जिनको पावर दिया पर उसकी नियत/ कार्यशैली पर निगरानी नहीं नतीजन कई बन गए भ्रष्टाचारी
Updated on
18-12-2022 01:14 PM
जिनके पास पावर/ अधिकार किसी भी प्रकार की एनओ सी, अनुमति, स्वीकृति, लाइसेंस या प्रमाण पत्र देने की उनकी नियत ठीक तो भ्रष्टाचार नहीं होगा अन्यथा यह सब भ्रष्टाचारी लुटेरे बनकर खड़े हो गये। इसका प्रमुख कारण है किसी एक के हाथ में पावर दे देना। सरकार इन्हें ईमानदार जनता की सेवा करने वाले कर्मचारी अधिकारी की हैसियत से पावर दे देती है और फिर सुशासन का दावा करती है। पावर देने के बाद इनकी कार्यशैली पर कोई निगरानी निरंतर नहीं होती इससे यह लोग जिन्हें पावर मिलता है बिंदास हो जाते हैं। सरकार इन पर की गई शिकायतों को भी गंभीरता से नहीं लेती है। सरकार द्वारा सर्विस पर रखने के पहले इनकी चरित्र रिपोर्ट की टेस्टिंग नहीं होती और नाही इन पर लगातार मानिटरिंग होती है। इनके ऊपर आरोप शिकायत के केस पर तुरंत निदान नहीं होता। आम व्यक्ति की धारणा यह है कि सरकारी नौकरी में लग जाओ पूरा जीवन मस्ती में निकालो चाहे जो करो। लाखों करोड़ों कर्मचारियों में दो चार पांच जनों को पकड़कर उन पर केस बना देने से सरकारी कर्मचारी को डर नहीं बैठता है कई कर्मचारी तो बाद में कोर्ट में केस लगाकर अपनी नौकरी वापस पा लेते हैं। भ्रष्ट और बेनियत कर्मचारियों के ऊपर सख्त कार्रवाई कब होगी पता नहीं। उनमें खौप पैदा करना होगा कि यदि हम ईमानदार नहीं रहेंगे तो हमे बहुत सख्त और कठिन दंड मिलेगा।
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