इजराइल में PM बेंजामिन नेतन्याहू ने 9 महीने और 6 दिन बाद वॉर कैबिनेट भंग कर दी है। कैबिनेट 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद 11 अक्टूबर को बनाई गई थी। इसमें 6 मेंबर थे। ये कैबिनेट जंग के दौरान इजराइल की सुरक्षा से जुड़े अहम फैसले लेने के लिए जिम्मेदार थी।
नेतन्याहू ने कैबिनेट मीटिंग में इस फैसले की जानकारी दी। नेतन्याहू ने कैबिनेट भंग करते हुए कहा कि हमने कई ऐसे फैसले किए थे जिनसे सेना सहमत नहीं थी।
दरअसल, नेतन्याहू के नेतृत्व में बनी वॉर कैबिनेट में काफी दिनों से मतभेद चल रहे थे। इसके चलते कैबिनेट के मेंबर बेनी गांट्ज ने इस्तीफा भी दे दिया था। उन्होंने इसकी वजह गाजा युद्ध में होस्टेज डील को लेकर PM नेतन्याहू के गलत रवैये को बताया था। गांट्ज ने आरोप लगाया था कि नेतन्याहू की वजह से हमास का खात्मा नहीं हो पा रहा है। इसलिए वो वॉर कैबिनेट छोड़ रहे हैं।
नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में शामिल कट्टरपंथी पार्टियों के नेता नई वॉर कैबिनेट की मांग कर रहे हैं। इसमें बेन ग्विर को शामिल करने को कहा जा रहा है। ग्विर फिलहाल इजराइल के इंटीरियर सिक्योरिटी मिनिस्टर हैं। उन पर फिलिस्तीन विरोधी होने के आरोप लगते हैं।
अमेरिका की सीजफायर की उम्मीदों को झटका
इजराइली वॉर कैबिनेट में अति दक्षिणपंथियों की एंट्री से सीजफायर कराने में जुटे अमेरिका की उम्मीदों को झटका लग सकता है। द टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक इजराइल में अमेरिका के विशेष दूत एमॉस हॉस्टाइन इजराइल के राष्ट्रपति इजाक हर्जोग और PM नेतन्याहू से मुलाकात करेंगे। इसके बाद हॉस्टाइन विपक्षी नेता येर लैपिड और वॉर कैबिनेट छोड़ने वाले बेनी गैंट्स से भी मिल सकते हैं।
वॉर कैबिनेट के भंग होने की वजह
कट्टरपंथी बेन ग्विर की कैबिनेट में एंट्री को रोकना न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक PM बेंजामिन नेतन्याहू ने वॉर कैबिनेट को भंग कर दिया क्योंकि वो इसमें अति दक्षिणपंथी पार्टियों की एंट्री रोकना चाहते थे। 9 अक्टूबर को बेनी गांट्ज और गादी आइजेनकॉट के कैबिनेट से निकलने के बाद बेन ग्विर इसमें शामिल होने का दबाव बनाने लगे थे। बेन ग्विर ने खुलेआम कहा कि अब समय आ गया है कि सही और बहादुरी से भरे फैसले लिए जाएं। उन्होंने इजराइल की सुरक्षा के लिए इसे जरूरी बताया था।
अमेरिका का दबाव अमेरिका में इसी साल नवंबर में चुनाव हैं। अमेरिकी सरकार पर जंग रोकने का भारी दबाव है। जो बाइडेन बीते कुछ महीनों से लगातार इजराइल से जंग रोकने को कह रहे हैं। वॉर कैबिनेट के भंग होने से जंग रोकने का प्रयास कमजोर पड़ सकता है।
बॉर्डर सिक्योरिटी कैबिनेट वॉर कैबिनेट के भंग होने के बाद अब गाजा युद्ध से जुड़े फैसले बॉर्डर सिक्योरिटी कैबिनेट में लिए जाएंगे। हालांकि इस कैबिनेट में पहले से बेन ग्विर और फाइनेंस मिनिस्टर बेजालेल स्मोत्रिच जैसे अति दक्षिणपंथी नेता हैं। ये गाजा में और अधिक बमबारी करने के पक्ष में और हमास के खत्म होने तक जंग जारी रखने के पक्ष में हैं।
जानिए कौन हैं बेन ग्विर जिन्हें वॉर कैबिनेट में लाने की मांग हो रही...
बेन-ग्विर पहली डेट पर मुस्लिमों की हत्या करने वाले की कब्र पर गए
बेन-ग्विर नेतन्याहू सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री हैं। उनकी गिनती इजराइल के सबसे विवादित नेताओं में होती है। वे इजराइल की धुर दक्षिणपंथी रिलिजियस जिओनिस्ट पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। बेन-ग्विर कट्टरपंथी यहूदी नेता माएर कहाने की काहानिस्ट विचारधारा को मानते हैं।
बेन-ग्विर मीर कहाने को धर्मात्मा मानते हैं। उनकी काहानिस्ट विचारधारा का मानना है कि इजराइल में गैर यहूदियों को मतदान तक करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। कहाने संगठन अरब लोगों और मुसलमानों को यहूदी समुदाय और इजराइल का दुश्मन मानता है। न्यूयॉर्कर मैगजीन के मुताबिक मीर कहाने कहते थे, 'अरब कुत्ते हैं, या तो वे चुपचाप बैठें या निकल जाएं।'
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जब बेन-ग्विर सिर्फ 15 साल के थे तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन की गाड़ी के आगे लगा एक सिंबल चुरा लिया था। इसके बाद बेन-ग्विर ने मीडिया के कैमरे के सामने कहा था जैसे हम राबिन की गाड़ी तक पहुंचे हैं वैसे ही उस तक पहुंचेंगे।
इसके कुछ हफ्तों बाद ही पूर्व राष्ट्रपति यित्जाक राबिन की एक कट्टरपंथी ने गोली मारकर हत्या कर
दी। हमलावर यित्जाक के फिलिस्तीनियों के साथ पीस डील करने से नाराज था। हालांकि बेन-ग्विर इस
हत्या से नहीं जुड़े थे, पर उन्होंने हत्यारे की रिहाई के लिए चलाए गए कैंपेन में हिस्सा लिया था।
वो कहाने की पार्टी का हिस्सा थे। हालांकि 1988 में पार्टी को चुनाव लड़ने से बैन कर दिया गया। 1994 में कहाने के एक समर्थक बारूक गोल्डस्टीन ने 29 मुस्लिमों की हत्या कर दी थी। इसके बाद अमेरिका, इजराइल और यूरोपियन यूनियन ने कहाने पर बैन लगा दिया था। बेन-ग्विर, बारूक के बड़े फैन हैं और इसकी तस्वीर घर में टांग कर रखते हैं। वो अपनी पत्नी के साथ पहली डेट पर गोल्डस्टीन की कब्र पर गए थे।
नेतन्याहू की सरकार का हिस्सा कैसे बने बेन-ग्विर
तारीख - 29 दिसंबर 2022। जगह - इजराइल की संसद नीसेट। यहां बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और इजराइल की 37वीं सरकार बनी। एक साल पहले ही यानी 2021 में नेतन्याहू को घोटालों के आरोपों की वजह से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
तब कई पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स ने कहा था कि ये उनके राजनीतिक करियर का अंत है। नेतन्याहू ने उन्हें गलत साबित किया और चुनाव में बहुमत नहीं मिलने के बावजूद छठी बार देश के प्रधानमंत्री बने। सत्ता में आने के लिए नेतन्याहू ने कई ऐसी पार्टियों से गठबंधन किया जो इजराइल की सुरक्षा के लिए खतरा समझी जाती हैं। इजराइल की खुफिया एजेंसी शिन बेत के लिए काम कर चुके द्विर करिव कहते हैं कि नेतन्याहू बेन-ग्विर के आसपास रहना तक पसंद नहीं करते।
सिर्फ सत्ता में रहने के लिए उन्होंने बेन-ग्विर की पार्टी धार्मिक जिओनिज्म से गठबंधन किया है। इजराइल में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलना हैरानी की बात नहीं है। वहां 74 साल के इतिहास में ऐसा एक भी बार नहीं हुआ कि कोई पार्टी अपने दम पर सरकार बना पाई हो। इस बार हैरानी की सबसे बड़ी वजह नेतन्याहू की नई सरकार में शामिल कट्टरपंथी पार्टियां थीं।
इनमें कई पार्टियां तो पूरे फिलिस्तीन पर कब्जे के समर्थन में हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इन्हीं वजहों से इजराइल में नई सरकार बनते ही फिलिस्तीन के साथ विवाद बढ़ना तय हो गया था।