पहले जब मोबाइल टीवी नहीं थे तो बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होता था, आबादी घनत्व भी कम था परंतु संघर्ष करके आगे आने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा थी। बदलती दुनिया के दौर में सोशल मीडिया सशक्त और आवश्यक हो गया, इंटरनेट के जरिए मोबाइल पर सभी जानकारी इकट्ठी हो जाती है। अनेक माता-पिता कामकाजी और फैंसी परिवेश के हो गए क्लब, मीटिंग, पार्टियां का चलन बहुत बढ़ गया ऐसे मे आया के भरोसे बच्चे बड़े हो रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि छोटे बच्चों को माता-पिता का स्पर्श उनका सानिध्य प्यार दुलार जितना ज्यादा मिलता है उतना उनका मनोबल बडता हैं। कई माता-पिता बच्चों को समय नहीं दे पाते तो उसके हाथ में मोबाइल थमा या टीवी शो लगाकर उसे बिठा देगे। 12 से 18 साल के बच्चों पर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि इस अवधी मे उनके शरीर के हार्मोन भी बदलते हैं, उन्हें मार्गदर्शन की सख्त आवश्यकता होती है, वे क्या करना चाहते हैं क्या कर सकते हैं जिससे उनका भविष्य निर्धारित हो सके। बच्चा अकेलेपन में ज्यादा रहेगा, पूरे समय मोबाइल पर रहेगा तो उसके बिगड़ने के पूरे चांस बन जाते हैं। इसलिए माता-पिता ने बच्चों की मानसिकता को समझना बहुत जरूरी है उसकी दिनचर्या, रहन सहन, बोलचाल पर निगरानी रखें गलती होने पर तुरंत उसे सचेत करें।
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