भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है और भौगोलिक स्थिति में यहां कई प्रांत है। यहां क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर की कई राजनीतिक पार्टियां है। कुछ पार्टियों का बाहुल अपने अपने क्षेत्र मैं हैं और कुछ पार्टियों का राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव है। इसलिए भारत में क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की भरमार है।
यहा राजनेताओं के हर स्तर पर कई पट्ठे, चमचे, अंधभक्त है, साथ ही पढ़े लिखे, अनपढ़, झंडे डंडे उठाने वाले और नारे लगाने वाले हजारों लाखों की तादाद में भी हैं। जहां जो पार्टी सत्ता में वहां अपने नेता की सभा के लिए भीड़ जुटाने के लिए सरकारी बसें प्राइवेट स्कूल बस या आरटीओ को बोलकर हर जगह से बसे जब चाहे इकट्ठे करवा लेंगे। बड़े नेता की रैली पर शहर में हजारों पोस्टर, सैकड़ों स्वागत मंच, कई टन फूलों की बरसात सड़क पर हो जाएगी और स्वच्छ शहर अस्वच्छ हो जाएगा। सड़क के दोनों छोर और खंभों पर जहां सुंदर सुंदर पेंटिंग है उसके ऊपर आगंतुक नेता और उनके चाहने वालों के पोस्टर मिलेंगे। असंख्य कार मोटरसाइकिले इधर-उधर दौड़ती नजर आएगी व्यर्थ का सैकडो लीटर पेट्रोल डीजल खर्च हो जाएगा। स्वागत और भीड़ जुटाने और नेता की रैली के इंतजार में कई घंटों आदमी-औरते अपना काम काज छोड़कर इंतजार करेगा।
कुल मिलाकर समय और पैसे की खूब बर्बादी देखने को मिलेगी और पुलिस रैली मार्ग के सभी क्रॉसिंग पर अन्य ट्रैफिक भी रोक देते हैं जिससे जनता बिना वजह कई बार तो आधे आधे घंटे तक रैली निकलने के लिए एक ही जगह खड़ी रहती है फिर चाहे उसमें एंबुलेंस फसी हो या कोई बीमार आदमी। सैकड़ों हजारों की तादाद में शासकीय कर्मचारी, पुलिस, ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी लग जाएगी। इससे रोज के रूटीन काम ठप्प हो जाते हैं। हां इतना जरूर है कि कुछ भीड जुटाने वालों को रोजगार मिल जाता है।
पूरे देश में हर रोज अनेक नेताजी कही न कही भ्रमण करते हैं करोड़ों रुपए व्यर्थ में खर्च हो रहे हैं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने विचार है)
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