टुकड़े टुकड़े में बिखरी थी,देश की बेटी की आबरू,चीख निकली फिर,एक खामोशी छा गई..
Updated on
27-07-2022 04:42 PM
*उस दरिंदे ने,*
*ख़ूब कहर बरपाया था।*
*इंसानियत को,*
*हवस की आग*
*में जलाया था ।।*
*पिता की एक गोली ने,*
*मुझे इंसाफ दिलाया था ।।*
ना वकील ना दलील नाबालिग बेटी का पिता पूर्व सैनिक ने मौत के घाट उतारा बेटी से बलात्कार करने वाले आरोपी को, यह सही है, या गलत पर एक पिता ने अपनी बेटी को दिलाया इंसाफ। जब किसी बेटी या बहन के साथ बलात्कार होता है तो उसके मां-बाप भाई बहन पर क्या गुजरती है आप समझ नहीं सकते उनके कानों में बेटी की चीखें गूंजती है, बेटी के आंखों से बहते खून के आंसू रात भर मां-बाप को सोने नहीं देते, घर में खामोशी और उदासी का माहौल, मोहल्ले वालों की एक दूसरे से कानाफूसी तरह-तरह की बातें इन सब बातों से पीड़िता बेटी का पिता पूर्व सैनिक का गुस्से से खून उबल रहा था, आपको तो मालूम है हमारे देश के सैनिक भारत माता के लिए अपनी जान न्यौछावर करने से भी नहीं चूकते आज उसी सैनिक की बेटी की इज्जत पर एक असुर ने हाथ डाला था वह सैनिक अपनी बेटी की इज्जत के लिए कुछ भी करने को तैयार था अब उसने गलत किया या ठीक,इसका फैसला तो अदालत करेगी,यह घटना उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर की है,पूर्व सैनिक ने अपनी नाबालिग बेटी से दरिंदगी करने वाले आरोपी को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की अदालत के गेट पर यह घटना घटी पुलिस ने बताया कि मृतक बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला था और मामले की सुनवाई के लिए अदालत आया था, मौके पर मौजूद सुरक्षा गार्ड ने पूर्व सैनिक पिता को दबोच लिया और पुलिस के हवाले कर दिया ।
समाज के बड़े बुद्धिजीवी, बुद्धिमान, इज्जतदार, सम्मानीय लोग चुप हैं,अदालत में बलात्कार के मामलों में देरी,पेशी पर पेशी पीड़ित बेटियों के आंसू अब सूखने लगे हैं,मां बाप ने इंसाफ की उम्मीद छोड़ दी है। भारत की बेटियों का सोचना है कि, हां मैं लक्ष्मी हूं, हां मैं फातिमा हूं, हां मैं मरियम हूं, हां मैं गुरुमांदर कौर हूं। हम सब अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखते हैं,कोई हिंदू हैं,तो कोई मुस्लिम,सीख ईसाई,पर हम सब भारत की बेटियां हैं,और हमें गर्व है हमारे देश और हमारे संविधान पर । अफ़सोस हमारे देश में वहशी,दरिंदे हर युग में पैदा होते रहे हैं, पर यह दौर जो चल रहा है,जिसे कलयुग कहा जाता है,इसमें वहशी, दरिंदे और असुरों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है,इन दरिंदों के मन मस्तिष्क में दरिंदगी का सैलाब उमड़ता रहता है,आंखों में नाखून उग आए हैं,कब किस बहन की,किस बेटी की इज्ज़त उजड़ जाए कह नहीं सकते,कब तक हमारी बेटियां और बहने इन दरिंदों का शिकार होती रहेगी,कब तक हमारी बहने और बेटियां कहती रहेंगी ,हां मैं खामोश हो जाऊंगी, क्योंकि अदालतों में फैसला आने में लंबा समय लगता है, बलात्कार के आरोपी कुछ दिनों के बाद जमानत पर छूट जाते हैं, फिर दौर शुरू होता है,धमकियों का, बयान बदलने का, डराया जाता है धमकाया जाता है, उन पीड़ित बेटियों के दिल से यह बद्दुआ निकलती रहती के आज यह हादसा मेरे साथ हुआ है,आज जो तुमने मेरे साथ दरिंदगी की है, कल यह दरिंदगी तुम्हारी बेटी तुम्हारी बहन के साथ भी हो सकती है, जितना दुःख आज मुझे हुआ है,उतना ही दुःख मुझे फिर से होगा,जब कोई तुम्हारी बहन और बेटी के साथ दरिंदगी करेगा,क्योंकि वह तो बेगुनाह है,तुम्हारी गुनाहों की सज़ा क्यों उनको मिले।
किसी ने कहा है कलयुग में सतयुग आएगा ऊपर वाले जल्दी से सतयुग की आमद करा दे, क्योंकि मासूम बेटियां बहने घर से निकलने में डरती है, चारों ओर इंसानियत की बयार चला दे, अब ना लुटे किसी मां बहन बेटी की इज्ज़त, ऊपर वाले भारत देश का ऐसा माहौल बना दे ।
*टुकड़े टुकड़े में बिखरी थी,*
*देश की बेटी की आबरू,*
*चीख निकली फिर,*
*एक खामोशी छा गई।*
मोहम्मद जावेद खान , लेखक, संपादक , भोपाल मेट्रो न्यूज़
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