इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम के मंच से अपने संबोधन में कहा कि गोवर्धन पूजा हमारी संस्कृति का प्रतीक है। हमारे किसानों की दीपावली तो गोवर्धन पूजा से ही प्रारंभ होती है। फसलों का उत्पादन करने के लिए तो किसानों को क्रेडिट कार्ड मिलता ही है, लेकिन अब गोवंश पालने वालों को भी क्रेडिट कार्ड दिया जाएगा, ताकि वह गोवंश के पालन के लिए धन का इंतजाम कर सकें।
उन्होंने कहा कि 10 से ज्यादा गोवंश पालने वालों को विशेष अनुदान दिया जाएगा। हमने फैसला किया है कि नगर निगम क्षेत्र में 5 हजार से 10000 गोवंश के पालन के लिए जो भी खर्च आएगा, उसका प्रबंधन राज्य सरकार करेगी।
सरकार ने यह भी तय किया है कि आने वाले समय में गोवंश का पालन करने और दुग्ध उत्पादन करने वालों को बोनस भी दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने गुजरात के अमूल संस्थान की गतिविधियों का परीक्षण कराया है और इसके साथ ही नेशनल डेयरी बोर्ड के साथ प्रदेश के सभी गांव में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है।
कार्यक्रम स्थल पर गोवर्धन पर्व के सांस्कृतिक एवं आर्थिक महत्व पर केन्द्रित इस आयोजन में गोसंस्कृति, परिवेश के प्रदर्शन और स्वास्थ्य आधारित लाभों पर केन्द्रित प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में मुख्य रूप से पंचगव्य उत्पाद, गोशिल्प उत्पाद, कृषि आधारित उत्पाद और दैनिक उपयोग के उत्पाद के आर्थिक महत्व को प्रदर्शित किया गया है। सभी जिलों की किसी एक प्रमुख गोशाला में भी गोवर्धन पूजा के कार्यक्रम हो रहे हैं।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आज सीएम हाउस में विधिवत पूजा-अर्चना कर गौमाता की सेवा की और उनके प्रति अपने श्रद्धा-भाव को व्यक्त किया। इस मौके पर उन्होंने प्रदेशवासियों को संदेश देते हुए कहा कि हमारी संस्कृति 'उत्सव प्रधान' संस्कृति है। हमारे वेदों में कहा गया है "गावो विश्वस्य मातरः" अर्थात् गाय संसार की माता है। प्रदेश सरकार गौवंश के संरक्षण के लिए तेज गति से कार्य कर रही है। गोवर्धन पूजा का यह पर्व हमें प्रकृति और पशुधन के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है।