उपहार देना पूरी दुनिया में प्यार मान सम्मान जताने का एक सलीका है, यह ऐसी प्रथा बनी है जिसे विश्व के सभी लोगों ने अपनाया, हर व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार उपहार देने लेने की भावना रखता है। कलात्मक और स्वयं रचित रचनात्मक तैयार किए उपहार अपनी याददाश्ता छोड़ जाते हैं। छोटा बच्चा जब अपनी टूटी फूटी हैंड राइटिंग से माता पिता दादा-दादी या नाना-नानी के लिए एक कार्ड बनाता है जिस पर लिखता है कि आई लव यू तो वह सबसे कीमती उपहार बन जाता है। क्योंकि उसमें उसकी भावना जुड़ी रहती है। सही मायने में उपहार सर्वोत्तम वही होते हैं जिसमें आपकी भावनाएं जुड़ी हुई हो। आजकल कई व्यक्ति महंगे उपहार देते हैं अच्छी बात है परंतु यह जानना जरूरी है कि क्या उनकी भावना उसमें किस रूप से जुड़ी है। व्यापारीक या व्यवसायीक कारण से उपहार भेजने का चलन बहुत ज्यादा प्रचलित है और यही मौका रहता है जब व्यक्ति अपना इंप्रेशन जमाने की कोशिश करता है। सिर्फ महंगे उपहार देने से प्यार नहीं झलकता है, उपहार हमेशा जिसे दिया जाए उसकी आवश्यकता और जरूरत का हो तो वह महत्वपूर्ण हो जाता है। शादी ब्याह में प्रथागत उपहार दिए जाते हैं परंतु कई रिश्तेदार क्रिटिसाइज करते हैं कि कितना रईस है लेकिन देखो कैसा सस्ता उपहार दिया, कंजूस छोटे दिलवाला जैसी उपाधि दे देते हैं। उपहार सिर्फ विशेष अवसर और कारण से दिए जाएं रीति रिवाज के नाम से उपहारका लेन-देन नही होना चाहिए।
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