हमें जान से प्यारे हैं,वह इंसान। जिनके के रग रग में बसे हिंदुस्तान
Updated on
11-05-2021 12:46 PM
हमें जान से प्यारे हैं,
वह इंसान ।
जिनके के रग रग
में बसे हिंदुस्तान ।।
क्या आपने फ़रिश्ते देखे हैं,मैं सपनो में फ़रिश्तों को देखता था और सोचता था,फ़रिश्ते पंख वाले होते होंगे,पर इस दौर में जिन फ़रिश्तों को देख रहा हूँ, इन फरिश्तों के पंख तो नहीं है,पर हौसला इतना है,बगैर पंखों के यह लोगों के मदद के लिए बुलंदियों को छू रहे हैं । इन फ़रिश्तों के अलग अलग के लिबास है,कोई सफेद कोट पहना है,तो कोई खाकी वर्दी । इस दौर में नए तरीके के फरिश्ते भी देखे गए है,इन फरिश्तों का लिबास केसरिया और सिर पर टोपी है ।
दोनों फरिश्तों की समानताएं यह है,कि दोनों के चेहरे पर बड़ी सी दाढ़ी होती है। इन फ़रिश्तों ने तोड़ दी धर्म की दीवारें,कुछ दिन पहले मंदिर और मस्जिद के लिए हम लड़ रहे थे,आज वही मंदिर और मस्जिद अस्पतालों में तब्दील हो गए हैं,अब इन मंदिर और मस्जिदों में धर्म के आधार पर नहीं बीमारी के आधार पर कोई भी जा सकता है,इन केसरिया और टोपी वालों ने ऐसी मिसाल पेश की है,जिसको देखकर ऊपर वाला भी गदगद हो रहा होगा ।
जहां पहले घंटियों और अज़ान की आवाज़ आती थी,आज यहां पर टोपी और केसरिया वाले फरिश्ते लोगों की दवाई ऑक्सीजन के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं,और अहम बात यह है,यह पूरा इलाज निःशुल्क हो रहा है । बीमारों की तीमारदारी में लगे यह केसरिया और टोपी वाले,यह नहीं देखते बीमार व्यक्ति का धर्म क्या है,दिन के 24 घंटे बीमारों की सेवा करने में जुटे हुए हैं,ऐसे फरिश्तों को सलाम,शायद यह महामारी खत्म होगी तो हम सब के दिलो से भी दूसरे धर्मों के प्रति नफरत भी हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी ।
गुजरात के वडोदरा में मस्जिद को बनाया कोविड अस्पताल,पेश की इंसानियत की मिसाल
गुजरात के वडोदरा में एक मस्जिद को अस्पताल में बदल दिया गया है,मस्जिद में 50 से अधिक बेड लगाया गए है ।
वडोदरा में मस्जिद को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है, देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार तेज़ी आ रही है,ऐसे में गुजरात के वडोदरा शहर में इंसानियत के पुजारियों ने धर्म की दीवार को तोड़ कर एक नई मिसाल पेश की है । यहां की एक मस्ज़िद को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है, कोरोना के मरीज़ो का ध्यान रखने के लिए जहांगिरपुरा मस्जिद में 50 से अधिक बिस्तर लगाए गए हैं ,जिन मरीजों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल पाई है, उनका यहां इलाज किया जा रहा है । जहांगीरपुरा मस्जिद के ट्रस्टी ने बताया कि शहर के अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए हमने यह फैसला लिया है,मस्जिद के ट्रस्टी ने बताया, अस्पतालों में ऑक्सीजन और बिस्तरों की कमी के कारण मस्जिद को कोविड अस्पताल में बदलने का फैसला लिया गया है। रमजान के महीने में लोगों के लिए जो बेहतर हो सकता था वो हम कर रहे हैं । हांगीरपुरा मस्जिद के अलावा दारूल उलूम में भी 120 बेड की व्यवस्था की गई है,संस्था के संचालकों ने प्रशासन के साथ मिलकर यह व्यवस्था की है । वडोदरा में कोरोना बहुत तेजी से पैर पसार रहा है,कोरोना मरीजों की तेजी से बढ़ती हुई संख्या के कारण अस्पताल में बेड कम पड़ गए हैं, इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद के लिए कई धार्मिक स्थल आगे आ रहे हैं ।
स्वामीनारायण मंदिर बदला अस्पताल में साधु और संत कर रहे कोरोना मरीजों की देखभाल
कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है। अस्पतालों में बेड फुल हैं। कई अस्पतालों में ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाईयों की किल्लत है। देश के कई एनजीओ और अन्य समाजसेवी संस्थान मरीजों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं,मानव सेवा के लिए कई मंदिरों ने भी पहल की है।
यहां के साधु और संत कोरोना मरीजों की सेवा में लगातार जुटे हुए हैं। इस मंदिर में 500 बेड की सुविधा वाला अस्पताल बनाया गया है,यहां कोरोना मरीजों को आईसोलेट किया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर उन्हें ऑक्सीजन भी दी जा रही है ।
यह तो बात हुई मंदिर और मस्जिदों की ऐसी कई मिसाले हमको इस दौर में देखने को मिल रही है जिनको सुनकर और पढ़कर ऐसा लगता है इस धरती पर अभी भी अच्छे और सच्चे लोग मौजूद है ।
मुंबई में लोगों को ऑक्सीजन मुहैया करवाने वाले शाहनवाज़ शेख,मुंबई के मालवणी इलाके रहने वाले शाहनवाज़ शेख अब शहर के ऑक्सीजन मैन बन गए हैं। लोग अब इन्हें ऑक्सीजन मैन के नाम से पुकारते हैं। आप सोच रहे होंगे आखिर ऐसा क्यों है, दरअसल जब पिछले साल कोरोना मुंबई पर कहर बरपा रहा था। तब इनके दोस्त की बहन ने ऑक्सीजन के अभाव में ऑटो रिक्शा में दम तोड़ दिया था।अगर उन्हें समय पर ऑक्सीजन मिलता तो जान बच जाती।
इस घटना ने शाहनवाज़ को कोरोना से लोगों की जिंदगी बचाने की प्रेरणा दी। पिछले साल मरीजों की मदद करने के लिए शाहनवाज़ ने अपनी फोर्ड एंडेवर एसयूवी कार तक बेच दी थी और 60 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे थे और 40 सिलिंडर किराए पर लिए थे। आज उनके पास 200 ऑक्सीजन सिलेंडर है।
पिछले कोरोनाकाल में करीब 4000 कोविड-19 मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर समय पर देकर उनकी मदद कर चुके हैं, शाहनवाज़। इस साल फिर कोरोना मुंबई में लोगों पर कहर बन कर टूट रहा है। तो एक बार फिर से शाहनवाज़ लोगों की मदद के लिए आगे आये हैं। इस बार ज्यादा लोगों की मदद कर सकें इसलिए शाहनवाज़ ने मलाड में वॉर रूम बना लिया है। रोज़ उनके पास 500 कॉल आ रहे हैं। वे हर किसी की मदद कर रहे हैं।
पिछले साल भोपाल से इंसानियत को जिंदा रखने वाली खबर आई थी । भोपाल से भाईचारे की तस्वीर देखने को मिली थी,मुस्लिम समुदाय ने किया था हिन्दू महिला का अंतिम संस्कार ।
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पूरी तरह हिन्दू रीति रिवाज के साथ महिला का क्रिया करम किया। यहां तक की अंतिम यात्रा के दौरान 'राम नाम सत्य है' कहने का भी पालन किया गया था। मृतक महिला के रिश्तेदार अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके थे। ऐसे में इलाके के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पूरी तरह हिन्दू रीति रिवाज के साथ महिला का क्रिया करम किया था।
इन सब घटनाओं को देखते हुए यह बात तो साफ हो गई एक आम इंसान में हिंदू मुसलमान का बीज पैदा नहीं हुआ है,पर इस देश के नेता हिंदू मुस्लिम का बीज बो रहे हैं और अपनी राजनीति के लिए हिंदू मुस्लिम की फसल काट रहे हैं
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