कहते कुछ हो करते कुछ हो साहब आप भी ना बिल्कुल गिरगिट जैसे रंग बदलते हो
Updated on
13-06-2021 11:40 PM
कहते कुछ हो ।
करते कुछ हो ।।
साहब आप भी ना
बिल्कुल गिरगिट ।
जैसे रंग बदलते हो।।
अजब खेल है राजनीति का,रोज़ शतरंज की बिसात बिछती है, शतरंज के खेल के यह महारथी रोज़ शतरंज की बिसात बिछाते हैं और कब शतरंज के प्यादे बिखर जाए पता ही नहीं चलता, राजनीति अजब खेल है,गज़ब खेल है,आम इंसान से परे है यह खेल,कब प्यादे की नियत खराब हो जाए,दूसरे पाले में आकर शेह और मात का खेल खेलने लगे पता ही नहीं चलता,यानी कब किसकी सरकार गिर जाए पता ही नहीं चलता ।
राजनीतिकों की ज़ात गज़ब की होती है,जब तक पार्टी से कुर्सी, पैसा,मान सम्मान और फ़ायदा मिलता है,तो पार्टी के गुण गाते हैं, जिस दिन उनको लगता है,अब इस राजनीतिक दल का भविष्य खतरे में है या उनकी राजनीति की धार कम होने लगी है,फौरन बगैर सोचे समझे,सब रिश्तो को ताक में रखकर मज़बूत राजनीतिक दल की तरफ मुंह मोड़ लेते हैं,कल तक जिन विपक्षी दल के लिए अपशब्द की मालाओं का प्रयोग करते थे,आज उनके मुख से पुष्प बरसने लगते हैं,नेताओं का वही घिसा पिटा मुहावरा घर वापसी,घुटन महसूस होना,देश हित में कार्य करना आदि आदि । भगवान जाने देश हित में काम करना चाहते हैं या अपने हित के लिए,इसलिए मैं कहता हूँ अजब है,गज़ब है,यह राजनीति का खेल गज़ब है । गिरगिट एवं नेताओं में बड़ी समानताएं है,यह दोनों अपने अपने रंग बदलते है,रंग बदलना इन दोनों की मजबूरी है,अगर गिरगिट रंग ना बदले तो उसे शिकार करने में मुश्किल होगी या उसे कोई बड़ा जानवर खा जाएगा और नेता अपना रंग इसलिए बदलते हैं,अगर वह अपना रंग ना बदले तो उनकी राजनीति का जीवन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा ।
नेताओं के बदलते रंग,कब केसरिया से हरा हो जाए,हरे से केसरिया पता ही नहीं चलता, अगर रंग बदलना है तो ईमानदारी,देश भक्ति,भ्रष्टाचार के खिलाफ,जनमानस सेवा के रंग में आ जाओ यानी अपनी सोच में तिरंगे को बसा लो,देश की सेवा सत्ता में हो या विपक्ष में या राजनीति से संन्यास ले लिया हो फिर भी देश की सेवा तो कर सकते हो ।
मैं कुछ उदाहरण आपके सामने रख रहा हूँ,अगर क्रिकेट का मैच चल रहा हो,एक देश की टीम हार रही हो,हारने वाले देश की टीम का खिलाड़ी जीतने वाली दूसरे देश की टीम में शामिल हो सकता है, बिल्कुल नहीं क्योंकि खेल के नियम होते हैं,एक खिलाड़ी अपनी टीम से ही खेल सकता है,मैच के दौरान वह दूसरी टीम में शामिल नहीं हो सकता,जब खेल में ऐसे कानून है,तो हमारे देश की राजनीति में ऐसे कानून क्यों नहीं बना,इसका मतलब हैं खेल से भी बदतर है राजनीति।
दूसरा उदाहरण आप किसी भी पशु को रोज़ रोटी डालें जब तक उस पशु को रोटी मिलती रहेगी वह आपके दरवाज़े पर खड़ा रहेगा,जिस दिन से उसको रोटी मिलना बंद हो जाएगी उस दिन से वह दूसरे घर के दरवाज़े पर रोटी के लिए खड़ा हो जाएगा,ऐसा ही कुछ होता है राजनीति में भी ।
हाल ही में बंगाल में चुनाव चल रहे थे, एक दल के नेता, दूसरे दल में शामिल हो रहे थे,उनको ऐसा लग रहा था, इस बार ममता दीदी राजनीति में मुंह की खाएगी और चुनाव में चारों खाने चित हो जाएंगी, इसलिए उनकी पार्टी के कई नेताओं को पार्टी में घुटन महसूस होने लगी थी,पर असलियत यह थी, इन नेताओं को लग रहा था, इनके सत्ता की कुर्सी के पाए कमजोर पड़ गए हैं, कभी भी उनकी राजनीति की कुर्सी के पाए टूट कर गिर जाएंगे, इसलिए इन नेताओं ने फिर से गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए अपना रंग सफेद और हरे से केसरिया कर लिया था,पर अफसोस इन नेताओं का अनुमान गलत निकला,जिस दल में शामिल हुए थे,उस दल को चुनाव में मुंह की खाना पड़ी,अब यह नेता अपना रंग केसरिया से बदलते हुए हाथ में दो फूल लेते हुए घर वापसी की तैयारी कर रहे हैं ।
जैसे बारिश के मौसम में मेंढक एक गड्ढे से दूसरे गड्ढे की तरफ छलांग लगाते हैं अब वही नजारा उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है और आगे भी देखने को मिलेगा कुछ नेता हाथी की सवारी करते-करते ऊब गए हैं,अब वे हाथी से साइकिल पर सवार हो जाएंगे कुछ नेता साइकिल से उतर कर कमल को थाम लेंगे और कुछ पंजे से अपना पीछा छुड़ाकर कमल को थाम लेंगे, और इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश में हो गई है
अब देश में राजनीति को लेकर बनना चाहिए नया कानून, जो नेता राजनीति दल को छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो, तो वह कम से कम दस वर्ष तक किसी भी तरह का चुनाव नहीं लड़ सकते, दस वर्ष तक उसे राज्यसभा, विधानमंडल या किसी भी निगम मंडल या अन्य विभागों का अध्यक्ष मनोनीत नहीं कर सकते । इस कानून से दो फायदे होंगे एक तो नेताओं की राजनीतिक घुटन अपने दल में नहीं होगी, दूसरा जो यह नेता पिछले दरवाजे से दूसरी पार्टी में आकर मलाई खाते हैं और उसी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता दलबदलू नेता को मलाई खाते हुए देखते हैं यानी कार्यकर्ता जिसको उम्मीद होती है इस बार चुनाव में उसको जरूर मौका मिलेगा पर दलबदलू नेता के आने से उनके मौके चकनाचूर हो जाते हैं इस कानून से पार्टी के हर एक कार्यकर्ता को मौका जरूर मिलेगा ।
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