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ट्यूबवेल (बोरिंग) समस्या नहीं समाधान, खुदाई न रोके

Updated on 04-03-2022 01:40 PM
किसी जमाने में पानी के लिए जगह-जगह छोटे-बडे तालाब बनाए जाते थे। ये जल संग्रह के बड़े सोर्स हुआ करते थे जिससे जमीन में पानी का स्तर बना रहता था। बढ़ते शहरीकरण में पुराने छोटे-मोटे कई तालाब बस्तियों में बदल गए। ऐसे में पानी का स्तर नीचे जाने पर कुआ बावड़ी भी सुख गए। ट्यूबवेल ही एकमात्र बानी का सोर्स बचा। ट्यूबवेल के फायदे है इनके जरिए पानी एकत्रित किया जा सकता है इन पर रोक लगाने के बजाय इन्हे पानी के लिए रिचार्जर बनाये। शहरों का एरिया बडेगा तो आबादी और निर्माण भी बढ़ेंगे उस अनुसार कितना पानी लगेगा, हमारे यहां बरसात के पानी को एकत्र करने पर कोई भी ठोस रणनीति नहीं बनाई गई क्योंकि कमेटियों में इन विषयों के एक्सपर्ट को नहीं लेने से नतीजा यह रहा कि बजट बनता है पैसा खर्च हो जाता है लेकिन शहर की प्यास वैसी की वैसी रह जाती है। समस्या यह नहीं है कि बोरिंग बहुत हो रहे हैं, समस्या यह है की पानी की आपूर्ति में नहीं हो रही। अतः अनेक परिवार बोरिंग के पानी पर ही निर्भर है। प्रति व्यक्ति पानी का खपत 135 लीटर प्रतिदिन मानी जाती है जिसमें व्यक्ति का खाना पिना, धुलाई - सफाई आदी शामिल है। जहा धूल बहुत उड़ती है वहा पानी ज्यादा खपता है कपड़े, घर आंगन और वाहन रोज धुलते है। गार्डनींग के लिये पानी भी लगेगा। भले ही आपके ट्यूबवेल में पानी भरपुर हो आपको पानी विवेक से वापरना चाहिए। पानी बचाने के हर मुद्दे पर प्रत्येक आदमी ने अमल करना चाहिए।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)
(ये लेखक के अपने विचार है)

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