हम भी चिकने घड़े - वैसे तो अमूमन इस शब्द का उपयोग सब किसी पर हंसी करने के लिए वापरते हैं कि बड़ा चिकना घड़ा है। चिकने घड़े पर कितना भी पानी डालो सब नीचे गिर जाएगा। याने किसी को कितनी भी बात समझाई जाए लेकिन उसमें कोई बदलाव ना आए उसका स्वरूप वैसा की वैसे रहे उसमें कोई फर्क ना पड़े तो कहते हैं कि चिकने घड़े पर पानी में मत डालो। इंसान को बुद्धि भगवान ने दी है कि मेरी इस पृथ्वी की रचना में मैं तुझे भेज रहा हूं जहां निरंतर परिवर्तन जन्म मरण खुशियां दुख कष्ट तुझे सब मिलेंगे अब इस अपनी बुद्धि के उपयोग से तो अपना जीवन को निर्धारित कर। हमारे ऋषि मुनि ज्ञानी पंडितो ने अपने अनुभव से कई ग्रंथ लिख दिए और उसमें सुखी जीवन जीने के सार उदाहरण सहित समझाएं। आपकी कैसी दिनचर्या होना चाहिए आपको क्या खाना चाहिए कब आपको कष्ट हो तो क्या सोचना चाहिए आपके शरीर में कितनी एक्सरसाइज योग ध्यान आपको रोज करना है कितनी मेहनत करना है कितना खाना है कैसा खाना है यह सब बातें हमें बताई जाती है और हम जानते भी हैं हमारा कर्म और व्यवहार सच्चाई ईमानदारी आदर्शता इन सब बातें के समावेश के साथ होना चाहिए पर देखिए कई इंसान उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता है। वह अपने दिमाग का गलत इस्तेमाल करके क्षणिक फायदा सोच कर खुद से भी धोखा कर रहे हैं और दुसरो को भी धोखा दे रहे हैं। हम हम कितने चिकने घड़े हैं इस पर स्वयं विचार करें।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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