क्या है हमारा जीवन और क्या है उसका आनंद। यह बात वैसे तो बहुत आसान है यदि हम संतुष्ट बन जाए तो वरना हम अपनी चाहतो से उसे जटिल बना लेते हैं। जीवन और आनंद का तालमेल इतना सुलभ है बस सिर्फ आपकी सोच मे यह बात आ जाय कि मेरे पास जो है उसमें मै बहुत खुश हूं और सब ईश्वर की देन है सब प्रभु कृपा है अच्छा है तो प्रभु की मर्जी से बुरा है तो प्रभु की मर्जी से। जीवन में सोच कर कर्म भी जरूरी है और कर्म को आनंद के साथ करना सर्व सुखाय होता है। बहुत से लोग कहते हैं आई एम नॉट डूइंग बिजनेस आई एम इंजॉयींग बिजनेस याने मैं बिजनेस के प्रति दीवाना तो हूं पर मैं मशगुल नहीं हूं मैं उस दीवानेपन मे आनंद ढूंढता हूं। बिना वजह की चिंता नहीं पाता हूं। जीवन के कुछ अपने नियम बना ले ब्रह्म मुहूर्त में उठना, उठकर कुछ एक्सरसाइज करना, घर के काम करना। हमें घर आए हुए मेहमान का सामान उठाना पड़े तो उसमें कोई झिझक नहीं होना चाहिए। हम इतने सरल रहे कि हम सब के काम आ सके सब आपको जब चाहेंगे तब आपको आपके जीवन का सही आनंद की पहचान होगी। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखे कि सरलता का कोई नाजायज फायदा ना उठा सके। जीवन का सच्चा आनंद आप की खरी कमाई में है आप जो कमाते हैं उसमें बेहद खुश रहें परिवार के साथ हंस बोलकर जिंदगी बिताये, अच्छे मित्र बनाएं, बुरी संगत से दूर रहे, धर्म के प्रति आस्थावान रहे लेकिन अंधभक्त ना बने। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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