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कृष्ण मोहन झा के संकल्प में विकल्प की गुंजाइश नहीं सुभाष चंद्र

Updated on 21-02-2022 05:46 PM
हिंदी पत्रकारिता के सुपरिचित हस्ताक्षर ,कर्मठ समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता कृष्ण मोहन झा का आज 46 वां जन्मदिवस है। इस पुनीत अवसर पर उन्हें अपनी ओर से हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए आज मेरे मन मस्तिष्क में लगभग डेढ़ दशक पूर्व की वे स्मृतियां जीवंत हो उठी हैं जब कृष्ण मोहन झा ने  अपने गृहनगर मंडला में  मां नर्मदा का आशीर्वाद लेकर अचानक एक दिन राजधानी भोपाल को अपनी कर्मभूमि बनाने का संकल्प लिया। अगले ही जब उन्होंने भोपाल की धरती पर‌ पदार्पण किया तब उनके पास कोई बड़ी धन दौलत नहीं बल्कि  मात्र चंद वर्षों के  पत्रकारीय अनुभव की अत्यंत लघु पूंजी थी जो उन्होंने अपने गृहनगर में लोकप्रिय चैनल 'मंडला समाचार '  के संस्थापक के रूप में  अर्जित की थी। कृष्ण मोहन झा के संकल्प में विकल्प की रंचमात्र गुंजाइश भी नहीं थी।  कृष्ण मोहन झा को  जब यहां  एक निर्भीक पत्रकार के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने के प्रारंभिक प्रयासों में ही  सफलता मिलनी लगी तो राजधानी में उन्हें हतोत्साहित करने के प्रयास भी प्रारंभ हो गए परंतु अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति , अडिग आत्म विश्वास और अद्भुत जुनून के बल पर  इस युवा पत्रकार ने जल्द ही अपने विरोधियों को भी अपने प्रशंसकों की जमात में शामिल होने के लिए विवश कर लिया । बहुमुखी प्रतिभा का धनी यह निर्भीक पत्रकार  आज  राजधानी में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कृष्ण मोहन झा ने भोपाल को अपनी कर्मभूमि बनाकर  जो उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं उनकी आयु की तुलना में बहुत अधिक हैं । उनके कार्यक्षेत्र का दायरा अब केवल भोपाल या मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं रह गया है । एक निर्भीक और प्रखर पत्रकार तथा सिद्ध हस्त राजनीतिक विश्लेषक के रूप में कृष्ण मोहन झा ने प्रदेश के बाहर भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है । हिंदी पत्रकारिता के उत्तरोत्तर विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री झा को अनेक प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय और अखिल भारतीय सम्मानों से नवाजा जा चुका है । श्री झा मध्यप्रदेश विधानसभा सभा की त्रैमासिक पत्रिका 'विधायनी' के संपादक मंडल के सदस्य रह चुके हैं । वर्तमान में वे राजधानी के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल डिजियाना न्यूज नेटवर्क में सलाहकार संपादक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सुप्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक श्री  झा विगत डेढ़ दशक से समसामयिक राजनीतिक एवं सामाजिक मुद्दों पर अनवरत लेखन कर रहे हैं । वे अनेक राष्ट्रीय समाचार पत्र पत्रिकाओं में नियमित स्तंभ लेखन कर रहे हैं और ज्वलंत राजनीतिक मुद्दों के सटीक विश्लेषण में उन्हें प्रवीणता हासिल है । राजनीतिक विषयों पर श्री झा द्वारा लिखित पांच पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है ।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरक व्यक्तित्व और कृतित्व की अद्भुत विशेषताओं को केंद्र में रखकर लिखे गए उनके दो ग्रंथ ' यशस्वी मोदी ' और '  महानायक मोदी ' बेस्ट सेलर कृतियों का सम्मान पा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि 'महानायक मोदी' ग्रंथ की भूमिका केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लिखी है।एक  प्रखर  पत्रकार के रूप में जब श्री झा महत्वपूर्ण संगोष्ठियों और पत्रकार सम्मेलनों के मंच से जब अपने विचार व्यक्त करते हैं  तो उनमें उनके लिए अध्ययन,मनन और चिंतन की गहराई की झलक स्पष्ट देखी जा सकती है ।
             बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री झा का कार्यक्षेत्र केवल  हिंदी पत्रकारिता  तक ही सीमित नहीं है। इस संक्षिप्त लेख में उनके बहुमुखी व्यक्तित्व की विहंगम झांकी प्रस्तुत करना संभव नहीं है परंतु समाज सेवा के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान की चर्चा किए बिना यह लेख अधूरा ही माना जाएगा। विकास में उल्लेखनीय योगदान किया है । एक कर्मठ समाजसेवी के रूप में श्री झा ने जो पहचान बनाई है वह उनके मानवीय गुणों से ओतप्रोत होने का सबूत देती है ।  सच्चे अर्थों में  उन्होंने रामचरित मानस की पंक्ति 'परहित सरिस धर्म नहिं भाई 'को अपने जीवन में उतारा है। श्री झा का विशाल मित्र परिवार इस बात का परिचायक है कि  संबंध बनाने ही बल्कि उनको ईमानदारी से निभाने का जज्बा भी उनके अंदर मौजूद है। वादाखिलाफी की बुराई से उन्हें सख्त नफरत है। वे एक बार किसी को वचन देते हैं तो उसको तन मन धन से पूरा करने की उनकी तत्परता ही कृष्ण मोहन झा की सबसे बड़ी पहचान है । उनके इसी गुण ने कृष्ण मोहन झा को कृष्ण मोहन झा बनाया है । जो लोग हिंदी पत्रकारिता के सुपरिचित हस्ताक्षर और कर्मठ समाजसेवी कृष्ण मोहन झा को निकट से जानते हैं वही बता सकते हैं कि राजधानी में कृष्ण मोहन झा होने के क्या मायने हैं।

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