विकास होगा बाहर से आने वाले लोग शहर में आ जाएंगे जो मूलनिवासी रहे उनकी संख्या कम होते जाएगी और उनका प्यार मीठा पन आपस में मित्रता इतिहास संस्कृति सब धीरे-धीरे सुकुडति जाएगी। मूल निवासियों में एक खासियत है वह सब को अपनाते हैं पर जब बाहर से आने वाले रहने लगेगे शहर में वह अपने पड़ोसी को भी नहीं पहचानेगा तो एक खटास व्यक्तिगत जीवन मे बडती जाएगी और धीरे-धीरे समाज इसी तरह बट जाएगा जैसे आज हम जातिगत और आर्थिक तौर पर बट गए हैं। स्वस्थ और निर्भय निर्भीक मानव जीवन के लिए शहरों का विकास नहीं चाहिए बल्कि जो शहरों की परंपरा प्यार प्यार मैत्री और आदर्श था वही बने रहना चाहिए। गांव और शहर में एक दूसरे के प्रति लगाव एवं रिस्पेक्ट और त्याग भावना थी कहावत थी कि गांव में कोई भूखा नहीं सोएगा लेकिन बढ़ते विकास के साथ बढ़ती जनसंख्या और उससे जो अंदरूनी प्रदूषण फैल रहा वह बड़ा तकलीफदायक है। आज भी समय है यदि स्वस्थ और नैतिक जीवन जीना है तो इस बढ़ती विकास धारा को रोकना पड़ेगा। ताजी हवा शुद्ध खाना और हरियाली प्रकृति का साथ चारों ओर चाहिए, ना कि शहरी कंक्रीट जंगल।
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
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भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…