भोपाल। मध्यप्रदेश में तेंदुए की सही संख्या का पता लगाने के लिए अभी और इंतजार करना पडेगा। राष्ट्रीय वन्यजीव संस्थान देहरादून अब तक प्रमाणों की वैज्ञानिक जांच पूरी नहीं कर पाया है। इसलिए आंकड़े एक बार फिर रुक गए हैं। संस्थान को सही गणना के लिए तेंदुओं के पगमार्क, फोटो सहित मौजूदगी के अन्य प्रमाण सौंपे गए हैं। संस्थान को प्रमाणों के साथ पौने चार करोड़ फोटो की जांच कर यह पता लगाना है कि प्रदेश में आखिर कितने तेंदुए हैं। इसके साथ ही अन्य मांसाहारी और शाकाहारी वन्यजीवों के आंकड़े भी आएंगे। इसलिए बाघों के संरक्षण की योजना बनाने के लिए वन विभाग को अब संस्थान की तीसरी रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ेगा। देशभर में दिसंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच बाघों की गिनती हुई है। इस दौरान तेंदुए भी गिने गए हैं। चूंकि बाघ का आकर्षण ज्यादा है। इसलिए सरकार की प्राथमिकता में भी वही है। इसी कारण 29 जुलाई 2019 को बाघ गिनती के आंकड़े जारी कर दिए गए, लेकिन तेंदुओं की उपस्थिति के प्रमाणों के परीक्षण में सवा दो साल लग गए। फिर भी रिपोर्ट आने की स्थिति नहीं है। वन विभाग के सूत्रों ने मंगलवार को 'अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस' पर रिपोर्ट आने की संभावना थी, पर शाम तक स्पष्ट हो गया कि अभी और वक्त लगेगा। ज्ञात हो कि उपस्थिति के अन्य प्रमाणों के अलावा फोटो से भी यह पहचानने की कोशिश की जाती है कि अलग-अलग कैमरों में क्लिक हुए फोटो एक ही तेंदुए के तो नहीं हैं। बाघ के मामले में यह पहचान उसके शरीर पर मौजूद लाइनों से होती है, तो तेंदुए के मामले में उसके शरीर पर मौजूद गोल धब्बों से, जो बाघ की तुलना में ज्यादा मुश्किल होती है। तेंदुओं की रिपोर्ट अभी भले ही न आई हो, पर वन अधिकारियों को पूरा भरोसा है कि प्रदेश तेंदुआ राज्य का तमगा बरकरार रखेगा। वर्ष 2014 की गिनती के मुताबिक प्रदेश में एक हजार 856 तेंदुए हैं। यह आंकड़ा 2200 को पार कर जाएगा। हालांकि इस विषय में कोई भी अधिकृत रूप से कुछ कहने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि रिपोर्ट राष्ट्रीय स्तर पर जारी होने के बाद ही अधिकृत रूप से कुछ कहा जा सकता है। प्रदेश में बाघों की संख्या 308 से बढ़कर 526 हो गई है। 30 फीसद बाघ संरक्षित क्षेत्रों से बाहर घूम रहे हैं। ऐसे में बाघों को जंगलों में रोकने की योजना बनाई जाना है, जो राष्ट्रीय वन्यजीव संस्थान की तीसरी रिपोर्ट आने के बाद ही बन पाएगी।
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