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पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से कुछ राहत मिल सकेगी

Updated on 07-03-2021 01:25 PM
 मध्यप्रदेश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें इन दिनों  सबसे अधिक हैं क्योंकि यहां पर राज्य सरकार ने भी अन्य राज्यों की तुलना में कुछ अधिक कर लगाएं हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को देखते हुए हो सकता है कि केंद्र सरकार कुछ प्रभावी कदम उठाए और उपभोक्ताओं को महंगाई की मार से बचाने के लिए कुछ राहत प्रदान करे तो भी यह राहत ऊंट के मुंह में जीरे के समान तो होगी ही लेकिन साथ में यह भी एक सवाल लिए हुए होगी की है यह राहत कितने दिनों की होगी। यदि केंद्र कुछ राहत दे भी देता है तो मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं को  सबसे  महंगा पेट्रोल और डीजल उस समय तक मिलता रहेगा जब तक की राज्य की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार कुछ राहत ना दे। फिलहाल इसकी संभावना इसलिए बहुत कम है क्योंकि इससे राज्य सरकार का बजट गड़बड़ा जाएगा पर हो सकता है कि नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए शायद राज्य सरकार कुछ राहत देने का विचार करे। देश में अभी तक पांच राज्य सरकारें करों में मामूली रियायत दे चुकी हैं। 
         बढ़ती महंगाई के मुद्दों को लेकर आखिर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी स्वीकार कर लिया कि पेट्रोल और डीजल के दाम उपभोक्ताओं का बोझ बढ़ा रहे हैं। उनका कहना था कि उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों से राहत मिलना चाहिए, लेकिन इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों के स्तर पर करों में कटौती करना होगी। राज्यों की बात तो राज्यों पर छोड़ दें लेकिन केंद्रीय उत्पाद शुल्क में  कटौती तो सीतारमण को ही करना है। लेकिन उन्होंने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्रीय करों में कटौती की दिशा में पहल के बारे में कुछ नहीं कहा है। वे इंडियन वुमेन्स प्रेस कॉर्प में शुक्रवार को पत्रकारों से बात कर रही थीं। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का लाभ लेने के लिए बीते साल वित्त मंत्री सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में रिकॉर्ड वृद्धि की थी। पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के मुद्दे पर सीतारमण ने कहा कि इसके बारे में फैसला जीएसटी परिषद को लेना है। फिलहाल केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल पर निश्चित दर से उत्पाद शुल्क लगाती है। वहीं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अलग से मूल्य वर्धित कर लगाया जाता है। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से ईंधन की कीमतों में पूरे देश में समानता आएगी। सीतारमन के इस कथन पर तंज कसते हुए प्रदेश कांग्रेस महामंत्री मीडिया केके मिश्रा ने ट्वीट किया है कि महंगाई को लेकर चौतरफा घिरी निर्मला सीतारमण कह रही  हैं कि "पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत के लिए केंद्र और राज्य सरकारें टेक्स घटाएं" ! क्या इसके लिए ब्रह्मा जी आएंगे!, मोहतरमा यह तो आपको ही करना है। मिश्रा ने इसे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को टैग किया है।
*मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कीमतें*
        मध्य प्रदेश और राजस्थान में सबसे महंगा पेट्रोल और डीजल बिक रहा है। आज राजधानी भोपाल में साधारण पेट्रोल शतक को छूने जा रहा है तो वहीं पर प्रीमियम पेट्रोल शतक पार कर गया है। भोपाल में आज 6 मार्च को पेट्रोल 99.21 रुपया प्रति लीटर तथा प्रीमियम पैट्रोल 102.12 रुपया प्रति लीटर तथा डीजल 89.76 रुपया प्रति लीटर तथा प्रीमियम डीजल 93.03 रुपया प्रति लीटर की कीमत पर बिक रहा है। वैसे पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रतिदिन परिवर्तित हो रही हैं लेकिन यदि 26 फरवरी 2021 को आधार माना जाए तो कुछ पड़ोसी राज्यों में उस दिन पेट्रोल की औसत कीमत 90 रुपए से भी कम थी। उस दिन मध्यप्रदेश में पेट्रोल की औसत कीमत 98.96 रुपया थी। प्रदेश के पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह के अनुसार उत्तर प्रदेश में पेट्रोल 89.13 रुपए प्रति लीटर की औसत दर से बेचा गया था तो वहीं छत्तीसगढ़ में 89.38 रुपए, गुजरात में 88.88 रुपए और अंडमान में 76.54 रुपए की औसत दर पर बिका था । मध्य प्रदेश सरकार पेट्रोल पर प्रति लीटर लगभग 23 रुपए वेट ले रही है ।
*शिवराज दे सकते हैं राहत*
        नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए लोगों की नाराजगी कुछ कम करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पेट्रोल और डीजल पर राज्य सरकार द्वारा वेट की दरों में कुछ कमी कर सकते हैं लेकिन इससे खजाने पर पड़ने वाले भार को देखते हुए करेंगे ही, ऐसा निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि राज्य सरकार को स्वयं के करों से मिलने वाले राजस्व में 50 प्रतिशत से अधिक पेट्रोल और डीजल तथा जीएसटी से प्राप्त होता है, फिर भी जन-सरोकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाले शिवराज महंगाई के भार से कुछ राहत प्रदान कर सकते हैं।
*दिग्विजय ने घेरा तो शिवराज ने दिए जांच के आदेश*
   पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड पीईबी की कृषि विकास अधिकारी भर्ती परीक्षा में हुई कथित गड़बड़ियों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घेराबंदी की तो शिवराज ने बिना कोई देरी किए तत्काल ही इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं ताकि यह और अधिक  तूल ना पकड़ पाए। दिग्विजय ने इस मामले को उठाते हुए कहा था कि यह संयोग है या धांधली कि व्यापम की परीक्षा में सभी 10 टॉपर्स एक ही कॉलेज के छात्र हैं और सबके नंबर भी बराबर हैं। क्या इसकी जांच होगी। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता रवि सक्सेना ने जांच की मांग करते हुए कहा है कि प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाएं आयोजित करने वाला व्यापमं एक बार फिर घोटाले के घेरे में आ गया है। व्यापमं ने फरवरी माह में जो कृषि विकास अधिकारी पद के लिए परीक्षा ली थी उसके परिणामों में शीर्ष 10 स्थान हासिल करने वाले टॉपर्स को एक जैसे अंक मिले हैं। सभी ने एक ही कॉलेज से पढ़ाई की है और सभी चंबल क्षेत्र से हैं। जिससे पूरी परीक्षा संदेह के घेरे में आ गयी है ! उन्होंने आरोप लगाया कि ये परीक्षा भी एक ब्लैक लिस्टेड कम्पनी से संचालित करवायी गयी है! सक्सेना ने पूछा है कि प्रदेश में व्यापमं के माध्यम से सरकार कब तक बेरोज़गार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करती रहेगी? कब तक नौकरियों को अपात्रों को नीलाम कर बेचा जाएगा? जिन उम्मीदवारों ने परीक्षा में टॉप किया है यदि उनके पूर्व के परीक्षा परिणामों का विश्लेषण किया जायेगा तो कई चौकानें वाले ख़ुलासे होंगे! उन्होंने मांग की है कि कृषि विकास अधिकारी परीक्षा में हुए घोटाले की जांच के मुख्यमंत्री तत्काल आदेश करें जिससे ईमानदार, योग्य परीक्षार्थियों को न्याय मिल सके। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कृषि विकास अधिकारी के पद के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा ली गई परीक्षा में शीर्ष 10 स्थान पाने वाले परीक्षार्थियों के समान अंक आने का मामला मेरे संज्ञान में आया है और मैंने जांच के आदेश अधिकारियों को दे दिए हैं। इधर पहले से ही पूरी तरह से हर मोर्चे पर एक्शन में नजर आ रहे कृषि मंत्री कमल पटेल ने भी तत्काल ही कहा कि इस मामले में सरकार गंभीर है। पीईबी के अधिकारी या कोई और दोषी पाया गया तो उसे छोड़ेंगे नहीं इसके साथ ही कृषि मंत्री ने यह भी कहा है कि यदि कोई गड़बड़ी साबित हुई तो फिर परीक्षा भी निरस्त करेंगे। इस प्रकार शिवराज सरकार तत्काल आरोप लगते ही एक्शन में आई और उसने कार्रवाई करने के आदेश दे दिए इससे अब यह मामला जांच के निष्कर्ष आने तक शायद तूल ना पकड़ पाए और सरकार जो चाहती है फिलहाल उसकी यह इच्छा पूरी हो जाए ।
और यह भी
 प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री मीडिया केके मिश्रा ने व्यापम के पूर्व में हुए घोटाले की याद दिलाने की कोशिश करते हुए ट्वीट किया है कि शिवराज जी, व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा कृषि विकास अधिकारी के शीर्ष 10 पदों पर चयनित परीक्षार्थियों का मामला भी व्यापम-2 ही है! कॉलेज, जाति, अंक, त्रुटियां, क्षेत्र सभी में एकरूपता! जांच की घोषणा तो पहले भी हुई थी, कृपया इसके दोषी तो सामने लाइए ।

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