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नगरीय निकाय चुनाव : विधायकों को लामबंद कर ताल ठोकने की होड़

Updated on 31-12-2020 02:27 PM
कोरोना संक्रमण के चलते भले ही नगरीय निकाय के चुनाव फरवरी 2021 के बाद होंगे लेकिन भाजपा और कांग्रेस  नेता अभी से इन चुनावों की तैयारी में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दे रहे हैं, क्योंकि दोनों को मालूम है कि उनके नतीजे राजनीतिक नफा नुकसान की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होंगे। 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व इन्हें एक प्रकार से सेमीफाइनल की तरह लिया जा रहा है। खासकर कांग्रेस के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं और यदि इन चुनावों में अपेक्षित सफलता नहीं मिलती है तो फिर कांग्रेस के लिए अपने कार्यकर्ताओं में व्याप्त होने वाली निराशा को दूर करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसलिए कांग्रेस इन चुनावों को पूरी गंभीरता से ले रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही इन चुनावों में जीत का जिम्मा अपने विधायकों पर डाल दिया है। कांग्रेस नेता भले ही नगरीय निकाय चुनाव टालने के लिए  सवाल उठा रहे हों लेकिन  इसे वह चुनावी तैयारियों के लिए और समय मिलने के अवसर के रूप में भी देख रहे हैं। इन चुनावों में विधानसभा स्तर पर किसी प्रकार का भितरघात ना हो सके और असहयोग तथा गुटबाजी कोई गुल ना खिला पाए इसलिए भाजपा और कांग्रेस ने शहरी निकायों के चुनावों की जिम्मेदारी विधायकों को ही सौंप दी है। 
विधायकों को साधने का जतन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी से कर रहे हैं। भाजपा विधायक दल की बैठक में शिवराज ने विधायकों से कहा था कि आप हर समय उपलब्ध रहें और जनता के सतत संपर्क में रहें। उन्होंने वन टू वन  विधायकों से चर्चा करना शुरू किया है और 30  से अधिक विधायकों से क्षेत्र से जुड़ी विकास योजनाओं के संबंध में चर्चा की। अधिकांश विधायकों ने रुके हुए काम जल्दी से जल्दी पूरा करवाने की मांग प्रमुखता से रखी। शिवराज की प्राथमिकता  भी विकास कार्यों को गति देने की है। समय रहते यदि काम होते रहे तो इसका फायदा निश्‍चित तौर पर नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को मिलेगा और विधायक भी ज्यादा वजनदारी से अपनी बात मतदाताओं के गले उतार सकेंगे। शिवराज ने निकाय चुनाव के संबंध में विधायकों को निर्देश दिया कि पार्टी को जिताने के लिए सभी से समन्वय के साथ  तैयारियां तेज कर दें और भाजपा को बूथ स्तर तक मजबूत करने में सहयोग करें। अधिकारियों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ  तालमेल बिठाकर विकास कार्यों पर फोकस करें। इस प्रकार नव-वर्ष में मुख्यमंत्री का फोकस  विशेष कर शहरी और अर्ध शहरी इलाकों पर होगा ताकि इन चुनावों में भाजपा को कांग्रेस के ऊपर निर्णायक बढ़त मिल सके। 
मप्र से हिलेंगे नहीं कमलनाथ       
मध्य प्रदेश की राजनीति से दिल्ली की राजनीति में जाने तथा राजनीतिक संन्यास लेने संबंधी तमाम अटकलों पर एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने यह कहते हुए विराम लगा दिया है कि ’मैं मप्र से हिलूंगा तक नहीं’। इसके साथ ही यह सवाल उठता है कि कब तक ? इसका उत्तर कमलनाथ ने तो दे दिया है और हाईकमान द्वारा इस सवाल का उत्तर आना अभी शेष है। वैसे कांग्रेस की राजनीति में कमलनाथ का कद इतना बड़ा है की उनके बारे में कोई भी फैसला उनकी इच्छा से ही होगा। इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि उनकी इच्छा के विपरीत हाईकमान कोई फैसला करेगा, कब तक ना हिलने का सवाल इसीलिए पैदा  होता है। कमलनाथ ने इसके साथ यह भी जोड़ दिया की पार्टी हाईकमान उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगा उसे वह ईमानदारी से निभाएंगे। कमलनाथ ने कहा कि उन्हें किसी पद की कोई लालसा नहीं है। मैंने तो अध्यक्ष पद के लिए भी अप्लाई नहीं किया था। कमलनाथ के एजेंडे में इस समय सबसे ऊपर नगरीय निकाय चुनाव में जीत दर्ज कराने की है इसीलिए उन्होंने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में विधायकों से दो टूक शब्दों में कहा कि नगरीय निकाय चुनाव कभी छोटा नहीं होता है यह सीधे जनता से जुड़ा हुआ चुनाव होता है। इसे 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का ट्रेलर समझ कर सभी विधायक तत्काल जुट जाएं और इसके साथ ही विधानसभा चुनाव की तैयारी भी करें। उन्होंने संगठन की एक बैठक में यह साफ कर दिया था कि प्रत्याशियों के चयन में विधायकों की रायशुमारी को पूरा महत्व दिया जाए। जिला कांग्रेस अध्यक्षों  को भी उन्होंने कड़े शब्दों में हिदायत दी कि विधायकों के साथ तालमेल कर चलें और जो अध्यक्ष ऐसा नहीं करेगा उसे मैं हटा दूंगा। इसीलिए साफ होता है कि पार्टी संगठन और विधायक के बीच में पूरा सामंजस्य रहे तथा आपस में टकराव ना हो। इस प्रकार कांग्रेस  ने भी स्पष्ट कर दिया गया है की चुनाव में विधायकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
कृषि ओपीडी खोलेंगे पटेल     
प्रदेश के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल जमीन को जहरीला होने से बचाने के लिए राज्य में कृषि ओपीडी खोलने जा रहे हैं और अधिकारियों को भी उन्होंने निर्देश दे दिया है। रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशक औषधियों के अत्याधिक प्रयोग होने से कृषि जमीन भी एक प्रकार से जहरीली होती जा रही है जिससे कि कैंसर सहित अनेक गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसकी गंभीरता को समझते हुए ही कमल पटेल ने पहल की है। पटेल ने कृषि वैज्ञानिक से कहा है कि वे गांवों में जाकर जमीन के उपचार और उपज बढ़ाने की जानकारी  किसानों को दें। पटेल ने  होशंगाबाद के पंवारखेड़ा में  आयोजित जैविक कृषि प्रोत्साहन कार्यक्रम में जैविक खेती अपनाने का आव्हान करते हुए कहा कि रासायनिक खाद के इस्तेमाल से बढ़ रहे कैंसर के मामलों को रोकना हमारी जिम्मेदारी है।  पटेल की सोच है कि जमीन भी हमारे शरीर की तरह है इसलिए जिस तरह से अस्पतालों में ओपीडी होती है वैसे ही कृषि ओपीडी भी होना चाहिए।
और अंत में....     
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में  शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में कैसा व्यवहार हो रहा है और उन्हें सम्मानित किया जा रहा है या अपमानित इसकी चिंता  सिंधिया के समर्थकों से ज्यादा कांग्रेस के कुछ मीडिया प्रबंधकों को  है। कमलनाथ से जब मीडिया ने इस संबंध में सवाल किया तो उन्होंने भाजपा में सिंधिया के भविष्य का उत्तर देते हुए कहा कि भाजपा उनको संतुष्ट कर पाएगी इस पर ही उनका भविष्य निर्भर करेगा। सिंधिया को सेटिस्फेक्शन की राजनीति चाहिए। सिंधिया जो चाहते हैं वह उन्हें मिले। यदि भाजपा उन्हें यह दे पाई तो उनका भविष्य है अगर नहीं दे पाई तो दोनों (सिंधिया और भाजपा)का  नहीं है।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश    

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