जनजातीय गौरव दिवस : हासिए पर गए समाज को देश की मुख्यधारा में जोड़कर उनके सर्वांगीण विकास की शुरुआत का दिन
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16-11-2021 03:33 PM
रानी कमलापति, जो भोपाल की वास्तविक रानी थीं, जो अफगानिस्तान से आए खान सेनापति दोस्त मोहम्मद की क्रूरता की शिकार हुईं और धोखे से कमलापति के बेटे को लालघाटी में कत्ल कर दिया। इससे आशंकित रानी ने अपनी आबरू बचाने बड़े तालाब में कूदकर जलसमाधि ले ली। मध्य प्रदेश राज्य के वास्तविक शासक गोंड रहे हैं। रानी कमलापति भी गोंड जाति आती थी। एक तरफ रानी दुर्गावती थीं, वहीं शंकर शाह, रघुनाथ शाह, झलकारी बाई जैसे वीर-वीरांगनाओं ने राज्य की स्वतंत्रता को अक्षुण्य बनाए रखने के लिए समय-समय पर मुगलों और अंग्रेजों से युद्ध किया और आसानी से कभी भी उन्हें जीतने नहीं दिया।
आज भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण उन्हीं रानी कमलापति के नाम पर रखा गया, जो भोपाल की रूह में धड़कता है। वहीं रानी कमलापति, जिनकी कहानी परी-कथा की तरह भोपाल के बचपन में शामिल रहीं और जवानी में स्मृतियों में। देश के भूले-बिसरे आदिवासी जनजाति समाज के वो वीर-वीरांगनाएं, वो नायक-नायिकाएं जिन्होंने इस देश की संस्कृति, संस्कार और परंपराओं को सदियों तक सहेज कर रखा। प्रकृति को आध्यात्मिकता से जोड़कर रखा।
जनजातियों, आदिवासियों का वो समाज सदियों से हासिये पर रहा, आजादी के पहले और आज़ादी के बाद भी, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हासिए पर गए इस समाज को देश की मुख्यधारा में शामिल कर उनके सर्वांगीण विकास के लिए एक नई शुरुवात की। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, बिजली और रोजगार को लेकर एक विस्तृत कार्ययोजना शुरू की। इसका परिणाम समय के साथ निश्चित रूप से देश के सामने आएगा। ये हासिए पर गया समाज मुख्य धारा से जुड़कर आने वाले समय में देश के विकास का एक नया अध्याय लिखेगा।
इसी बात को बिरसा मुंडा की जयंती पर भोपाल के जम्बूरी मैदान "जनजातीय गौरव महासम्मेलन" में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा। उन्होंने कहा, देश की आबादी का करीब 10 प्रतिशत होने के बावजूद दशकों तक, जनजातीय समाज को, उनकी संस्कृति, उनके सामर्थ्य को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। आदिवासियों का दुःख, उनकी तकलीफ, बच्चों की शिक्षा उन लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखती थी। आज का दिन पूरे देश के लिए पूरे जनजातीय समाज के लिए बहुत बड़ा दिन है। आज भारत अपना पहला "जनजातीय गौरव दिवस" मना रहा है।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा- जनजातीय समाज के योगदान के बारे में या तो देश को बताया ही नहीं गया और अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में जानकारी दी गई। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि आज़ादी के बाद दशकों तक जिन्होंने देश में सरकार चलाई, उन्होंने अपनी स्वार्थ भरी राजनीति को ही प्राथमिकता दी। गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया।
महासम्मेलन के अवसर पर पीएम मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए जनजातीय समुदाय से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ भी किया। मंच झाबुआ के आदिवासियों की पारंपरिक जैकेट और डिंडोरी का आदिवासी साफा पहने प्रधानमंत्री ने कहा, जब 2014 में उनकों देशवासियों की सेवा का मौका दिया, तभी से उन्होंने जनजातीय समुदाय के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा। आज सही मायने में आदिवासी समाज के हर साथी को देश के विकास में उचित हिस्सेदारी और भागीदारी दी जा रही है।
हाल में पद्म पुरस्कार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, जनजातीय समाज से आने वाले साथी जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो दुनिया हैरान रह गई। आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वालों को प्रधानमंत्री ने देश का असली हीरा बताया। देश का जनजातीय क्षेत्र, संसाधनों के रूप में, संपदा के मामले में हमेशा समृद्ध रहा है, लेकिन सरकार में रहे लोग इन क्षेत्रों के दोहन की नीति पर चले। हम इन क्षेत्रों के सामर्थ्य के सही इस्तेमाल की नीति पर चल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, आज जब हम राष्ट्रीय मंचों से, राष्ट्र निर्माण में जनजातीय समाज के योगदान की चर्चा करते हैं, तो कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जनजातीय समाज का भारत की संस्कृति को मजबूत करने में कितना बड़ा योगदान रहा है।
महासम्मेलन में बोलते हुए, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, रानी कमलापति भूला दी गईं, उनको इतिहास में उचित स्थान न अंग्रेजों ने दिया और न कांग्रेस ने दिया, लेकिन प्रधानमंत्री ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रखकर रानी का सम्मान बढ़ाया है।
अनुराधा त्रिवेदी , लेखिका , वरिष्ठ पत्रकार, भोपाल ये लेखिका के अपने विचार है I
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