आज नवरात्रि के आठवें दिन होती है महाष्टमी महागौरी की पूजा और आरती
Updated on
24-10-2020 02:25 PM
आज नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इसे महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महागौरी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप खत्म हो जाते हैं। मां पार्वती ने अपने रंग के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी जिसके बाद उन्हें गौर वर्ण मिला था। इसी के चलते वह महागौरी कहलाईं। कहा जाता है कि महागौरी की पूजा महाष्टमी के दिन करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। महाष्टमी के दिन लोग अपने घर में कन्या पूजन भी करते हैं।
महागौरी की पूजी विधि, आरती और मंत्र।
महागौरी की पूजा:
इस दिन स्नानादि कर पीले वस्त्र पहनें। फिर मां के सामने दीपक जलाएं। महागौरी का ध्यान करें। मां को सफेद व पीले पुष्प बेहद प्रिय हैं। ऐसे में उन्हें यही अर्पित करें। फिर मंत्रों का जाप करें। इसके बाद मध्य रात्रि में इनकी पूजा करें। इस दिन कन्याओं को खाना भी खिलाया जाता है। कहा जाता है कि 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्या को ही पूजा जाना चाहिए। इस दिन मां की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं।
मां महागौरी बीज मंत्र:
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
महागौरी मंत्र:
माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।
श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।
ओम देवी महागौर्यै नमः।
महागौरी माता की आरती:
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।
शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजा, कुमारिका पूजा या कंजक पूजा का महत्व काफी बड़ा है। नवरात्रि स्वयं मां आदिशक्ति की उपासना का पर्व है और कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। नवरात्रि के समय में 02 से 10 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा की जाती है। वैसे तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन के लिए कन्या पूजा का विधान है, लेकिन आमतौर पर दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजा की जाती है।
कन्या पूजा का मुहूर्त :इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजा 24 अक्टूबर दिन शनिवार को की जाएगी। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 23 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है, जो 24 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से महानवमी प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में कन्या पूजा 24 अक्टूबर को करना चाहिए।
कन्या पूजा का नियम :कन्या पूजा में आपको 02 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना चाहिए। जब आप कन्या पूजा करने जाएं तो 02 से 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें तथा उनके साथ एक छोटा बालक भी होना चाहिए। 9 कन्याएं 9 देवियों का स्वरुप मानी जाती हैं और छोटा बालक बटुक भैरव का स्वरुप होते हैं। कन्याओं को घर आमंत्रित करके उनके पैर पानी से धोते हैं, फिर उनको चंदन लगाते हैं, फूल, अक्षत् अर्पित करने के बाद भोजन परोसते हैं। फिर उनके चरण स्पर्श करके आशीष लेते हैं और उनको दक्षिणा स्वरुप कुछ उपहार भी देते हैं।
हर कन्या का अलग रुप :नवरात्रि में सभी उम्र वर्ग की कन्याएं मां दुर्गा के विभिन्न रुपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा, 9 वर्ष की कन्या दुर्गा, 8 वर्ष की शाम्भवी, 7 वर्ष की चंडिका, 6 वर्ष की कालिका, 5 वर्ष की रोहिणी, 4 वर्ष की कल्याणी, 3 वर्ष की त्रिमूर्ति और 2 वर्ष की कन्या को कुंआरी माना जाता है।