Select Date:

नगरीय निकाय चुनाव : जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में कमलनाथ

Updated on 06-02-2021 01:05 PM
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के एजेंडे में इन दिनों सर्वोच्च प्राथमिकता नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी का अच्छा प्रदर्शन करने की है। इसके लिए जिताऊ रणनीति के साथ ही जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में  जुट गए हैं। इसके लिए वह हर प्रकार के जतन कर रहे हैं ताकि कांग्रेस को इन चुनावों में अच्छी- खासी सफलता मिले और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए  अपेक्षाकृत कुछ मजबूत जनाधार मिल सके। एक तरफ जहां भाजपा ने एक प्रकार से लगभग अपना मन बना लिया है कि किसी भी विधायक को महापौर पद का प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा ताकि एक और नेतृत्व की नई कतार तैयार हो सके। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को इस बात से कोई परहेज नहीं है कि एक व्यक्ति को एक ही पद पर रखा जाए और यही कारण है कि कांग्रेस यदि कोई विधायक उसकी नजर में जिताऊ होगा तो उसे महापौर का चुनाव लड़ाया जाएगा। कांग्रेस प्रत्याशी चयन का बड़ा आधार नगरीय निकाय चुनाव में केवल उम्मीदवार के चुनाव जीतने की क्षमता होगी। सवाल यही है कि क्या कांग्रेस केवल उम्मीदवार के जिताऊ होने मात्र से उसे टिकट थमा देगी या फिर गुटबंदी का तड़का भी प्रत्याशी चयन में कुछ भूमिका निभाएगा।
कांग्रेस केवल अधिक से अधिक शहर सरकार अपनी पार्टी की कैसे बने इसकी बिसात बिछाने में लगी है, परंतु उसकी राह इतनी आसान नहीं है क्योंकि प्रदेश में भाजपा की सरकार और उसका एक मजबूत संगठन है। साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसा उसके पास चेहरा है जिसने सामाजिक सरोकारों के चलते अपना अलग ही आभामंडल बना रखा है। कांग्रेस को चुनाव जीतने में अनेक दुश्वारियांयों का सामना करना पड़ सकता है। यदि उसने केवल जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट दे दी तभी वह कुछ उम्मीद कर सकती है। कमलनाथ ने सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के चुनाव के लिए प्रभारियों और सह-प्रभारियों की तैनाती कर दी है। नई दिल्ली से वापस लौटते ही कमलनाथ ने अपने निवास  में पूर्व मंत्रियों, प्रदेश पदाधिकारियों तथा निकाय चुनाव के लिए बनाए गए प्रभारियों से लंबी चर्चा कर स्थानीय परिस्थितियों को समझने की कवायत की। कमलनाथ की सोच है कि फरवरी माह के अंत तक उम्मीदवारों का चयन कर लिया जाए ताकि उन्हें लोगों से संपर्क करने और तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिल जाए। प्रभारियों को निर्देशित किया गया है कि वह जल्द से जल्द बैठक करें और प्रत्याशियों के बारे में चर्चा कर लें। यदि फरवरी तक उम्मीदवारों का कांग्रेस चयन कर लेती है तो फिर उन्हें उन लोगों को भी समझाने बुझाने का समय मिल जाएगा जो टिकट न मिलने के कारण नाराज हो जाएंगे। कांग्रेस जिताऊ उम्मीदवारों की खोज के लिए रायशुमारी भी कर रही है। वह टिकट देने के पूर्व यह पक्का कर लेना चाहती है कि जिसे वह चुनाव चुनाव लड़ाने वाली है उसकी मैदानी स्तर पर कितनी पकड़ है। पर्यवेक्षकों को कहा गया है कि टिकट के दावेदारों के बूथ की स्थिति का आंकलन करते समय 2013, 2014, 2018 और 2019 के विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिले वोट का भी उल्लेख करें। पार्टी को अधिक वोट दिलाने वाले को उम्मीदवार बनाया  जाएगा लेकिन यह भी देखा जाएगा कि वह कांग्रेस पार्टी तथा उसकी विचारधारा के प्रति कितना प्रतिबद्ध है। कांग्रेस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है और उसने विधायकों को उनके क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी की जीत का जिम्मा सौंप दिया है। विधायकों, प्रदेश पदाधिकारियों और युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों को निकाय के हिसाब से सुनिश्चित जिम्मेदारियां सौंप दी हैं। 50 प्रतिशत से अधिक युवा उम्मीदवारों को पार्टी चुनाव में उतारने का मन बना रही है ताकि शहर सरकारों में युवा पीढ़ी और नए चेहरों की भरमार रहे। स्थानीय स्तर पर इस प्रकार से पार्टी नेतृत्व की नई कतार खड़ा करना चाहती है। पूर्व मंत्री  कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि हर स्तर पर जिम्मेदारियां तय होंगी तथा पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा जाएगा। समझा जाता है कि कमलनाथ की मंशा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता में वापसी की उम्मीद करना है तो उसे इन चुनावों को जीतकर अपना ठोस आधार तैयार करना होगा। इसके लिए वह एक बार फिर निजी एजेंसियों के सर्वे पर भरोसा कर रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सर्वे उसके लिए जीत की खुशखबरी लेकर आया था तो उसके विपरीत 28 विधानसभा उपचुनाव में सर्वे से तय किए गए उम्मीदवारों के बावजूद उसे निराशा का सामना करना पड़ा था इसके बावजूद सर्वे कराया जा रहा है। 16 नगर- निगम के साथ ही कुछ बड़ी नगर  पालिकाओं में लोगों की राय जानी जा रही है। इस सर्वे का एक मकसद जीत की संभावनाओं को तलाशना भी है तथा यह पता लगाना है कि जो लोग कांग्रेस वोट देना चाहते हैं वह क्यों देना चाहते हैं और जो नहीं देना चाहते वह क्यों नहीं देना चाहते हैं। 
और अंत में............
राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान आज राज्यसभा में महाराजा यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा राजा यानी दिग्विजय सिंह का आमना-सामना हुआ तो उसका अंदाज कुछ अलग था। राज्यसभा में दिग्विजय सिंह बोले वाह महाराज वाह, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाथ जोड़कर कहा आपका आशीर्वाद है इसके साथ ही सदन में ठहाका गूंजा। सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं और जब आज पहली बार सदन दोनों का सामना हुआ तो अपेक्षित तल्खी के स्थान पर हास्य परिहास का नजारा देखने को मिला। सिंधिया के भाषण के बाद सभापति वेंकैया नायडू ने बोलने के लिए दिग्विजय सिंह का नाम पुकारा और साथ ही यह भी कहाकि इसमें मैंने कुछ नहीं किया ऐसी ही सूची आई थी। हुआ कुछ ऐसा कि दिग्विजय सिंह ने कहा- सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से सिंधिया जी को बधाई देना चाहता हूं, जितने अच्छे ढंग से वे यूपीए सरकार में सरकार का पक्ष रखते थे उतने ही अच्छे ढंग से आज उन्होंने भाजपा का पक्ष रखा। आपको बधाई हो वाह जी महाराज वाह ! इस बात पर मुस्कुराते हुए सिंधिया ने हाथ जोड़ लिए और कहा कि सब आपका ही आशीर्वाद है। सिंधिया के इतना कहते ही सदन में  ठहाके गूंजने लगे। दिग्विजय सिंह का उत्तर था हमेशा रहेगा, आप जिस पार्टी में रहे आगे जो भी हो हमारा आशीर्वाद आपके साथ था है और रहेगा।
 अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश
           

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 16 November 2024
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक  जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
 07 November 2024
एक ही साल में यह तीसरी बार है, जब भारत निर्वाचन आयोग ने मतदान और मतगणना की तारीखें चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जाने के बाद बदली हैं। एक बार मतगणना…
 05 November 2024
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
 05 November 2024
चिंताजनक पक्ष यह है कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार ज्यादातर वो लोग हो रहे हैं, जो बुजुर्ग हैं और आमतौर पर कानून और व्यवस्था का सम्मान करने वाले हैं। ये…
 04 November 2024
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
 03 November 2024
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
 01 November 2024
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
 01 November 2024
संत कंवर रामजी का जन्म 13 अप्रैल सन् 1885 ईस्वी को बैसाखी के दिन सिंध प्रांत में सक्खर जिले के मीरपुर माथेलो तहसील के जरवार ग्राम में हुआ था। उनके…
 22 October 2024
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…
Advertisement